फलों का महत्व और वर्गीकरण

फलों को हमारे दैनिक जीवन में आदिकाल से ही बड़ा महत्व दिया जाता रहा हैं। फलों का वर्गीकरण कई प्रकार से किया गया है जिसमें निम्नांकित वर्गीकरण उपयुक्त माना जाता हैं ।  फलों का महत्व फलों का नियमित सेवन मानव शरीर के स्वस्थ संचालन तथा उचित वृद्धि के लिए अत्यंत आवश्यक है  संतुलित भोजन के रूप …

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फसलों का वर्गीकरण

उगाये गये पौधों के समूह को फसल कहते हैं। भारतीय कृषि फसलों का वर्गीकरण कई प्रकार से किया गया हैं जो हैं :-  फसलों का वर्गीकरण  पौधों के जीवन चक्र के आधार पर फसलों का वर्गीकरण एक वर्षीय फसलें :- यह अपनी जीवन चक्र एक वर्ष के अन्दर पूर्ण कर लेते हैं जैसे- गेहूँ, चना आदि।  …

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प्राकृतिक वनस्पति का वर्गीकरण

वनस्पति का वर्गीकरण प्राकृतिक वनस्पति के अन्तर्गत पेड़-पौधे, लतायें तथा घासें सम्मिलित हैं। पादप जगत में विविधता पायी जाती हैं। अब तक लगभग 40,000 पौधों की जातियों का पता लगाया जा चुका हैं। पौधों का वर्गीकरण नमी, आकारकीय लक्षणों, पदानुक्रम तथा जीवन अवधि आदि के आधारों पर किया जाता हैं, जिसमें से कुछ वर्गीकरण हैं :-  …

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जैव विविधता क्या है जैव विविधता के प्रकार?

हमारे आस-पास हर स्थान पर जीवित प्राणी विद्यमान है – समुद्र की अथाह गहराइयों में भी और बर्फ से ढके आर्कटिक और अंटार्कटिक महाद्वीपों में भी। जहाँ एक और सूक्ष्मदर्शी, एकमात्र कोशिका वाले जीवाणु है, वहीं दूसरी ओर हाथी, गैंडे या व्हेल जैसे विशाल आकार के जन्तु भी हमारी पृथ्वी पर पाए जाते हैं।  क्या आपने, …

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प्राकृतिक आपदा के प्रकार, प्राकृतिक संकट और प्राकृतिक आपदा में क्या अंतर है?

मानव पर दुष्प्रभाव डालने वाले प्राकृतिक परिवर्तनों को प्राकृतिक आपदाएं है।  प्राकृतिक आपदा के प्रकार 1. भूकम्प – भूकंप आकस्मिक पर्यावरणीय अपदा है, जिसके सामने मानव की समस्त शक्तियाँ व्यर्थ हैं। भूकंप पृथ्वी की आन्तरिक चट्टानों में तनाव के कारण प्रकट होता है जिसका अनुमान लगाना आज भी सम्भव नहीं है। भूकंप के झटके कुछ ही क्षणों …

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विश्व के प्रमुख महासागर और उनकी विशेषताएं

महासागर एक विशाल और लगातार जल खण्ड है जो पृथ्वी के सभी भूखण्डों को चारों ओर से घेरे हुए है। दक्षिणी गोलार्द्ध के 4/5 तथा उत्तरी गोलार्द्ध के 3/5 भाग पर समुद्री जल है। इसमें विश्व के समूचे जल का 97.2 प्रतिशत जल है। विश्व के प्रमुख महासागर विश्व के प्रमुख महासागर और उनकी विशेषताएं – …

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मानसून किसे कहते हैं ?

मानूसन से तात्पर्य उष्ण कटिबन्धीय प्रदेशों के ऐसे पवनों के तंत्र से है जिसमें ग्रीष्म और शीत ऋतुओं में पवनें अपनी दिशा पूर्णतया पलट लेती हैं। शीतऋतु में ये पवनें स्थल से समुद्र की ओर तथा ग्रीष्म ऋतु में समुद्र से स्थल की ओर चलती हैं। इसलिये, मानसून पवनों के प्रभाव प्रदेशों में अधिकांश वर्षा ग्रीष्म …

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मृदा अपरदन के कारण एवं मृदा अपरदन रोकने के उपाय

मृदा को अपने स्थान से विविध क्रियाओं द्वारा हटाया जाना मृदा अपरदन कहलाता है। मृदा अपरदन आज की पर्यावरणीय समस्याओं में से एक प्रमुख समस्या है और यह कृषि के उत्पादन में गंभीर रुकावट है। मृदा अपरदन के प्रमुख सामाजिक कारक है: वनों की कटाई, अतिचराई, भूमि उपयोग की प्रकृति और खेती करने की विधियाँ।  मृदा …

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पर्यावरण संरक्षण क्या है पर्यावरण संरक्षण के उपाय?

मानव जन्म लेते ही पर्यावरण के सम्पर्क में आ जाता है। पृथ्वी पर विद्यमान जल, थल, वायु, वनस्पति, पशु-पक्षी आदि ऐसे प्राकृतिक तत्त्व हैं जो प्राणिजगत् के जीवन को सञ्चालित करने के लिए एक ऐसी पर्यावरणीय दशा का निर्माण करते हैं जिससे न केवल समस्त प्राणिजगत् के क्रिया-कलाप सञ्चालित होते हैं अपितु उन्हें एक दूसरे पर …

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पर्यावरण का अर्थ, परिभाषा, प्रकार एवं तत्व

पर्यावरण (Environment) शब्द का निर्माण दो शब्दों से मिलकर हुआ है – परि आवरण। ‘परि’ का अर्थ है- चारों तरफ से और ‘आवरण’ का अर्थ है- ढँके हुए। इस प्रकार पर्यावरण या वातावरण शब्द का अर्थ हुआ व्यक्ति के आस-पास और चारों ओर जो कुछ भी है, वही उसका पर्यावरण कहा जाता है। मानव के चारों …

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