चेतना का अर्थ, परिभाषा, स्वरूप एवं महत्व

चेतना का अर्थ चेतना मन की एक स्थिति ही है – जिसके अन्तर्गत बाह्य जगत के प्रति संवेदनशीलता तीव्र अनुभूति का आवेग, चयन या निर्माण की शक्ति इन सबके प्रति चिन्तन विद्यमान रहता है ये सब बातें मिलकर किसी भी व्यक्ति की पूर्ण चैतन्य अवस्था का निर्माण करती है।   चेतना समझने की वस्तु है उसे परिभाषित …

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संत शब्द का अर्थ और परिभाषा

सामान्यत: ‘संत’ शब्द का प्रयोग प्राय बुद्धिमान, पवित्रात्मा, सज्जन, परोपकारी, सदाचारी आदि के लिए प्रयोग किया जाता है। कभी-कभी साधारण बालेचाल में इसे भक्त, साधु या महात्मा जैसे शब्दों का भी पर्याय समझ लिया जाता है। जहाँ तक ‘सतं’ शब्द के शाब्दिक निर्वचन का प्रश्न है उस संदर्भ में संस्कृत के शब्द ‘सन्त:’ से निर्मित हुआ …

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अस्तित्ववाद के प्रमुख विचारक कौन हैं

अस्तित्ववाद बीसवीं सदी का दर्शन है हालांकि यह संज्ञान में काफी पहले आ गया था। अस्तित्ववाद से हमारा परिचय साहित्यिक आंदोलन के रूप में होता है। अस्तित्ववाद में सिद्धांत व विचार की अपेक्षा व्यक्ति के अस्तित्व को महत्व दिया गया। वह उन सभी मान्यताओं, सिद्धांतों व संस्थाओं का विरोध करता है जो मानवीय गरिमा व उसके …

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भारतीय दर्शन क्या है? भारतीय दर्शन की प्रमुख विशेषताएं

भारतीय दर्शन अध्यात्म विद्या है। भारत में दर्शनशास्त्र मूल रूप से आध्यात्मिक है। ‘दर्शन’ शब्द दर्शनार्थक दृश् धातु से बनता है जिसका अर्थ है देखना या अवलोकन करना। अत: इसका व्युत्पत्तिलभ्य अर्थ किया जाता है ‘दृश्यते अनेन इति दर्शनम्’ अर्थात् जिसके द्वारा देखा जाय और क्या देखा जाय ? साधारणत: हम आँखों से देखते हैं तथा …

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चार्वाक दर्शन क्या है ?

चार्वाक दर्शन क्या है ?  लोक में अन्यन्त प्रिय लोकायत- दर्शन ही चार्वाक दर्शन कहलाता है। देवताओं के गुरू बृहस्पति द्वारा प्रणीत होने के कारण इसका नाम बार्हस्पत्य-दर्शन है। ईश्वर और वेद के प्रामाण्य का सर्वथा खण्डन करने के कारण यह ‘नास्तिक दर्शन’ है। भारतीय दर्शन में बौद्ध-जैन इत्यादि अन्य दर्शनों को भी नास्तिक की संज्ञा …

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कला का अर्थ, परिभाषा एवं रूप

कला अत्यन्त व्यापक शब्द है। प्राचीन काल से भारतीय भाषाओं में कला एवं इससे भी पूर्व से कला और शिल्प का प्रयोग हो रहा है। Art शब्द का प्रयोग तेरहवीं शताब्दी से प्रारम्भ हुआ, जिसका अर्थ बनाना, उत्पन्न करना या ठीक करना है। कला मानव की अभिव्यक्ति का रूप है। यह अनायास हो या सायास, किन्तु इस …

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मैक्स वेबर का जीवन परिचय एवं प्रमुख रचनाएं

Max Weber ka jeevan parichay मैक्स वेबर  का जन्म जर्मनी के थुरिंगा (Thuringa) शहर में 21 अप्रैल 1864 को एक प्रोटेस्टेंट परिवार में हुआ था। वह अपने माता-पिता के सात पुत्रों में से सबसे बड़ा था। मैक्स वेबर के पिता पश्चिमी जर्मनी के व्यापारियों तथा वस्त्र निर्माताओं के परिवार में उत्पन्न हुए थे। दृढ़ प्रोटेस्टेंट विश्वासों के …

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दुर्खीम के आत्महत्या का सिद्धांत, दुर्खीम के अनुसार आत्महत्या के प्रकार

फ्रांस के सामाजिक विचारकों में दुर्खीम को ऑगस्ट कॉम्ट का उत्तराधिकारी माना जाता है। दुर्खीम का जन्म 15 अप्रैल 1858 सन् में पूर्वी फ्रांस के लॉरेन प्रान्त में स्थित एपिनाल (Epinal) नामक नगर में एक यहूदी परिवार में हुआ था। इनके पारिवारिक व शैक्षणिक जीवन के बाद इन्होंने अनेक सिद्धांत समाजशास्त्र में प्रतिपादित किये।  दुर्खीम के …

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कार्ल मार्क्स का वर्ग संघर्ष सिद्धांत की विवेचना

मार्क्सवादी विचार के अनुसार मनुष्य साधारणतया एक सामाजिक प्राणी है, परन्तु अधिक स्पष्ट और आर्थिक रूप में वह एक ‘वर्ग-प्राणी’ है। कार्ल मार्क्स का कहना है कि किसी भी युग में, जीविका उपार्जन की प्राप्ति के विभिन्न साधनों के कारण पृथक-पृथक वर्गों में विभाजित हो जाते हैं और प्रत्येक वर्ग में एक विशेष वर्ग-चेतना उत्पन्न हो जाती …

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कार्ल मार्क्स का ऐतिहासिक भौतिकवाद की संक्षेप में विवेचना

ऐतिहासिक भौतिकवाद मार्क्स के विचारों की धूरी है। यह सिद्धांत इतिहास, संस्कृति और सामाजिक परिवर्तन की सभी आदर्शवादी व्याख्याओं को नकारता है। मानवशास्त्रीय दर्शन पर आधारित यह सिद्धांत इतिहास की व्याख्या मानव द्वारा सामाजिक विश्व के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिये किये गये आर्थिक प्रयत्नों और मूलभूत आर्थिक विभिन्नताओं के कारण उत्पन्न वर्ग संघर्ष के …

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