विमर्श का अर्थ एवं परिभाषा

सामान्यत: विमर्श से तात्पर्य है चर्चा-परिचर्चा, संवाद, तर्क-वितर्क आदि। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो जब व्यक्ति किसी समूह में किसी विषय पर चिन्तन अथचा चर्चा-परिचर्चा आदि करता है तो उसे विमर्श कहा जाता है या जब कोई व्यक्ति किसी विषय को लेकर अकेले में गहन, चिन्तन, मनन करके किसी समूह में जाकर उस विषय पर …

Read more

नैतिक विकास की अवस्थाएं एवं माध्यम

नैतिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं से होकर नैतिक मूल्यों का ज्ञान तथा उनका क्रियान्वयन सीखता है। इन सभी अवस्थाओं को विस्तार से निम्न प्रकार से बतलाया है : नैतिक विकास की अवस्थाएं नैतिक विकास की सभी अवस्थाओं को विस्तार से निम्न प्रकार से बतलाया है : शैशवावस्था में नैतिक विकास पूर्व बाल्यावस्था में नैतिक विकास उत्तर …

Read more

समायोजन का अर्थ, परिभाषा, प्रकार एवं विशेषताएं

समायोजन को सामंजस्य, व्यवस्थापन या अनुकूलन भी कहते हैं। व्यक्ति को सफल जीवन व्यतीत करने के लिए अपने वातावरण और परिस्थितियों के साथ समायोजन स्थापित करना आवश्यक हो जाता है। व्यक्ति के जीवन में अनेक प्रकार की अनुकूल एवं प्रतिकूल परिस्थितियाँ आती रहती हैं, जिनका उसे समय-समय पर सामना करना पड़ता है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी अलग-अलग …

Read more

जीन पियाजे का नैतिक विकास का सिद्धांत और कोहलबर्ग का नैतिक विकास सिद्धांत

नैतिकता व्यक्ति के स्वभाव के अनुकूल आचरण है व्यक्ति के निम्न स्वभाव के अंतर्गत वह स्वार्थी, पाशविक एवं वासनात्मक आचरण करता है। दूसरों के सुख-सुविधा हेतु त्याग एवं परोपकार व्यक्ति के उच्च स्वभाव की प्रवृत्तियाँ हैं। जब व्यक्ति अपनी स्वार्थमय प्रवृत्तियाँ से ऊपर उठकर परमार्थ या दूसरों के लिये भी उसी प्रकार के आचरण करता है …

Read more

नैतिकता का सामान्य अर्थ, नैतिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक

नैतिकता का सामान्य अर्थ सज्जनता या चरित्रनिष्ठा समझा जाए यह कहा गया है कि हमें दूसरों के साथ वह व्यवहार करना चाहिए जो दूसरों से अपने लिए चाहते हैं। सूत्र रूप में मानवीय गरिमा के अनुरूप आचरण को नैतिकता कहा जाता है आहार, व्यवहार, उपार्जन, व्यवसाय, परिवार, समाज, शासन आदि क्षेत्रों में नैतिकता का प्रयोग भिन्न-भिन्न …

Read more

मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का अर्थ, परिभाषा, मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक

व्यक्ति के शरीर में मस्तिष्क का महत्त्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि व्यक्ति जो भी कार्य करता है वह अपने मस्तिष्क के संकेत पर या मन के अनुसार करता है। जब तक हमारा मन स्वस्थ नहीं रहता है, तब तक हम किसी भी कार्य को ठीक से नहीं कर सकते। संसार में वे ही व्यक्ति भौतिक और सामाजिक …

Read more

संवेगात्मक बुद्धि का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएँ

संवेगात्मक बुद्धि का अर्थ संवेगात्मक बुद्धि दो प्रत्ययों से मिलकर बना है संवेग और बुद्धि। संवेग का अर्थ है उद्वेलन की अवस्था एवं बुद्धि का अर्थ है विवेकपूर्ण चिन्तन की योग्यता। इस प्रकार संवेगात्मक बुद्धि एक आन्तरिक योग्यता होती है जिसके द्वारा व्यक्ति में संवेगों को महसूस करने, समझने एवं उनका प्रभावपूर्ण नियन्त्रण करने की क्षमता …

Read more

वर्ण व्यवस्था की उत्पत्ति के सिद्धांत – Theories of origin of caste system

वर्ण शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत के ‘वृ’ वरणे धातु से हुई है, जिसका अर्थ है ‘चुनना’ या ‘वरण करना’। सम्भवतः ‘वर्ण’ से तात्पर्य ‘वृति’ या किसी विशेष व्यवसाय के चुनने से है। समाज शास्त्रीय भाषा में ‘वर्ण’ का अर्थ ‘वर्ग’ से है, जो अपने चुने हुए विशिष्ट व्यवसाय से आबद्ध है। वर्ण व्यवस्था के अन्तर्गत समाज …

Read more

कुंठा का अर्थ, परिभाषा, लक्षण, कारण, दुष्प्रभाव

समय के अभाव में ज्यादातर डॉक्टर मरीज के मन के अवसाद को समझ नहीं पाते हैं। वह मरीज को सांत्वना देने के लिए विटामिन, खून बनाने वाले टॉनिक, कैल्शियम और निम्न रक्तचाप और उच्च रक्तचाप दूर करने वाले नुस्खे बता देते हैं। कुंठाग्रस्त रोगी को तन की नहीं मन की दवा की जरूरत होती है। लोगों …

Read more

समेकित बाल विकास कार्यक्रम का उद्देश्य, समेकित बाल विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत दी जाने वाली सेवाएं

समेकित बाल विकास सेवाएं, गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं, किशोर बालिकाओं व 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों के स्वास्थ्य व पोषण सम्बन्धी देखभाल, 0-6 वर्ष के बच्चों के शारीरिक संज्ञानात्मक, भावनात्मक एवं सामाजिक विकास तथा उनकी जरूरतों व अधिकारों के हेतु प्रारम्भ किया गया। विशेष रूप से गरीब समुदाय के 0-6 वर्ष के बच्चों का …

Read more