नाबार्ड के प्रमुख कार्य

कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना के पूर्व दो प्रमुख संस्थायें ग्रामीण साख के क्षेत्र में कार्य कर रही थीं (1) रिजर्व बैंक का कृषि साख उपलब्ध कराने के लिये एक विशेष विभाग जो ग्रामीण क्षेत्र में हर प्रकार का आर्थिक अनुसंधान भी करता था। (2) जुलाई 1968 में स्थापित “कृषि पुनर्वित्त एवं विकास निगम” जो सहकारी संस्थाओं को वित्त उपलब्ध कराता था तथा कृषि एवं सहायक कृषि धन्धों के विकास की दिशा में कार्यरत था। इस प्रकार एक जैसे कार्य को सम्पन्न करने के लिये रिजर्व बैंक तथा कृषि पुनर्वित्त निगम जैसी दो संस्थायें कार्यरत थीं। दोनों संस्थाओं के बढ़ते हुए कार्यों को एक जगह लाकर नाबार्ड की स्थापना की गयी।

राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक अर्थात् नाबार्ड की स्थापना का उद्देश्य कृषि एवं ग्रामीण विकास हेतु संस्थागत साख में वृद्धि करना है। इसकी स्थापना 12 जुलाई 1982 को की गयी थी। ग्रामीण साख के क्षेत्र में नाबार्ड को एक सर्वोच्च संस्था माना गया है। नाबार्ड की अधिकृत पूँजी 500 करोड़ रूपये थी, जोकि अब बढ़ाकर 5,000 करोड रूपये कर दी गयी है।

वर्तमान में इसकी चुकता पूँजी 330 करोड़ रूपये है, जिसे रिज़र्व बैंक व केन्द्रीय सरकार ने बराबर मात्रा में दिया है।

संगठन –  नाबार्ड के संगठन व प्रबंध का कार्य, संचालक मण्डल के द्वारा किया जाता है। इसमें निम्नलिखित सदस्यों को शामिल किया गया है-

  1. सभापति ।
  2. संचालक, ग्रामीण अर्थशास्त्र व ग्रामीण विकास के विशेषज्ञों में से।
  3. 3 संचालक, रिजर्व बैंक के संचालक हों।
  4. 7 संचालक, केन्द्रीय सरकार के अधिकारी हों।
  5. 3 संचालक केन्द्रीय सरकार के अधिकारी हों।
  6. 2 संचालक राज्य सरकार के अधिकारियों में से हों।
  7. एक प्रबंध संचालक हो।
  8. एक या अधिक पूर्णकालिक संचालक केन्द्रीय सरकार द्वारा हो।
प्रबंध संचालक का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है, लेकिन अन्य संचालको का कार्यकाल 3 वर्ष का होता है। इस बैंक का संचालक मण्डल एक सलाहकार मण्डल बनायेगा जिसका कार्य समय-समय पर मामलों पर सलाह देना होगा जिसे बोर्ड द्वारा सौंपा जायेगा। इस समय बैंक का 15 सदस्यों का प्रबंध मण्डल है। इसके 27 क्षेत्रीय कार्यालय व 300 से अधिक जिला स्तर कार्यालय हैं।

नाबार्ड के प्रमुख कार्य

1. नाबार्ड ग्रामीण साख संस्थाओं के निर्माण एवं उन्हें सबल बनाने से सम्बंधित कार्य करता है।
2. नाबार्ड कृषि, लघु एवं कुटीर उद्योग हस्तशिल्प उद्योग एवं सम्बधित आर्थिक गतिविधियों हेतु साख सुविधा प्रदान करता है।
3. नाबार्ड बैंक प्रशिक्षण एवं शोध सम्बंधी सुविधायें प्रदान करता है।
4. नाबार्ड क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों एवं सहकारी बैंक का निरीक्षण करता है।
5. ग्रामीण विकास हेतु धन देने वाली संस्थाओं जैसे राज्य भूमि विकास बैक, राज्य सहकारी बैंक, अनुसूचित वाणिज्य बैंक तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को पुनर्वित्त देने के लिये शीर्ष संस्था के रूप में कार्य करता है।
6. नाबार्ड अनुसंधान एवं विकास निधि बनाकर कृषि एवं ग्रामीण विकास शोध को प्रोत्साहित करता है।
7. नाबार्ड विकेन्द्रित क्षेत्रों के विकास हेतु केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, योजना आयोग एवं अन्य संस्थाओं की क्रियाओं के उचित समन्वय का कार्य करता है।
8. नाबार्ड राज्य सरकारों को दीर्घ कालीन सहायता उपलब्ध कराने का कार्य भी करता है, इससे सहकारी साख संस्थाओं की अंश पूँजी में वृद्धि होती है।
9.नाबार्ड का एक कार्य ग्रामीण साख प्रदान करने वाली सभी संस्थाओं की क्रियाओं में समन्वय स्थापित करना है।
10. प्राथमिक सहकारी बैकों को छोड़कर अन्य सहकारी बैंकों तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का निरीक्षण करना भी नाबार्ड के कार्यों में सम्मिलित है।
11.नाबार्ड द्वारा जिन परियोजनाओं हेतु पुनर्वित्त की व्यवस्था की गयी है, यह उनका निरीक्षण एवं मूल्याँकन भी करता है।
12.कृषि एवं ग्रामीण विकास का राष्ट्रीय बैंक अनुसंधान का विकास कोष रखता है ताकि कृषि एवं ग्रामीण विकास कार्यक्रमों में अनुसंधान को प्रोत्साहित किया जा सके तथा विभिन्न क्षेत्रों की आवश्यकतानुसार परियोजनाओं को बनाया जा सके।

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