स्वस्थ व्यक्तियों पर मूत्र चिकित्सा का प्रभाव \ रोगी व्यक्तियों पर मूत्र चिकित्सा का प्रभाव

शाब्दिक रुप से देखने पर मूत्र चिकित्सा का अर्थ स्वत: ही स्पष्ट हो जाता है-’’ मूत्र द्वारा विविध रोगों की चिकित्सा करना मूत्र चिकित्सा कहलाता है। इसके अन्तर्गत प्रमुख रुप से स्वमूत्र एवं गौमूत्र द्वारा चिकित्सा करने का वर्णन आता है। मूत्र चिकित्सा को प्राचीन शास्त्रों में शिवाम्बु कल्प का नाम देते हुए कहा गया है …

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संगीत हमारे स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है?

ध्वनि चिकित्सा के जितने भी रूप है, उनमें संगीत चिकित्सा सर्वाधिक लोकप्रिय है। यदि हम गहराई से अनुभव करें तो पायेंगे कि ब्रह्माण्ड की सम्पूर्ण संरचना ही संगीतमय है। सृष्टि के आदि में भी सर्वप्रथम अनाहत नाद अर्थात् ऊँकार की ध्वनि ही उत्पन्न हुयी थी और उसके बाद फिर सृष्टि रचना का क्रम आरींा हुआ। इस …

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प्रार्थना का अर्थ, परिभाषा, प्रार्थना का निर्माण करने वाले कौन-कौन पृथक्-पृथक् तत्व हैं ?

प्रार्थना मनुष्य की जन्मजात सहज प्रवृत्ति है। संस्कृत शब्द प्रार्थना तथा आंग्ल (इंग्लिश) भाषा के Prayer शब्द, इन दोनों में अर्थ का दृष्टि से पूरी तरह से समानता है –  संस्कृत में ‘‘प्रकर्षेण अर्धयते यस्यां सा प्रार्थना’’ अर्थात प्रकर्ष रूप से की जाने वाली अर्थना (चाहना अभ्यर्थना)   आंग्ल भाषा का Prayer यह शब्द Preier, precari, prex, prior …

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प्राण चिकित्सा क्या है प्राण चिकित्सा की सावधानियॉ

प्राण चिकित्सा के अन्तर्गत उपचारक अपने हाथों के माध्यम से ब्रह्माण्डीय प्राणऊर्जा को ग्रहण करके हाथों द्वारा ही रोगी व्यक्ति में प्रक्षेपित करता हैं। इस प्रकार इस चिकित्सा पद्धति में चिकित्सक रोगी की प्राणशक्ति को प्रभावित करके उसे स्वास्थ्यलाभ प्रदान करता है। प्राण चिकित्सा के द्वारा न केवल दूसरों का वरन् स्वयं का भी उपचार किया …

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एक्यूप्रेशर चिकित्सा क्या है इस चिकित्सा पद्धति के लाभ

एक्यूप्रेशर (Acupressure) वह चिकित्सा पद्धति है। जो अधिक प्रभावशाली व प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। इस चिकित्सा पद्धति का सिद्धान्त पूरी तरह प्राकृतिक है। इस पद्धति के एक अन्य विशेषता यह है कि यह चिकित्सा पद्धति बिल्कुल सुरक्षित चिकित्सा पद्धति है। इस में किसी प्रकार की नुकसान की सम्भावना नहीं होती है। इस पद्धति में शरीर के …

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एक्यूप्रेशर चिकित्सा का इतिहास || Acupressure in Hindi

Acupressure एक्यूप्रेशर चिकित्सा वह पद्धति है जिससे पैरो, हाथों व चेहरे के कुछ खास केन्द्रों पर दबाव डाला जाता है इन केन्द्रों को Respopnse Center या Reflex Center भी कहते है हिन्दी में इसे प्रतिबिम्ब केन्द्र कहते है। रोग की अवस्था में इन केन्द्रो पर जब प्रेशर देते है तो वहाँ पर बहुत तेज दर्द होता …

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संतुलित आहार का अर्थ, परिभाषा, प्रमुख घटक, महत्व

ऐसा आहार जिसमें वे सभी चीजें उचित मात्रा में मौजूद हों जो शरीर निर्वाह के लिए आवश्यक है। ऐसे ही भोजन से शरीर का भली-भाँति पोषण होता है। उससे पर्याप्त शक्ति और ताप की उपलब्धि होती है तथा स्वास्थ्य एवं आयु की वृद्धि होती है। संतुलित आहार में कार्बोज, वसा, प्रोटीन, खनिज लवण, जल तथा सभी प्रकार के विटामिन उचित मात्रा में होते हैं जिनसे शरीर …

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आहार के स्रोत से हमारा क्या तात्पर्य है। मानव आहार के मुख्य रूप से दो स्रोत माने गये हैं-

मानव आहार प्राणी आहार माँस,मछली, अण्डा, दूध वनस्पति आहार अनाज, दाल, शर्करा, सब्जियाँ, फल, सूखेफल, मसाले आपके मन में यह जानने की जिज्ञासा उत्पन्न हो रही होगी कि आहार के स्रोत से हमारा क्या आशय है? वस्तुत: आहार के स्रोत से हमारा आशय यह है कि हमें आहार कहाँ-कहाँ से प्राप्त होता है। जिन भी पदार्थों …

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आहार का अर्थ, परिभाषा, महत्व, उद्देश्य, आवश्यकता

कोई भी खाने योग्य पदार्थ जो शरीर के लिये उपयोगी सिद्ध हो, आहार या भोजन है’’। भोजन के अन्तर्गत ठोस, अर्द्धठोस तथा तरल सभी प्रकार के खाद्य पदार्थ आ सकते हैं। भोजन की दो मुख्य विशेषताएं हैं:- भोज्य पदार्थ खाने योग्य हों। भोजन पदार्थों से शरीर को पोषण मिलना चाहिए। भोजन, पोषक तत्वों तथा पोषण प्रदान …

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(अम्ल पित्त) एसिडिटी का आयुर्वेदिक और प्राकृतिक उपचार

अम्लपित्त का अर्थ है आमाशय में अत्यधिक अम्ल का बनना। यह रोग पाचन संस्थान के उपरी भाग अर्थात् आमाशय एवं ग्रसनी को प्रभावित करता है। पाचन संस्थान का स्वस्थ रहना उत्तम स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक है क्योंकि स्वस्थ पाचन संस्थान शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का आधार स्तंभ माना गया है। जीवन को सुखपूर्वक व्यतित करने …

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