पीड़ा का अर्थ, परिभाषा एवं स्वरूप

पीड़ा का शाब्दिक अर्थ : संस्कृत-हिन्दी कोश  में पीड़ा का अर्थ “दर्द, कष्ट, भोगना, सताना, परेशानी” आदि के विकल्प स्वरूप लिया गया है । प्राकृत हिन्दी शब्दकोश म पीड़ा का अर्थ “परेशानी, वेदना” आदि के रूप में  लिया गया है । संस्कृत-हिन्दी-अंग्रेजी शब्दकोश म पीड़ा का अर्थ “दवाव, क्षति, क्लेश” बताया गया है ।  इस प्रकार …

Read more

वसा में घुलनशील विटामिन और इसके कार्य, प्राप्ति के साधन, कमी से होने वाले रोग

वसा में घुलनशील विटामिन की खोज सबसे पहले हुई। वसा में घुलनशील विटामिन इस प्रकार है – विटामिन ए, विटामिन डी, विटामिन ई , विटामिन के। वसा में घुलनशील विटामिन और इसके कार्य, प्राप्ति के साधन, कमी से होने वाले रोग वसा में घुलनशील विटामिन और इसके कार्य, प्राप्ति के साधन, कमी से होने वाले रोग, …

Read more

जल में घुलनशील विटामिन के कार्य, जल में घुलनशील विटामिन की कमी से होने वाले रोग

जल में घुलनशील विटामिन ‘‘बी-काम्पलैक्स’’ यह एक विटामिन न होकर कई विटामिनों का एक समूह है। इन सब विटामिन्स को सम्मिलित रूप से विटामिन ‘बी’ काम्पलैक्स कहते हैं।  जल में घुलनशील विटामिन के नाम जल में घुलनशील विटामिन के समूह में आने वाले विटामिन्स हैं – थायमिन (Thiamine)  राइबोफ्लेविन (Riboflavin) नायसिन (Nicene) बी-6 या पाइरीडोक्सिन (B6 or …

Read more

वसा के प्रमुख स्रोत एवं शरीर में वसा के कार्य

वसा किन्हीं एक एल्कोहल जैसे- सिसदीन तथा ग्लिसरॉल तथा एक वसीय अम्ल के संयोजन से बनते हैं। वसीय अम्लों में कार्बन तथा हाइड्रोजन अधिक मात्रा में तथा आक्सीजन अपेक्षाकृत कम मात्रा में उपस्थित होने से सभी वसाओं की ज्वलनशक्ति बहुत अधिक होती है।  वसाओं में ऑक्सीजन तथा कार्बन- हाइड्रोजन का अनुपात भिन्न होने के कारण यह …

Read more

कार्बोहाइड्रेट्स के प्रमुख स्रोतों के नाम, कार्बोहाइड्रेट कार्य करता है

आहार में ऊर्जा का अधिकतर भाग कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) से ही लिया जाता है। सामान्य रूप से 55 से 65 प्रतिषत ऊर्जा का भाग कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) के द्वारा लिया जाना चाहिए। कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) का निर्माण पेड़-पौधों की हरी पत्तियों के द्वारा होता है। पेड़-पौधे भूमि से जल तथा वातावरण से कार्बन डाई ऑक्साइड लेकर सूर्य के प्रकाश …

Read more

प्रोटीन की कमी से होने वाले रोगों के नाम

प्रोटीन जन्तु तथा वनस्पति दोनों साधनों से प्राप्त होता है। प्रोटीन का निर्माण प्रारम्भिक रूप से वनस्पति में ही होता है। वनस्पति भूमि से नाइट्रोजन, जल, हवा आदि लेकर प्रोटीन का निर्माण करते हैं तथा अपने बीजों में संग्रह करते हैं। मनुष्य जन्तु एवं वनस्पति दोनों माध्यम से प्रोटीन का उपयोग करता है, परन्तु जन्तु प्रोटीन …

Read more

मस्तिष्क के विभिन्न भाग एवं उनके कार्य का वर्णन

केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र की दो प्रमुख संरचनाएँ सुषुम्ना (spinal cord) एवं मस्तिष्क (brain) हैं इसका अनुमानित भार 1420 ग्राम होता हें मस्तिष्क सिर की खोपड़ी में अवस्थित होता हैं मस्तिष्क तीन सुरक्षा परतों से घिरा होता हे जो कि उत्तकों से बनी होती हे, ऐसी सुरक्षा परतों को मेनिंग्स कहा जाता हैं सबसे बाहरी परत को …

Read more

औषधि का अर्थ, परिभाषा एवं वर्गीकरण

कई प्रकार के वनस्पतियां से प्राप्त होने वाली पार्थिव द्रव्य जिनके द्वारा शरीर में उत्पन्न रोग सही होकर रोगी स्वस्थ होता है औषधि कहलाते हैं। औषधि का अर्थ औषधि शब्द के अनेक अर्थ दिये गए हैं। सायण ने व्युत्पत्ति दी है-ओश: पाक: आसु धीयते इति ओशधय: जिनके फल पकते हैं, उन्हें औषधि कहते हैं। यास्क ने …

Read more

रोग क्या है रोग के प्रकार?

शरीर में जब किसी प्रकार का कष्ट या तकलीफ होता है या जब स्वास्थ्य हमारा साथ नहीं देता हम अपने स्वाभाविक कार्य को ठीक प्रकार से नहीं कर पाते, तब हम कहते हैं कि हमें रोग हो गया या हम बीमार हो गए।  जब हमारा खान-पान अनियमित या प्रकृति विरूद्ध हो, आहार-विहार दूषित होता है, चिन्तन …

Read more

जल चिकित्सा की विधियाँ

जल चिकित्सा का बहुत अधिक महत्व दिया गया है। रूद्र और वरूण देवों को जल चिकित्सा के क्षेत्र में अग्रगण्य बताया गया है। रूद्र को प्रथम दिव्य भिशक् माना गया है। इसीलिए रूद्र को जल-चिकित्सक भी कहा जाता हैं। इसी प्रकार वरूण को वैद्यों का स्वामी और चिकित्सक कहा गया है। सोम राजा का कथन है …

Read more