अनुक्रम
भाषा विज्ञान की परिभाषा
भारतीय तथा पाश्चात्य विद्वानों ने समय-समय पर भाषा विज्ञान की परिभाषा की है।
डॉ. देवेन्द्र शर्मा – भाषा विज्ञान की भूमिका के पृष्ठ 176 पर भाषा विज्ञान की परिभाषा करते हुए लिखा है – ‘‘भाषा विज्ञान का सीधा अर्थ है भाषा का विज्ञान और विज्ञान का अर्थ है विशिष्ट ज्ञान। इस प्रकार भाषा का विशिष्ट ज्ञान भाषा विज्ञान कहलाएगा।’’
डॉ. भोलानाथ तिवारी – ‘‘भाषा विज्ञान वह विज्ञान है, जिसमें भाषा विशिष्ट, कई और सामान्य का समकालिक, ऐतिहासिक, तुलनात्मक और प्रयोगिक दृष्टि से अध्ययन और तद्विषयक सिद्धान्तों का निर्धारण किया जाता है।’’
डॉ. देवी शंकर – ‘‘भाषा विज्ञान को अर्थात् भाषा के विज्ञान को भाषिकी कहते हैं। भाषिकी में भाषा का वैज्ञानिक विवेचन किया जाता है।’’
डॉ. मंगल देव शास्त्री – ‘‘भाषा विज्ञान उस विज्ञान को कहते हैं, जिसमें सामान्यरूप से मानवीय भाषा का, किसी विशेष भाषा की रचना और इतिहास का और अन्तत: भाषाओं, प्रादेशिक भाषाओं या बोलियों के वर्गों की पारस्परिक समानताओं और विशेषताओं का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है।’’
भाषा विज्ञान का क्षेत्र
भाषा विज्ञान में वर्तमान तथा अतीत से सम्बन्धित भाषाओं का अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार कह सकते हैं कि इसमें एक तरफ उन भाषाओं का अध्ययन किया जाता है जो अब वाचिक रूप में प्रयुक्त नहीं होती हैं, उनका केवल साहित्य प्राप्त होता है। भाषा के विभिन्न कालों में भाषा विज्ञान का सम्बन्ध होता है। भाषा की विभिन्न इकाइयाँ-ध्वनि, वर्ण, शब्द, पद, वाक्य तथा अर्थ भाषा विज्ञान क्षेत्र के विभिन्न आयाम हैं।
भाषा विज्ञान की अध्ययन पद्धतियां
भाषा विज्ञान की वर्णनात्मक पद्धति
जब किसी भाषा के विशिष्ट काल का संगठनात्मक अध्ययन किया जाता है, तो उसे वर्णनात्मक अध्ययन कहते हैं। प्रसिद्ध विद्वान पाणिनी के अष्टाध्यायी में इसी प्रकार का भाषा – अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। इसमें भाषा के संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया तथा विशेषण आदि की वर्णनात्मक समीक्षा करते हुए ध्वनि, शब्द, वाक्य आदि पर विचार किया जाता है। भाषा की सब इकाइयों पर अध्ययन करते हुए उनसे सम्बन्धित नियम निर्धारित किया जाता है। भाषा के सीमित काल का ही अध्ययन होता है, फिर भी इसका प्राचीन काल से विशेष महत्त्व रहा है।
भाषा विज्ञान की ऐतिहासिक पद्धति
इस पद्धति में भाषा विशेष के काल-क्रमिक विकास का अध्ययन किया जाता है। यदि किसी विशेष भाषा के कालों के विवरणात्मक अध्ययन को कालक्रम से व्यवस्थित कर दिया जाए, तो ऐतिहासिक अध्ययन हो जाएगा।
भाषा – विकास या परिवर्तन की विभिन्न धाराओं का अध्ययन इसी पद्धति में होता है। भारतीय आर्य भाषाओं के विकास-क्रम में हिन्दी का अध्ययन करना चाहें तो इसी पद्धति से वैदिक संस्कृत, लौकिक संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, भाषाओं पर विचार करते हुए हिन्दी भाषा का अध्ययन किया जाएगा।
भाषा विज्ञान की तुलनात्मक पद्धति
भाषा – अध्ययन की जिस पद्धति में दो या दो से अधिक भाषाओं की ध्वनियों, वर्णों, शब्दों, पदों, वाक्यों और अर्थों आदि की तुलना की जाती है, उसे भाषा – अध्ययन की तुलनात्मक पद्धति कहते हैं। इस अध्ययन के अन्तर्गत एक भाषा के विभिन्न कालों के रूपों का तुलनात्मक अध्ययन कर उसकी विकासात्मक स्थिति का स्पष्ट ज्ञान प्राप्त करते हैं। एक भाषा की विभिन्न बोलियों की समता-विषमता जानने के लिए भी भाषा – अध्ययन की इस पद्धति से ही उभरा है। इसका प्रबल प्रमाण है कि प्रारम्भ में इसके लिए तुलनात्मक भाषा विज्ञान (Comparative Philology) नाम दिया गया था। यह भी सत्य है कि बिना तुलनात्मक अध्ययन – दृष्टिकोण अपनाए किसी नियम का निर्धारण अत्यन्त कठिन होता है।
भाषा विज्ञान की प्रयोगात्मक पद्धति
भाषा – अध्ययन का महत्व दिन – प्रतिदिन बढ़ रहा है। इसे देखते हुए भाषा – अध्ययन की इस नई पद्धति का प्रारम्भ हुआ है। इसमें भाषा के जीवन्तरूप का व्यवहारिक ढंग से अध्ययन किया जाता है। यह अध्ययन किसी क्षेत्रा विशेष से जुड़ा होता है। इसलिए इसे क्षेत्राीय कार्य (Field Work) कहते हैं। इस पद्धति के अध्ययन में अध्येता को किसी क्षेत्रा विशेष में जाकर सम्बन्धित भाषा – भाषी से निकट सम्पर्क करना होता है। प्रायोगिक अध्ययन में किसी भाषा या बोली की ध्वनियों, शब्दों, वाक्यों के साथ बोलनेवाले की भाषा में प्रयुक्त मुहावरे, कहावतों आदि की प्रयोग-स्थिति भी अध्ययन किया जाता है।
भाषा विज्ञान की संचनात्मक पद्धति
जिस पद्धति में भाषा की संरचना के आधार पर अध्ययन किया जाए उसे भाषा – अध्ययन की संरचनात्मक पद्धति कहते हैं। भाषा – अध्ययन की यह पद्धति भाषा की विभिन्न इकाइयों के सूक्ष्म चिन्तन पर आधारित है। इसमें भाषा का विवेचन और विश्लेषण संगठनात्मक दृष्टिकोण से करते हैं। भाषा के संरचनात्मक अध्ययन में पारस्परिक सम्बद्धता पर विशेष ध्यान दिया जाता है, वर्णनात्मक भाषा – अध्ययन में भी यत्रा – तत्रा संरचनात्मक रूप उभर आता है।