जैव भू रसायन चक्र क्या है जैव भू-रसायन चक्र के प्रकार?

विभिन्न अध्ययनों से पता चला हे कि पिछले 100 करोड़ों वर्षों में वायुमंडल व जलमंडल की सरंचना में रसायनिक घटकों का संतुलन लगभग एक जैसा अर्थात बदलाव रहित रहा है। रासयनिक ऊतकों से होने वाले चक्रीय प्रवाह के द्वारा बना रहता है। यह चक्र जीवों द्वारा रासायनिक तत्वों के अवशोषण से आरंभ होता हे और उनके वायु जल …

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भारत की प्रमुख समाचार एजेंसियां || विश्व की प्रमुख समाचार एजेंसियाँ

दुनिया के एक कोने की खबर दूसरे कोने तक पहुंचाने का काम आसान नहीं । हर पत्र-पत्रिका के लिए भी यह सम्भव नहीं कि वो हर छोटी-बड़ी जगह पर अपने संवाददाता तैनात कर सकें । इस मुश्किल को आसान बनाती हैं, समाचार समितियाँ यानी न्यूज एजेंसी। युनेस्को ने न्यूज एजेंसी को इस प्रकार परिभाषित किया है, …

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शतावरी की खेती की विस्तृत जानकारी | Shatavari Cultivation Guide

सतावर के औषधीय उपयोगों से काफी परिचित हैं सदियों से उपयोग किया जाता रहा है। वैज्ञानिक परीक्षणों में भी विभिन्न विकारों के निवारण में इसकी औषधीय उपयोगिता सिद्ध हो चुकी है तथा वर्तमान में इसे एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है। सतावर की पूर्ण विकसित लता 30 से 35 फुट तक ऊंची हो सकती है। प्राय: मूल …

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सर्पगंधा के औषधीय उपयोग / फायदे

सर्पगंधा में सर्पेन्टाइन समूह के एल्केलाइड अधिक पाए जाते हैं। सर्पगंधा का नाम ‘‘सर्पगंधा’’ क्यों पड़ा होगा, इसके पीछे कई मत हैं। ऐसा माना जाता है कि क्योंकि प्राचीन समय से ही सर्पगंधा का उपयोग सांप काटे के इलाज के लिए किया जाता रहा है। इसलिए इसका नाम सर्पगंधा पड़ा होगा।  सर्पगंधा का उपयोग लगभग 400 …

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अश्वगंधा की रासायनिक संरचना || अश्वगंधा की प्रमुख किस्में

अश्वगंधा (असगंध) जिसे अंग्रेजी में विन्टर चैरी कहा जाता है तथा जिसका वैज्ञानिक नाम विदानिया सोम्नीफेरा (Withania somnifera) है, अश्वगंधा को शक्तिवर्धक माना जाता है।  अश्वगंधा की पहचान कैसे करे? अश्वगंधा के पौधे 1 से 4 फीट तक ऊँचे होते है। इसके ताजे पत्तों तथा इसकी जड़ को मसल कर सूँघने से उनमें घोड़े के मूत्र …

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सफेद मूसली के फायदे या औषधीय उपयोग

सफेद मूसली एक कंदयुक्त पौधा होता है, यह पौधा क्लोरोफाइटम बोरिविलिएनम के नाम से जाना जाता है परंतु ‘‘इंडियन मेटीरिया मेडिका’’ में इसका नाम क्लोरोफाइटम अरुंडीनेशियम दर्शाया गया है।  सफेद मूसली की प्रजातियाँ / किस्में  सफेद मूसली की विभिन्न प्रजातियाँ पाई जाती हैं जैसे- क्लोरोफाइटम बोरिविलिएनम क्लोराफाइटम ट्यूबरोजम क्लोरोफाइटम अरुन्डीनेशियम क्लोरोफाइटम एटेनुएटम क्लोरोफाइटम ब्रीविस्केपम  सफेद मूसली के फायदे …

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सींग खाद बनाने विधि और फायदे

गाय के सींग के खोल गोबर का असर बढ़ाने के लिए उत्तम पात्र होते हैं। जीवाणुओं की जांच के अनुसार सींग में उपस्थित गोबर बनाने वाले जीवाणु कम होकर ह्यमस बनाने वाले जीवाणुओं की संख्या अधिक हो जाती है जबकि गोबर को किसी अन्य पात्र में रखकर गाड़ा जाए तो उसका वह प्रभाव नहीं होता। सींग …

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केंचुआ खाद बनाने का आसान विधि

पौधों के अवशेष पदार्थों, पशुओं का बचा हुआ चारा, कू़ड़ा करकट आदि पदार्थों के बैक्टीरिया तथा फफूंद द्वारा विशेष विच्छेदन से बना हुआ पदार्थ कम्पोस्ट कहलाता है। सड़ी हुई यह खाद प्रायः गहरे भूरे रंग की होती है कम्पोस्ट को प्रयोग करने से भूमि की भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। मृदा …

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गोबर से खाद बनाने की विधि (इन्दौर विधि, बंगलौर विधि तथा नाडेप विधि)

गोबर की खाद गोबर की खाद फार्म पशुओं, गाय, घोड़ा कभी-कभी सुअरों के ठोस एवं द्रव मल-मूत्र का एक सड़ा हुआ मिश्रण है। जिसमें साधारणतया भूसा, बुरादा, छीलन अथवा अन्य कोई शोषक पदार्थ जो पशुओं के बाॅधने के स्थान पर प्रयोग किया गया हो गोबर की खाद कहते हैं। गोबर की खाद पोषक तत्वों को पौधों …

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हरी खाद क्या है इसके लाभ?

मृदा उर्वरता को बढ़ाने के लिए समुचित हरे पौधों को उसी खेत में उगाकर या कहीं से लाकर खेत में मिला देने की प्रक्रिया को हरी खाद कहते हैं। हरी खाद के प्रयोग से मृदा में कार्बनिक पदार्थ तथा नाइट्रोजन की मात्रा में वृद्धि होती है। यह मृदा जल के वाष्पीकरण को रोकती है। इसके प्रयोग …

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