संत तुकाराम महाराज का जीवन चरित्र और प्रमुख रचनाएँ

संत तुकाराम महाराज का जीवन चरित्र संत तुकाराम महाराज विट्ठल के भक्त थे। उनके जन्म काल के बारे में मतभेद है। डॉ. अशोक का मत ने उनका जन्म सन् 1568, प्रभाकर सदाशिव पंडित ने सन् 1597, प्रसिद्ध इतिहासविद् राजवाडे़ ने उनका जन्म शके 1490, श्री भारदे ने उनका जन्म शके 1520, श्री पांगारकर व महीपति बुवा …

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कालिदास का जीवन परिचय एवं प्रमुख रचनाएँ

संस्कृत महाकाव्य के विकास की चर्चा के क्रम में प्रथम नाम कालिदास का ही लिया जाता है। कालिदास का स्थितिकाल विक्रम संवत् के प्रथम शतक में माना गया है।  कालिदास का जन्म कालिदास के समय के विषय में प्रमाणित सामग्री के उपलब्ध न हो सकने के कारण अभी तक कोई निर्णायक निष्कर्ष नहीं निकल पाया है। …

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नागार्जुन का जीवन परिचय, रचनाएं, पुरस्कार एवं सम्मान

बाबा नाम से पुकारे जाने वाले प्रगतिशील जनकवि नागार्जुन (मूल नाम श्री वैद्यनाथ मिश्र) का जन्म कब हुआ उन्हें भी ठीक से नहीं मालूम। 1911 की जून में वे किसी दिन पैदा हुए ऐसा मान लिया जाता है। माँ का देहांत बचपन में ही हो गया, पिता की कई संताने नहीं बचीं। वैद्यनाथ की मान्यता से …

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जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं

जयशंकर प्रसाद-युग-प्रर्वतक महाकवि हैं। वे बहुमुखी, प्रतिभा-सम्पन्न एवं छायावाद के जनक (प्रवर्तक) हैं। उन्होंने साहित्य की सभी विधाओं में रचना की है। निबन्ध, कहानियाँ, उपन्यास, नाटक, मुक्तक, खण्डकाव्य, महाकाव्य-सभी क्षेत्रों में उनकी प्रतिभा अद्वितीय सिद्ध हुई है। छायावाद के उद्भावक तथा समग्र-भावुकता एवं चिन्तन का एक साथ वर्णन करने वाले इस महाकवि का जन्म काषी के सुँघनी …

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सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की प्रमुख रचनाएँ

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म सन् 1896 ई. में बसन्त पंचमी के दिन बंगाल के महिषादल नामक स्थान पर हुआ। निराला की जन्म तिथि के विषय में विद्वान में पर्याप्त मतभेद भी पाये जाते है। निराला के पिता पं. राम सहाय, गढ़ा कोला, जिला उन्नाव के रहने वाले थे आर्थिक परिस्थिति के कारण कलकत्ता में जाकर पुलिस …

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सुमित्रानंदन पंत की प्रमुख रचनाएँ

सुमित्रानंदन पंत का जन्म 20 मई  सन 1900 ई. रविवार को कौसानी में हुआ। यह स्थान अल्मोड़ा नगर से 53 किलोमीटर की दूरी पर हिमालय की सौन्दर्य  पुलकित घाटी में स्थित है। सुमित्रानंदन पंत 1910 ई में अल्मोड़ा गए। यही 15-16 वर्ष  की आयु से नियमित कविता लिखना शुरू किया। आठवी कक्षा से ही सुमित्रानंदन पंत ने हिन्दीकविता …

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छायावादी कवि के नाम और उनकी रचनाएँ

छायावादी काव्य का प्रारम्भ कब हुआ? यह प्रश्न आज भी विवाद का विषय बना हुआ है। स्थूल  रूप से यह माना जाता है कि द्विवेदी युग  सन् 1920 के बाद निष्पभाव हो गया था। वस्तुतः आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित पत्रिका ‘‘सरस्वती‘‘ ही संपादन अवधि को ही द्विवेदी युग की संज्ञा देना उपयुक्त है। उनके कार्यकाल …

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भाषा की परिभाषा, प्रकृति, विशेषताएं, महत्व

उच्चरित ध्वनि संकेतों की सहायता से भाव या विचार की पूर्ण अथवा जिसकी सहायता से मनुष्य परस्पर विचार-विनिमय करता या सहयोग करते हैं, उस यादृच्छिक रूढ़ ध्वनि-संकेतों की प्रणाली को भाषा कहते हैं’’। यहां तीन बातें विचारणीय हैं- ’’सार्थक शब्दों के समूह या संकेत को भाषा कहते हैं। यह संकेत स्पष्ट होने चाहिए। मनुष्य के जटिल …

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केदारनाथ सिंह का जीवन परिचय एवं रचनाएं

समकालीन कविता में केदारनाथ सिंह एक महत्वपूर्ण नाम है। अज्ञेय द्वारा संपादित ‘तीसरा सप्तक‘ (1959) से  लेकर ‘सृष्टि पर पहरा‘ ‘2014‘तक उनका व्यापक काव्य संसार फैला हुआ है। समकालीन कविता में उन्हें बहुश्रुत और  बहुउद्धत कवि के रूप में स्मरण किया जाता है। उन्होंने अपने समय की कविता के दनात्मक पक्ष को सबल करने के साथ …

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शरद जोशी जीवन परिचय, रचनाएँ, भाषा शैली, साहित्य में स्थान

शरद जोशी ने सामाजिक परिवर्तनों, राजनीतिक और सांस्कृतिक उथल-पुथल को बड़ी बारीकी से समझा और देखा था।  शरद जोशी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर गहरा असर पड़ा। शरद जोशी वर्तमान व्यवस्था से बहुत क्षुब्ध थे। वे स्वयं कदम-कदम पर दिखने वाले व्यवस्था के खोखलेपन को एक पल भी सहने के लिए तैयार नहीं होते थे। वे …

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