स्वामी दयानंद सरस्वती का शिक्षा दर्शन / शैक्षिक विचार

स्वामी दयानंद सरस्वती शिक्षा को एक प्रक्रिया मानते हैं। उनके अनुसार यह प्रक्रिया गर्भावस्था से प्रारम्भ होती है और जीवन-पर्यन्त चलती रहती है। उन्होंने शिक्षा को आन्तरिक शुद्धि के रूप में माना है। यह शुद्धि आचरण, विचार तथा कर्म में प्रदर्शित होती है। एक स्थान पर स्वामी जी ने शिक्षा के अर्थ को स्पष्ट करते हुए …

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नैतिक विकास की अवस्थाएं एवं माध्यम

नैतिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं से होकर नैतिक मूल्यों का ज्ञान तथा उनका क्रियान्वयन सीखता है। इन सभी अवस्थाओं को विस्तार से निम्न प्रकार से बतलाया है : नैतिक विकास की अवस्थाएं नैतिक विकास की सभी अवस्थाओं को विस्तार से निम्न प्रकार से बतलाया है : शैशवावस्था में नैतिक विकास पूर्व बाल्यावस्था में नैतिक विकास उत्तर …

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समायोजन का अर्थ, परिभाषा, प्रकार एवं विशेषताएं

समायोजन को सामंजस्य, व्यवस्थापन या अनुकूलन भी कहते हैं। व्यक्ति को सफल जीवन व्यतीत करने के लिए अपने वातावरण और परिस्थितियों के साथ समायोजन स्थापित करना आवश्यक हो जाता है। व्यक्ति के जीवन में अनेक प्रकार की अनुकूल एवं प्रतिकूल परिस्थितियाँ आती रहती हैं, जिनका उसे समय-समय पर सामना करना पड़ता है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी अलग-अलग …

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जीन पियाजे का नैतिक विकास का सिद्धांत और कोहलबर्ग का नैतिक विकास सिद्धांत

नैतिकता व्यक्ति के स्वभाव के अनुकूल आचरण है व्यक्ति के निम्न स्वभाव के अंतर्गत वह स्वार्थी, पाशविक एवं वासनात्मक आचरण करता है। दूसरों के सुख-सुविधा हेतु त्याग एवं परोपकार व्यक्ति के उच्च स्वभाव की प्रवृत्तियाँ हैं। जब व्यक्ति अपनी स्वार्थमय प्रवृत्तियाँ से ऊपर उठकर परमार्थ या दूसरों के लिये भी उसी प्रकार के आचरण करता है …

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संवेगात्मक बुद्धि का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएँ

संवेगात्मक बुद्धि का अर्थ संवेगात्मक बुद्धि दो प्रत्ययों से मिलकर बना है संवेग और बुद्धि। संवेग का अर्थ है उद्वेलन की अवस्था एवं बुद्धि का अर्थ है विवेकपूर्ण चिन्तन की योग्यता। इस प्रकार संवेगात्मक बुद्धि एक आन्तरिक योग्यता होती है जिसके द्वारा व्यक्ति में संवेगों को महसूस करने, समझने एवं उनका प्रभावपूर्ण नियन्त्रण करने की क्षमता …

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कुंठा का अर्थ, परिभाषा, लक्षण, कारण, दुष्प्रभाव

समय के अभाव में ज्यादातर डॉक्टर मरीज के मन के अवसाद को समझ नहीं पाते हैं। वह मरीज को सांत्वना देने के लिए विटामिन, खून बनाने वाले टॉनिक, कैल्शियम और निम्न रक्तचाप और उच्च रक्तचाप दूर करने वाले नुस्खे बता देते हैं। कुंठाग्रस्त रोगी को तन की नहीं मन की दवा की जरूरत होती है। लोगों …

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समेकित बाल विकास कार्यक्रम का उद्देश्य, समेकित बाल विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत दी जाने वाली सेवाएं

समेकित बाल विकास सेवाएं, गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं, किशोर बालिकाओं व 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों के स्वास्थ्य व पोषण सम्बन्धी देखभाल, 0-6 वर्ष के बच्चों के शारीरिक संज्ञानात्मक, भावनात्मक एवं सामाजिक विकास तथा उनकी जरूरतों व अधिकारों के हेतु प्रारम्भ किया गया। विशेष रूप से गरीब समुदाय के 0-6 वर्ष के बच्चों का …

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अभिरुचि का अर्थ, परिभाषा, प्रकार एवं स्रोत

अभिरुचि का अर्थ अभिरुचि शब्द का प्रयोग संकुचित अर्थों में किया जाता हे। लोग रुचिकर को मनोरंजक का पर्याय समझ लेते हैं यह ठीक हे कि जिस वस्तु में हमारी अभिरुचि हे, वह हमें अच्छी लगती है किन्तु यह आवश्यक नहीं हे कि जिस वस्तु में हम अभिरुचि ले रहे है वह हमारे लिए मनोरंजक भी …

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संवेदना का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ

संवेदना किसी के प्रति विशेष सहानुभूति को संवेदना कहा जाता है। शब्द संरचना के आधार पर हिंदी में ‘सम्’-’वेदना’ के आधार पर इस शब्द की व्युत्पत्ति को देख सकते हैं। ‘वेदना’ शब्द में ‘सम्’ उपसर्ग लगाने से संवेदना शब्द की संरचना हुई है, यथा-सम्+विद्+युच (प्रत्यय) डॉरामचंद्र वर्मा के अनुसार किसी के शोक, दु:ख, कष्ट या हानि …

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विशिष्ट बालक का अर्थ, परिभाषा एवं प्रकार

विशिष्ट बालक का अर्थ विशिष्ट शब्द असाधारण को सूचित करता है अर्थात् वे बालक जो किसी रूप में साधारण बालकों में असाधारण है। विशिष्ट बालक अपने विशेष लक्षणों के कारण ही सामान्य बालकों से भिन्न दिखाई देता है तथा दूसरों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। विद्यालय के नियमित सामान्य कार्यक्रमों से वे समुचित लाभ …

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