भारत में लोहा उत्पादक क्षेत्रों का वर्णन

विश्व में अन्य किसी धातु का इतना अधिक व्यापक रुप में प्रयोग नहीं किया जाता है, जितना कि लोहे का। लोहा किसी भी देश के आर्थिक विकास का मुख्य आधार है। यह धातु सस्ती होने के साथ-साथ बहुउपयोगी है। यही कारण है कि वर्तमान में अन्य कोई धातु इससे प्रतिस्पर्धा करने में सफल नहीं हो सकी …

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खनिज संसाधन किसे कहते हैं \\ खनिजों का वर्गीकरण। Classification of Minerals

खनिज प्राकृतिक रासायनिक यौगिक तत्व हैं। जो प्रमुखता अजैव प्रक्रियाओं से बना हैं। भूमि से खोदकर निकाले गये पदार्थों को खनिज संसाधन कहते हैं। खनिजों का वर्गीकरण खनिजो की प्रकृति, संरचनाएवं उपयोगिता के आधार पर भारत में पाये जाने वाले खनिज पदार्थों को तीन वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है – (1) धात्विक खनिज – …

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भारत में वनों के प्रकार, भारत के वनों का वर्गीकरण \\ Types Of Forest In India

भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2019 के अनुसार भारत में कुल वन क्षेत्र 7,12,249 वर्ग किलोमीटर है जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 21.67 प्रतिशत है। वर्ष 2017 में भारत में कुल वन क्षेत्र 70,82,73 किलोमीटर की कमी आयी है।  भारत में वनों के प्रकार भारत में 17 प्रकार के वनों का उल्लेख किया गया है। …

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संसाधन किसे कहते हैं – अर्थ, परिभाषा, वर्गीकरण, महत्व, संसाधन संरक्षण की विधियाँ

संसाधन शब्द का अभिप्राय मानवी उपयोग की वस्तुओं से है। ये प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों हो सकती हैं। भूमि, जल, वन, वायु, खनिज घरों, भवनों, परिवहन एवं संचार के साधन ये संसाधन काफी उपयोगी भी हैं और मानव के विकास के लिए आवश्यक भी। संसाधन शब्द का अभिप्राय मानव उपयोग की वस्तुओं से है। ये प्राकृतिक …

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भूगोल का अर्थ, परिभाषा, प्रकृति, क्षेत्र एवं अध्ययन विधियां

भूगोल का अर्थ ‘भूगोल’ शब्द हिन्दी के दो शब्दों से बना है – भू गोल अर्थात् पृथ्वी गोल है। भूगोल शब्द का पहला प्रयोग इरेटोस्थेनस (276 ई.पू.-194 ई.पू.) द्वारा किया गया था जिसका अर्थ ‘पृथ्वी का वर्णन था’। इस शब्द की व्युत्पत्ति ग्रीक भाषा के दो शब्दों ‘जिओ’ (पृथ्वी) तथा ‘ग्राफोस’ (वर्णन) से हुआ है। समय के …

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जैवमंडल क्या है जैवमंडल के प्रमुख घटक

जैवमंडल से तात्पर्य पृथ्वी के उस भाग से है जहां सभी प्रकार का जीवन पाया जाता है। पृथ्वी के तीन परिमंडल स्थलमंडल, वायु मंडल और जैवमंडल -जहॉं आपस में मिलते हैं, वही जैवमंडल स्थित हैं। जैव मंडल की परत पतली लेकिन अत्याधिक जटिल हैं। किसी भी प्रकार का जीवन केवल इसी परत में संभव हैं अत: …

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भारत की 6 ऋतुओं के नाम और जानकारी

हमारी पृथ्वी एक गोल अण्डे के समान आकृति वाली रचना है जो अपने अक्ष पर घूर्णन गति करती रहती है। यह पृथ्वी अपने अक्ष पर घूर्णन करने के साथ साथ सौर मण्डल के आधार अर्थात सूर्य के चारों और बहुत तेज गति से परिक्रमा करती रहती है। पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूर्णन के परिणाम स्वरूप …

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ज्वार भाटा किसे कहते हैं, ज्वार भाटा की उत्पत्ति कैसे होती हैं, इसके लाभ

ज्वार भाटा की उत्पत्ति महासागरों में ज्वार की उत्पत्ति मुख्य रूप से सूर्य और चन्द्रमा की आकर्षण शक्ति से होती है। सूर्य, पूथ्वी से 14,99,37,000 किमी दूर है, जबकि चन्द्रमा केवल 3,92,595 किमी दूर है, अत: चन्द्रमा की आकर्षण शक्ति सूर्य की आकर्षण शक्ति से 2 1 /2 गुना अधिक प्रभाव डालती है। फलत: पृथ्वी का …

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आर्द्रता किसे कहते हैं, आर्द्रता के प्रकार /aadrata kya hai

आर्द्रता किसे कहते हैं, वायुमण्डल में उपस्थित जलवाष्प को वायुमण्डल की आर्द्रता कहते हैं। आर्द्रता को ग्राम प्रति घनमीटर में मापा जाता है। जब किसी वायु में उसकी क्षमता के बराबर जलवाष्प आ जाए तो उसे संतृप्त वायु कहते हैं।  आर्द्रता के प्रकार आर्द्रता के प्रकार आर्द्रता तीन प्रकार की होती है :-  निरपेक्ष आर्द्रता  विशिष्ट …

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वायुमंडल की परतें एवं उनकी विशेषताएं

वायुमंडल में वायु की अनेक परतें हैं, जो घनत्व और तापमान की दृष्टि से एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न हैं। सामान्यत: यह धरातल से लगभग 1600 कि.मी. की ऊँचा तक फैला है। वायुमंडल के कुल भार की मात्रा का 97 प्रतिशत भाग लगभग 30 कि.मीकी ऊँचा तक विस्तृत है। वायुमण्डल में ऊँचाई के अनुसार उसकी बनावट बदलती …

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