ऊष्मा बजट क्या है पृथ्वी के ऊष्मा बजट का वर्णन

सौर विकिरण का वह भाग जो पृथ्वीतल पर लघु तरंगों के रूप में आता है, सूर्यातप कहलाता है। पृथ्वी भी अन्य वस्तुओं की भांति ताप ऊर्जा विकिरित करती रहती है इसे पार्थिव विकिरण कहते हैं। पृथ्वी की सतह का औसत वार्षिक तापमान हमेशा स्थिर रहता है। इसका प्रमुख कारण सूर्यातप और पार्थिव विकिरण के बीच संतुलन …

Read more

भूमंडलीय तापन क्या है तापमान एवं उसका वितरण

आज हमारी पृथ्वी के समक्ष सबसे बड़ी समस्या भूमंडलीय तापन है। वैज्ञानिक इसका संबंध वायु में ओजोन परत के घटने और कार्बन-डाइ-आक्साइड के बढ़ने से बताते हैं। आप जानते हैं कि समतापमंडल के ऊपरी भाग में ओज़ोन गैस की परत है। ओज़ोन सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेती है और उन्हें पृथ्वीतल तक …

Read more

पवनें किसे कहते है पवनों के प्रकार

वायुदाब के अन्तर के कारण क्षैतिज रूप में चलने वाली वायु को पवनें कहते हैं। जब वायु ऊध्र्वाधर रूप में गतिमान होती है तो उसे वायुधारा कहते हैं।  पवनों के प्रकार धरातल पर चलने वाली पवनों को स्थूल रूप से तीन वर्गों में रखा जाता है। भूमण्डलीय या स्थाई पवनें  आवर्ती पवनें  स्थानीय पवनें। 1. भूमण्डलीय पवनें …

Read more

वाष्पीकरण क्या है वाष्पीकरण को प्रभावित करने वाले कारक

पृथ्वी के सभी जलीय भागा,ें जैसे समुद्र , झील तालाब, नदी आदि से हर तापमान पर वाष्पीकरण होता रहता है। जल के तरल से गैसीय अवस्था में परिवतिर्त होने की प्रक्रिया को वाष्पीकरण कहते हैं। एक ग्राम जल को जल वाष्प में परिवतिर्त करने के लिए लगभग 600 कैलोरी ऊर्जा का प्रयोग होता है। इसे वाष्पीकरण …

Read more

संघनन क्या है संघनन की प्रक्रिया?

संघनन वह प्रक्रिया है जिसमें वायुमंडलीय जलवाष्प जल या बर्फ के कणों में बदलती है। यह वाष्पीकरण के ठीक विपरीत प्रक्रिया है। जब किसी संतृप्त वायु का तापमान ओसांक से नीचे गिरता है तो वह वायु अपने अन्दर उतनी आर्द्रता धारण नहीं कर सकती जितनी वह पहले धारण किये हुये थी। अत: आर्द्रता की अतिरिक्त मात्रा, …

Read more

भूमि संसाधन क्या है कृषि करने योग्य भूमि की उपलब्धता

भूमि हमारा मौलिक संसाधन है। ऐतिहासिक काल से हम भूमि से ईंधन, वस्त्र तथा निवास की वस्तुएं प्राप्त करते आए हैं। इससे हमें भोजन, निवास के लिए स्थान तथा खेलने एवं काम करने के लिए विस्तृत क्षेत्र मिला है। यह कृषि, वानिकी, पशुचारण, मत्स्यन एवं खनन सामग्री के उत्पादन में प्रमुख आर्थिक कारक रहा है। यह …

Read more

मृदा किसे कहते हैं, मृदा के कितने प्रकार है?

पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत को मृदा कहते हैं। यह अनेक प्रकार के खनिजों, पौधों और जीव-जन्तुओं के अवशेषों से बनी है। यह जलवायु, पेड़-पौधों, जीव-जन्तुओं और भूमि की ऊँचाई के बीच लगातार परस्पर क्रिया के परिणामस्वरूप विकसित हुई है। इनमें से प्रत्येक घटक क्षेत्र विशेष के अनुरूप बदलता रहता है। अत: मृदाओं में भी एक …

Read more

भारत में प्राकृतिक वनस्पति के प्रकार

पौधों की जातियों, जैसे पेड़ों, झाड़ियों, घासों, बेलों, लताओं आदि के समूह, जो किसी विशिष्ट पर्यावरण में एक दूसरे के साहचर्य में विकसित हो रहे हैं, को प्राकृतिक वनस्पति कहते हैं।  भारत में प्राकृतिक वनस्पति के प्रकार आर्द्र उष्णकटिबन्धीय सदाहरित एवं अर्द्ध सदाहरित वनस्पति उष्णकटिबन्धीय आर्द्र पर्णपाती वनस्पति उष्णकटिबन्धीय शुष्क वनस्पति ज्वारीय वनस्पति तथा पर्वतीय वनस्पति …

Read more

वर्षा जल संग्रहण का सामान्य अर्थ || वर्षा जल संग्रहण की विधियाँ

वर्षा जल संग्रहण का सामान्य अर्थ वर्षा के जल को एकत्रित करने से है। विशेष अर्थों में यह भूमिगत जल के पुनर्भरण बढ़ाने की तकनीक है। इस तकनीक में जल को बिना प्रदूषित किए स्थानीय रूप से वर्षा जल को एकत्रित करके जल को भूमिगत किया जाता है। इससे स्थानीय घरेलू मांग को, अभाव वाले दिनों …

Read more

राष्ट्रीय जल नीति क्या है?

जल राष्ट्रीय अमूल्य निधि है। सरकार द्वारा जल संसाधनों की योजना, विकास तथा प्रबंधन के लिए नीति बनाना आवश्यक है, जिससे पृष्ठीय जल और भूमिगत जल का न केवल सदुपयोग किया जा सके, अपितु भविष्य के लिए भी जल सुरक्षित रहे। वर्षा की प्रकृति ने भी इस ओर सोचने के लिए विवश किया है। इसी संदर्भ …

Read more