अनुक्रम
ममता कालिया का जीवन परिचय
हिन्दी साहित्य जगत की विख्यात कथाकार ममता कालिया का जन्म 2 नवम्बर 1940 में मथुरा, वृंदावन (उत्तरप्रदेश) के केनेडियन मिशन अस्पताल में हुआ। ममता कालिया की माताजी का नाम इन्दुमती तथा पिता का नाम श्री विद्याभूषण अग्रवाल।
ममता कालिया जी की एक बड़ी बहन है, जिनका नाम है प्रतिभा। आपकी दीदी बचपन से ही ललित कलाओं में निपुण रही। दीदी की कुशलता और गतिविधियों के चलते आपको उपेक्षा का पात्र बनना पड़ता था; जो आपके दिल को ठेस पहुँचाता
ममता कालिया जी की शिक्षा
ममता कालिया जी का वैवाहिक जीवन
ममता कालिया जी की संतान
ममता कालिया जी की साहित्य लेखन की प्रेरणा
आपने 1960 से साहसी और उत्तेजक कविताओं की रचना की। इन कविताओं ने सभी साहित्यकारों का ध्यान आकर्षित कर लिया। आपकी आरंभिक कविताओं में आक्रोश प्रतीत होता है। ममता कालिया जी अपने साहित्य लेखन की प्रेरणा के लिए मथुरा और मुंबई को विशेष मानती हैं। “मथुरा मेरी कहानियों में बी धड़कती रहती है- कभी आवेश बनकर कभी परिवेश बनकर। मथुरा की यादें दराज में पड़े मुड़े-मुड़े कागजों की तरह हैं जिनमें तारतम्य नही बैठा पायी हूँ।”
कार्यक्षेत्र : सन् 1963 में दिल्ली विश्वविद्यालय में एम.ए. की उपाधि प्राप्त करते ही दिल्ली के दौलतराम कॉलेज में आपको प्राध्यापक की नौकरी मिल गई। कुछ दिनों बाद पिता के तबादले के चलते वह मुंबई चली आई। सन् 1964 में रवÈद्र जी से शादी करने के उपरान्त एस.एन.डी.टी. यूनिवर्सिटी में प्राध्यापक कार्य किया। रवीन्द्र जी ने ‘धर्मयुग’ की नौकरी से इस्तीफा दे, साझेदारी में प्रेस की शुरुआत की, मगर ‘स्वाधीनता प्रेस’ ने उन्हें सड़क पर ला खड़ा कर दिया। इस वजह से रवीन्द्र जी मुंबई से इलाहाबाद वापस आ गए तो ममता जी भी नौकरी छोड़कर इलाहाबाद आ गई।
ममता कालिया की रचनाएँ
ममता कालिया जी अपनी रचनाओं और नवीन साहित्यिक प्रयोग के कारण बहुचर्चित और विख्यात साहित्यकार हैं। आपने अपनी रचनाओं में समाज के उन पहलुओं को दर्शाया है जो अब तक अछूते थे।
उपन्यास
- बेघर
- नरक दर नरक
- प्रेम कहानी
- एक पत्नी के नोट्स
- दौड़
- दुक्खम-सुक्खम
कहानी संग्रह
- छुटकारा
- सीट नंबर छह
- एक अदद औरत
- प्रतिदिन
- उसका यौवन
- जांच अभी जारी है
- चर्चित कहानियाँ
- बोलने वाली औरत
- मुखौटा
- निर्मोही
- थियेटर रोड के कौवे
- पचीस साल की लड़की
- काके दी हट्टी
कविता संग्रह
- एक ट्रिब्यूट टु पापा एंड अदर पोएम्स (अंग्रेजी कविता संग्रह)
- खाँडी घरेलू औरत
नाटक तथा एकांकी
- आत्मा अठन्नी का नाम है।
- आप न बदलेंगे।
- यहाँ रोना मना है।
ममता कालिया की उपलब्धियाँ
- सन् 1963 में ‘साप्ताहिक हिंदुस्तान’ दिल्ली की ओर से तथा सन् 1976 में ‘सरस्वती प्रेस’ की ओर से सर्वश्रेष्ठ कहानीकार एवं कहानी का पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया।
- ‘उसका यौवन’ कहानी संग्रह पर सन् 1985 में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा ‘यशपाल कथा सम्मान’ से विभूषित किया गया।
- सन् 1990 में ‘अभिनय भारती’ कोलकाता की ओर से समग्र कथा-साहित्य पर रचना सम्मान तथा इसी वर्ष में ‘रोटरी क्लब’ इलाहाबाद की ओर से ‘वाकेशनल पुरस्कार’ प्राप्त हुआ।
- सन् 1998 में ‘एक पत्नी के नोट्स’ उपन्यास के लिए ‘उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान’ की ओर से ‘महादेवी वर्मा अनुशंसा सम्मान’ मिला।
- सन् 1999 में ‘बोलने वाली औरत’ कहानी संग्रह पर ‘सावित्री बार्इुुले’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- सन् 2002 में ‘मानव संस्थान मंत्रलय’ के तरफ से सृजनात्मक लेखन के लिए सम्मानित किया गया।
- सन् 2004 में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का ‘साहित्य भूषण’ सम्मान भी दिया गया।
- सन् 2011 में आपको प्रेमचंद की परंपरा को आगे बढाने के लिए ‘लमही सम्मान’ से पुरस्कृत किया गया।
- ‘कितने शहरों में कितनी बार’ पुस्तक के लिए सन् 2012 में आपको द्वितीय ‘सीता पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।