ज्योतिबा फुले के विचार (राजनीतिक विचार, धार्मिक विचार, शिक्षा सम्बन्धी विचार)

ज्योतिबा फुले  ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट्र के सातारा जिले में माली जाति के एक परिवार में हुआ था। वे एक महान विचारक, कार्यकर्ता, समाज सुधारक, लेखक, दार्शिनक, संपादक और क्रांतिकारी थे। उन्होंने जीवन भर निम्न जाति, महिलाओं और दलितों के उद्धार के लिए कार्य किया। इस कार्य में उनकी धर्मपत्नी सावित्रीबाई …

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बौद्ध धर्म के त्रिपिटक कौन कौन से है और उनके क्या नाम हैं?

पश्चिमी पुस्तकालय में त्रिपिटक पुस्तकें बुद्ध अपने उपदेश मौखिक रूप में ही करते थे। उनके निर्वाण के 100 वर्ष बाद इन उपदेशों को विस्मृति के गर्भ से बचाने हेतु उनके पट्ट शिष्य आनंद के सहयोग से ‘सुत्त पिटक’ तथा उपालि के सहयोग से ‘विनय पिटक’ का संकलन किया गया। आगे चलकर सुत्त पिटक के दार्शनिक अंशों की …

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योग क्या है वर्तमान में इसकी योग उपयोगिता ?

योग एक आध्यात्मिक विद्या है किन्तु आधुनिक समय में योग का उन्नयन एवं विकास स्वास्थ्य योग विज्ञान के रूप में हो रहा है। आज योग को स्वास्थ्य के क्षेत्र में असीम सफलता प्राप्त हो रही है और लोग इससे पूर्णरूप से प्रभावित एवं लाभान्वित हो रहें हैं। योग और आयुर्वेद के अनुसार मनुष्य और पर्यावरण का …

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कौटिल्य का जीवन परिचय एवं कृतियाँ

कौटिल्य का जीवन परिचय ‘कौटिल्य’ का जन्म एवं नाम चाणक्य का जन्म 325 ई0पू0 हुआ था। कुछ विद्वानों का मत है कि आचार्य कौटिल्य का जन्म 400 ई0पू0 हुआ था। उनके पिता का नाम संभवतः चणक् अथवा शिवगुप्त था। आचार्य कौटिल्य के जीवन काल के विषय में यही कहा जा सकता है कि वे सम्राट चंद्रगुप्त …

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सूफी मत का इतिहास

सूफी शब्द की उत्पत्ति के संबंध में भी विद्वानों के कई विचार हैं। कुछ का मानना है कि इस शब्द की उत्पत्ति सफा शब्द से हुई जिसका अर्थ है पवित्र। मुसलमानों में जो सन्त पवित्रता और त्याग का जीवन व्यतीत करते थे वे सूफी कहलाये। एक और विचार है कि सूफी शब्द की उत्पत्ति सूफ शब्द …

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चेतना का अर्थ, परिभाषा, स्वरूप एवं महत्व

चेतना का अर्थ चेतना मन की एक स्थिति ही है – जिसके अन्तर्गत बाह्य जगत के प्रति संवेदनशीलता तीव्र अनुभूति का आवेग, चयन या निर्माण की शक्ति इन सबके प्रति चिन्तन विद्यमान रहता है ये सब बातें मिलकर किसी भी व्यक्ति की पूर्ण चैतन्य अवस्था का निर्माण करती है।   चेतना समझने की वस्तु है उसे परिभाषित …

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संत शब्द का अर्थ और परिभाषा

सामान्यत: ‘संत’ शब्द का प्रयोग प्राय बुद्धिमान, पवित्रात्मा, सज्जन, परोपकारी, सदाचारी आदि के लिए प्रयोग किया जाता है। कभी-कभी साधारण बालेचाल में इसे भक्त, साधु या महात्मा जैसे शब्दों का भी पर्याय समझ लिया जाता है। जहाँ तक ‘सतं’ शब्द के शाब्दिक निर्वचन का प्रश्न है उस संदर्भ में संस्कृत के शब्द ‘सन्त:’ से निर्मित हुआ …

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अस्तित्ववाद के प्रमुख विचारक कौन हैं

अस्तित्ववाद बीसवीं सदी का दर्शन है हालांकि यह संज्ञान में काफी पहले आ गया था। अस्तित्ववाद से हमारा परिचय साहित्यिक आंदोलन के रूप में होता है। अस्तित्ववाद में सिद्धांत व विचार की अपेक्षा व्यक्ति के अस्तित्व को महत्व दिया गया। वह उन सभी मान्यताओं, सिद्धांतों व संस्थाओं का विरोध करता है जो मानवीय गरिमा व उसके …

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भारतीय दर्शन क्या है? भारतीय दर्शन की प्रमुख विशेषताएं

भारतीय दर्शन अध्यात्म विद्या है। भारत में दर्शनशास्त्र मूल रूप से आध्यात्मिक है। ‘दर्शन’ शब्द दर्शनार्थक दृश् धातु से बनता है जिसका अर्थ है देखना या अवलोकन करना। अत: इसका व्युत्पत्तिलभ्य अर्थ किया जाता है ‘दृश्यते अनेन इति दर्शनम्’ अर्थात् जिसके द्वारा देखा जाय और क्या देखा जाय ? साधारणत: हम आँखों से देखते हैं तथा …

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चार्वाक दर्शन क्या है ?

चार्वाक दर्शन क्या है ?  लोक में अन्यन्त प्रिय लोकायत- दर्शन ही चार्वाक दर्शन कहलाता है। देवताओं के गुरू बृहस्पति द्वारा प्रणीत होने के कारण इसका नाम बार्हस्पत्य-दर्शन है। ईश्वर और वेद के प्रामाण्य का सर्वथा खण्डन करने के कारण यह ‘नास्तिक दर्शन’ है। भारतीय दर्शन में बौद्ध-जैन इत्यादि अन्य दर्शनों को भी नास्तिक की संज्ञा …

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