राष्ट्रभाषा और राजभाषा किसे कहते हैं?

हिन्दी ग्यारहवीं सदी से ही अक्षुण्ण रूप से इस देश की राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित रही है, भले ही राजकीय प्रशासन के स्तर पर कभी संस्कृत, कभी फारसी और अंग्रजी की मान्यता रही हो, लेकिन समूचे राष्ट्र के जन-समुदाय के आपसी सम्पर्क, संवाद-संचार विचार-विमर्श, सांस्कृतिक ऐक्य और जीवन-व्यवहार का माध्यम हिन्दी ही रही। वस्तुतः आदिकाल …

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हिंदी वर्तनी का मानकीकरण की आवश्यकता और हिंदी वर्तनी के नियम

शिक्षा मंत्रालय ने विभिन्न भाषाविदों के सहयोग से हिंदी वर्तनी की विविध समस्याओं पर गम्भीर रूप से विचार-विमर्श करने के बाद अपनी संस्तुतियाँ सन् 1967 में हिंदी वर्तनी का मानकीकरण’ नामक एक पुस्तिका प्रकाशित की जिसकी काफी सराहना हुई। हिंदी वर्तनी का मानकीकरण की आवश्यकता  किसी भी भाषा के सीखने-सिखाने में सहायक या बाधक बनने वाले …

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राष्ट्रभाषा का अर्थ और परिभाषा

समाज में जिस भाषा का प्रयोग होता है साहित्य की भाषा उसी का परिष्कृत रूप है। भाषा का आदर्श रूप यही है जिसमें विशाल समुदाय अपने विचार प्रकट करता है। अर्थात् वह उसका शिक्षा, शासन और साहित्य की रचना के लिए प्रयोग करता है। इन्हीं कारणों से जब भाषा का क्षेत्र अधिक व्यापक और विस्तृत होकर …

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सम्पर्क भाषा क्या है।। सम्पर्क भाषा के रूप मे हिन्दी का मूल्यांकन

सम्पर्क भाषा या जनभाषा वह भाषा होती है जो किसी क्षेत्र, प्रदेश या देश के ऐसे लोगों के बीच पारस्परिक विचार-विनिमय के माध्यम का काम करे जो एक दूसरे की भाषा नहीं जानते। दूसरे शब्दों में विभिन्न भाषा-भाषी वर्गों के बीच सम्पे्रषण के लिए जिस भाषा का प्रयोग किया जाता है, वह सम्पर्क भाषा कहलाती है। …

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मानक भाषा का तात्पर्य क्या है मानक और अमानक भाषा की पहचान?

मानक भाषा को कई नामों से पुकारते हैं। इसे कुछ लोग ‘परिनिष्ठित भाषा’ कहते हैं और कई लोग ‘साधु भाषा’। इसे ‘नागर भाषा’ भी कहा जाता है । अंग्रेजी में इसे Standard Language’ कहते हैं। मानक का अर्थ होता है एक निश्चित पैमाने के अनुसार गठित। मानक भाषा का अर्थ होगा, ऐसी भाषा जो एक निश्चित …

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अनुवाद के प्रकार तथा वर्गीकरण

जब अनुवाद में दो भाषाओं का प्रस्ताव होता है, तो किसी एक ही पद्धति में उसका अनुवाद नहीं हो पाता।रचना, विषय, अनुवाद सिद्धातों आदि के विभिन्न रूपों के कारण विभिन्न प्रकारों में अनुवाद करना पड़ता है।अनुवाद प्रकारों के निर्धारण का उद्देश्य अनुवाद प्रणालियों के विविध प्रकारों में एक स्पष्ट विभाजक रेखा खींचनाभी है ताकि अनुवाद विषयक …

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छंद के प्रकार और उदाहरण

निश्चित चरण, वर्ण, मात्रा, गति, यति, तुक और गण आदि के द्वारा नियोजित पद्य रचना को छंद कहते हैं। छंद के प्रकार और उदाहरण 1. मात्रिक छंद – जिन छंदों की रचना मात्राओं की गणना के आधार पर होती हैं, उन्हें मात्रिक छंद कहते है। जैसे-दोहा, चौपाई, रोला आदि।  मात्रिक छंद तीन प्रकार के होते हैं-  वर्णिक छंद- जिन …

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अलंकार के प्रकार एवं उदाहरण

अलंकार शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है ‘आभूषण’ यानी गहने, किन्तु शब्द निर्माण के आधार पर अलंकार शब्द ‘अलम्’ और ‘कार’ दो शब्दों के योग से बना है। ‘अलम्’ का अर्थ है ‘शोभा’ तथा ‘कार’ का अर्थ हैं ‘करने वाला’। अर्थात् काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तथा उसके शब्दों एवं अर्थों की सुन्दरता में वृद्धि करके …

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