गिरवी क्या है वैध गिरवी के आवश्यक लक्षण?

भारतीय अनुबंध अधिनियम की धारा 172 के अनुसार ‘‘किसी श्रेणी के भुगतान अथवा किसी वचन के निष्पादन के लिये जमानत के रूप में निक्षेप को गिरवी कहते हैं। इस दशा में जो व्यक्ति गिरवी रखता है अर्थात् निक्षेपी को गिरवी रखने वाला (Plege or Pawnee) कहते हैं, एवं जिस व्यक्ति के पास वस्तु रखी जाती है …

Read more

विपत्र के आवश्यक तत्व अथवा परिभाषा का विश्लेषण

धारा 5 के अनुसार, ‘‘विपत्र एक ऐसा लेखपत्र है जिसमें एक शर्तरहित आदेश, इसके लिखने वाले के हस्ताक्षर के अन्तर्गतए किसी विशेष व्यक्ति को एक निश्चित रकम, किसी निश्चित व्यक्ति के आदेशानुसार अथवा विलेख के वाहक को, देने का होता है।’’ विपत्र के आवश्यक तत्व अथवा परिभाषा का विश्लेषण यदि हम उपर्युक्त परिभाषा का विश्लेषणात्मक अध्ययन …

Read more

कंपनी के प्रवर्तक कौन होता है?

कम्पनी निर्माण में प्रवर्त्तन पहली सीढ़ी है जिसके आधार पर कम्पनी के निर्माण हेतु आवश्यक कार्यवाही की जाती है। प्रवर्त्तन का अर्थ प्रारम्भ से है। कम्पनी का निर्माण प्रारम्भ करने से पूर्व कुछ लोग मिलकर किसी व्यवसाय को शुरू करने की कल्पना करते हैं अर्थात उन लोगों के मन में व्यावसायिक अवसर के बारे में विचार …

Read more

कंपनी अंकेक्षक की नियुक्ति कैसे होती है?

भारतीय कम्पनी अधिनियम, 1956 के अन्तर्गत प्रत्येक कम्पनी के लिए अपने लेखों का अंकेक्षण करना अनिवार्य है। यह अंकेक्षण ‘‘वैधानिक अंकेक्षण’’ कहलाता है। जो व्यक्ति इस कार्य के लिए नियुक्त किया जाता है उसे ‘‘वैधानिक अंकेक्षक’’ कहते हैं। भारतीय कम्पनी अधिनियम, 1 अप्रैल 1956 से लागू हुआ। इस अधिनियम की धाराएँ 224 से 233 तक अंकेक्षकों …

Read more

विकास प्रशासन का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ एवं क्षेत्र

‘विकास प्रशासन’ दो शब्दों ‘विकास’ तथा ‘प्रशासन’ के योग या मेल से बना है। ‘ कम वांछित परिस्थिति से अधिक वांछित परिस्थितियों की ओर अग्रसर होने की प्रक्रिया’ को विकास की संज्ञा देते हैं जबकि ‘प्रशासन सरकार का कार्यात्मक पहलू है जिसका अभिप्राय सरकार द्धारा लोक-कल्याण तथा जन-जीवन को व्यवस्थित करने हेतु किये गये प्रयासों से …

Read more

प्रशासनिक विकास क्या है?

साधारण शब्दों में प्रशासनिक विकास का तात्पर्य विकासात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु प्रशासन की परम्परागत को कमियों दूर करना तथा उसमें प्रशसनिक कुशलता एवं क्षमता का विकास करके, उसे नवीन व परिवर्तित परिस्थितियों के अनुरूप बनाना है। जे. एन. खोसला के अनुसार, “प्रशासनिक विकास में नौकरशाही की नीतियों, कार्यक्रमो, क्रियाविधियो, कार्य पद्धतियों, संगठनात्मक संरचनाओं, भर्ती प्रतिमानों, विभिन्न …

Read more

चिरस्थायी विकास क्या है? चिरस्थायी विकास के सामने चुनौतियाँ

साधारण तौर पर Sustainable Development से तात्पर्य विकास की एक ऐसी प्रक्रिया से है जो न केवल Eco-friendly है बल्कि पर्यावरण के अनुरूप बदलाव लाकर मानवीय जीवन में गुणात्मक सुधार को बढ़ावा देती है। Brundtland Commission के अनुसार Sustainable Development वह “विकास है जो आज की पीढ़ी के उद्देश्यों की प्राप्ति, जिससे आने वाली पीढ़ियों की …

Read more

बजट का अर्थ, परिभाषा स्वरूप, एवं सिद्धांत

‘बजट’ शब्द फ्रांसीसी भाषा के शब्द ‘बूजट’ (Bougette) से लिया गया है, जिसका अर्थ है चमड़े का बैग या थैला। आधुनिक अर्थ में इस शब्द का प्रयोग सबसे पहले इंग्लैण्ड में 1733 ई0 में किया गया जबकि वित्तमंत्री ने अपनी वित्तीय योजना को लोकसभा के सम्मुख प्रस्तुत किया तो पहली बार व्यंग के रूप में यह …

Read more

वित्त प्रशासन : अर्थ प्रकृति एवं कार्यक्षेत्र

‘वित्तीय प्रशासन’ शब्द का प्रयोग व्यापक अर्थ में किया जाता है। इसमें वे सब प्रक्रियाए सम्मिलित वित्त प्रशासन : अर्थ प्रकृति एवं कार्यक्षेत्र की जाती हैं जो कि निम्न कार्यों को सम्पन्न करने में उत्पन्न होती है: “सरकारी धन के संग्रह, बजट-निर्माण, विनियोजन तथा व्यय करने में, आय तथा व्यय, और प्राप्तियों एवं संवितरणों का लेखा-परीक्षण …

Read more

शून्य आधारित बजट क्या है || शून्य आधार बजटिंग की विशेषताएँ

जैसा कि आपको इस अवधारणा के नाम से ही स्पष्ट है कि इस बजट के अन्तर्गत कोई पूर्व निर्धारित आधार नहीं होता है। अत: इस बजट के निर्माण के लिए पूर्ववर्ती मदों को शून्य मान लिया जाता है। अर्थात् इस बजट का निर्माण बिना किसी आधार के किया जाता है। यह बजट पूर्ण रूप से लेखा …

Read more