सामाजिक परिवर्तन के सिद्धांत (सामाजिक डार्विनवादी, चक्रीय सिद्धांत, पारसंस का उद्विकास सिद्धांत)

सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या समाजशास्त्रियों ने कतिपय सिद्धांतों के संदर्भ में की है। महत्वपूर्ण बात यह है कि सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया को हम किस उपागम से देखते है। यह उपागम ही सामाजिक परिवर्तन का सिद्धांत है। उदाहरण के लिये इतिहासकार टोयनबी या समाशास्त्री सोरोकनी जब सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या करते है तो उन्हें लगता है …

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सामाजिक परिवर्तन की कुछ सामान्य विशेषताओं का उल्लेख

मनुष्य को इस धरती पर रहते हुए कोई 5 लाख से अधिक वर्ष हो गये है। कृषि और आवास उसके जीवन के साथ कोई 10-12 हजार वर्ष हजार वर्ष पहले जुड़े है। इतिहासकारों की अटकल है कि दुनिया में सभ्यता का सूत्रपात कोई 6 हजार वर्ष से अधिक पुराना नहीं हैं। आज जब सामाजिक परिवर्तन का …

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सामाजिक वर्ग किसे कहते हैं सामाजिक वर्ग की कुछ परिभाषा दी गई है

सामाजिक वर्ग किसी समाज में निश्चित रूप से समान सामाजिक प्रतिष्ठा वाले लोगों को एकत्रित स्वरूप को कहते है। यह समुदाय का एक भाग अथवा ऐसे लोगों का एकत्रण है। जिनका आपस में एक दूसरे के साथ समानता का सम्बन्ध या व्यवहार होता है और जो समाज के अन्य भागों से मान्यता और स्वीकृत प्राप्त ऊँच-नीच …

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जाति का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, कार्य या लाभ, कुप्रभाव, दोष

समाज में अनेक प्रकार की जातियाँ होती है। जाति या वर्ण के चार प्रकार होते है (1) ब्राह्मण (2) क्षत्रिय (3) वैश्य (4) शूद्र। यह समाज चार वर्णो में बटा हुआ है सभी वर्ग के लोग अपनी जाति के अनुसार कार्य करते है। जाति शब्द की उत्पत्ति जाति शब्द ‘Spanish word ‘Casta’ से लिया गया है …

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नातेदारी का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, श्रेणियाँ

मानव का जन्म परिवार में होता है, यहीं से उसका पालन-पोषण प्रारम्भ होता है। समाजीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से व्यक्ति परिवार से निरन्तर कुछ ना कुछ सीखता ही रहता है। परिवार में ही उसे अपने रीति-रिवाज, परम्पराओं एंव रूढि़यांे की शिक्षा मिलती है। परिवार के सदस्य ही मानव के विचारों, मूल्यों, जीवन के ढंगांे ,भावनाओं …

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विवाह का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, नियम एवं उद्देश्य

विवाह का शाब्दिक अर्थ है, ‘उद्वह’ अर्थात् ‘वधू को वर के घर ले जाना।’ विवाह को परिभाषित करते हुए लूसी मेयर लिखते हैं, विवाह की परिभाषा यह है कि वह स्त्री-पुरुष का ऐसा योग है, जिससे स्त्री से जन्मा बच्चा माता-पिता की वैध सन्तान माना जाये। इस परिभाषा में विवाह को स्त्री व पुरुष के ऐसे …

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परिवार का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, तत्व एवं कार्य

परिवार का अर्थ है कुछ संबंधित लोगों को समूह जो एक ही घर में रहते हैं। परिवार के सदस्य, परिवार से जन्म, विवाह व गोद लिये जाने से संबंधित होते हैं। इससे परिवार की तीन विशेषताएं पता चलती हैं। ये हैं – दम्पति को विवाह करके पति पत्नी का नैतिक दर्जा प्राप्त होता है और वे …

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प्राथमिक समूह का अर्थ, परिभाषा एवं प्राथमिक समूह के लक्षणों का उल्लेख

प्राथमिक समूह के कई दृष्टाान्त है, परिवार, मित्र मण्डली, जनजातीय समाज, पड़ोस और खेल समूह। इनके सदस्यों के बीच में घनिष्ठ अनौपचारिक, प्रत्यक्ष संबंध होते है। इस समूह के सदस्यों में अपनवत् की भावना होती है। भारतीय गाँव एक प्राथमिक समूह है। गाँव के लोग न केवल एक दूसरे को व्यक्तिगत रूप् से जानते है, वे …

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समुदाय के आधार तत्व

समुदाय की अवधारणा समाज की एक लोकप्रिय अवधारणा है। सैद्धान्तिक दृष्टि से सबसे पहले इस अवधारणा का प्रयोग इमाइल दुर्खीम ने किया था। उन्होंने समाज को दो भागों में विभाजिहत किया। एक समाज जिसे वे यांत्रिक समाज कहते हैं वस्तुत: ग्रामीण समुदाय है। इस समुदाय में न्यूनतम श्रम विभाजन होता है, कानून का स्वरूप दमनात्मक होता है और …

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सहिष्णुता का अर्थ, परिभाषा, आवश्यकता एवं विकास

सहिष्णुता का शाब्दिक अर्थ है सहन करना। विरोधी के साथ न प्रवृत्ति करो, न निवृत्ति करो, किन्तु उपेक्षा करो। क्रोध करने वाले के साथ क्रोध नहीं, उसकी उपेक्षा करो।  सहिष्णुता का एक अर्थ है-सहन करके सुधार के लिए अवसर देना। किसी व्यक्ति की तुच्छता को सहन करना उसको बिगाड़ना नहीं, वरन् उसे सुधरने का अवसर देना …

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