नगरीकरण क्या है नगरीकरण से उत्पन्न होने वाली समस्याएं

जनसंख्या का ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों में जाना ’नगरीकरण’ कहलाता है। इसके परिणामस्वरूप जनसंख्या का बढ़ता हुआ भाग ग्रामीण स्थानों में रहने की बजाय शहरी स्थानों में रहता है।  नगरीकरण की परिभाषा थौमसन वारन (एनसाइक्लोपीडिया आफ सोशल साइन्सेज) ने इसकी परिभाषा इस प्रकार की हैः ’’यह ऐसे समुदायों के व्यक्तियों, जो प्रमुखरुप से या पूर्णरुप …

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ग्रामीण विकास का उद्देश्य

वास्तव में ग्रामीण विकास का उद्देश्य बहुत ही व्यापक है। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण जनसमुदाय के भौतिक एवं सामाजिक कल्याण में संवर्धन करना है। ग्रामीण विकास के उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु भूवैन्यासिक नियोजन के द्वारा ग्रामीण निवास्य प्रत्यावर्तन प्रक्रिया आवश्यक है। समन्वित ग्रामीण विकास क्षेत्र के भौतिक एवं मानवीय संसाधनों की सक्रियता हेतु लाभकारी नियोजन का …

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गाँव का अर्थ, परिभाषा, प्रकार एवं विशेषताएं

गाँव का अर्थ विभिन्न विद्वानों ने गाँव या ‘ग्रामीण’ शब्द की अनेक व्याख्याएं प्रस्तुत की हैं। कुछ व्यक्तियों का मत है कि जहाँ आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टि से पिछडे़ हुए लोग रहते हो, उस क्षेत्र को गॉव कहा जाए।  दूसरी ओर कुछ विद्वानों ने गाँव या ‘ग्रामीण’ शब्द उनके लिए उपयुक्त माना है, जहां कृषि को …

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मानव अधिकार के प्रकार और वर्गीकरण

मानव अधिकार का अर्थ सब जीवों में मानव ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ और सर्वोत्तम कृति है। अत: मानव द्वारा ही बनाए गए इस समाज में, उसे मानवीय मूल्यों और संबंधों को प्राथमिकता देने का अधिकार दिया जाना चाहिए। मानव अधिकार वस्तुतः वो मूल या नैसर्गिक अधिकार हैं, जो हर मनुष्य को प्रकृति द्वारा प्रदत्त है।  मानव अधिकार …

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समाज कल्याण प्रशासन के सिद्धांत व प्रकृति | principal or nature social welfare administration

समाज कल्याण प्रशासन समाज कार्य की एक प्रणाली के रूप में कार्यकताओं को प्रभावकारी सेवाओं हेतु ज्ञान एवं कौशल प्रदान करता है। यद्यपि समाज कल्याण प्रशासन , समाज कार्य की द्वितीयक प्रणाली मानी जाती है परन्तु प्रथम तीनों प्राथमिक प्रणालियों, वैयक्तिक सेवा कार्य, सामूहिक सेवा कार्य, तथा सामुदायिक संगठन की सेवाओं में सेवाथ्र्ाी को सेवा प्रदान …

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एक कर प्रणाली एवं बहुकर प्रणाली के गुण और दोष

एक कर प्रणाली के अंदर राज्य द्वारा केवल एक कर लगाया जाता है जो या तो कृषि उत्पादन पर हो सकता है, आय पर हो सकता है अथवा अन्य किसी वस्तु पर हो सकता है। एक कर प्रणाली एक कर- केवल कृषि पर – प्रकृतिवादी -अर्थशास्त्रियों का विचार था कि केवल कृषि उत्पादन पर कर लगाया जाये …

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सार्वजनिक ऋण के उद्देश्य

सार्वजनिक ऋण, राज्य द्वारा आय प्राप्त करने का एक साधन है। लोक अथवा सार्वजनिक ऋण उस ऋण को कहते हैं जिसे कि राज्य (state) अपनी प्रजा से अथवा अन्य देशों के नागरिकों से लेता है। सरकार जब उधार लेती है तो उससे लोक ऋण का जन्म होता है। सरकार बैंकों, व्यावसायिक संगठनों, व्यवसाय गृहों तथा व्यक्तियों …

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लोक व्यय क्या है? लोक व्यय में वृद्धि के कारण

लोक व्यय उस व्यय को कहते हैं, जो लोक सनाओं-अर्थात् केन्द्र, राज्य तथा स्थानीय सरकारों के द्वारा या तो नागरिकों की सामूहिक आवश्यकताओं की सन्तुष्टि के लिए किया जाता है अथवा उन के आर्थिक एवं सामाजिक कल्याण में वृद्धि करने के लिए। आजकल सरकारी व्यय की मात्रा, संसार के प्राय: सभी देशों में निरन्तर बढ़ रही …

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सहकारी समिति की विशेषताएं और प्रकार

सहकारी शब्द लातिन शब्द Co-operari से निकला है। जिसमें ‘Co’ का अर्थ है ‘के साथ’ तथा ‘operari’ का अर्थ है ‘कार्य करना’। सहकारी शब्द का अर्थ है साथ मिलकर कार्य करना। इसका अर्थ हुआ कि ऐसे व्यक्ति जो समान आर्थिक उद्देश्य के लिए साथ मिलकर काम करना चाहते हैं वे समिति बना सकते हैं। इसे ‘सहकारी …

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सामाजिक यथार्थ का अर्थ, परिभाषा, प्रकृति

सामाजिक यथार्थ से तात्पर्य ‘‘समाज से सम्बन्धित किसी भी घटनाक्रम का ज्यों का त्यों चित्रण ही सामाजिक यथार्थ कहलाता है।’’ इसके अतिरिक्त सामाजिक यथार्थ से तात्पर्य आम प्रचलित शब्दों में मनुष्य द्वारा की गई सामान्य क्रियाओं के सच्चे चित्रण से लिया जाता है। साहित्य से ही हमें तत्कालीन समाज की परिस्थितियों तथा जन-सामान्य के जीवन का …

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