अनुक्रम
चित्रा मुद्गल का जीवन परिचय
विख्यात रचनाकार, चित्रा मुद्गल जी का जन्म 10 दिसम्बर 1944 में चेन्नई के मिलिट्री अस्पताल में हुआ। चित्रा मुद्गल की माताजी का नाम श्रीमती विमला देवी तथा पिता का नाम ठाकुर प्रताप सिंह था। चित्रा मुद्गल की माता ठाकुर ग्राम आली शकरपुर प्रतापगढ़ के बयालीस गांव के ताल्लुकेदार श्री गयावक्श सिंह जी की मंझली संतान थी। इनकी माता का देहांत 31 जनवरी 2009 में लगभग 85 वर्ष की अवस्था में हुआ। चित्रा मुद्गल की माता का जीवन बंधनों में व्यतीत हुआ।
चित्रा मुद्गल की शिक्षा
चित्रा मुद्गल के बहन-भाई
चित्रा मुद्गल का विवाह
चित्रा मुद्गल की संतान
चित्रा मुद्गल का साहित्य लेखन की प्रेरणा
चित्र जी ने अपने छात्र जीवन में ही लिखना आरंभ कर दिया था। विद्यालय में होने वाली प्रतियोगिताओं और वाद-विवाद के लिए लिखा करती थी। चित्र जी ने पहली कविता ‘पिता’ विषय पर लिखी थी, जिसमें पिता के जल्लाद व्यक्तित्व को व्यक्त किया था। विद्यालय की छात्र पत्रिका के लिए इस कविता को छापने से इनकार कर दिया गया था किन्तु शिक्षक ने उनके लेखन कौशल को परखते हुए, उन्हें प्रोत्साहित किया और कुछ सकारात्मक लिखने के लिए कहा।
चित्र जी की लेखन की ओर बढ़ती गंभीरता ने भी कविताओं की रचना की। सन् 1966 में ‘लहर’ पत्रिका में ‘कैसे जियेंगे वे’ तथा सन् 1969 में ‘जब तुम’ आदि कविताएँ महत्त्वपूर्ण ढंग से प्रकाशित हुई। चित्र जी की पहली कहानी ‘सफेद सेनारा’ ‘नवभारत टाइम्स’ द्वारा आयोजित कथा प्रतियोगिता में पुरस्कृत एवं प्रकाशित हुई थी।
तत्पश्चात चित्र जी ने हिंदी साहित्य पर अपनी सशख्त लेखनी चलाई।
चित्रा मुद्गल का कार्य क्षेत्र
चित्रजी फिल्म सेंसर बोर्ड की मानद सदस्या के पद पर 1978 और 1999 में कार्य कर चुकी हैं। ‘आशीर्वाद फिल्म आवार्ड’ में वर्ष 1980 में बतौर जूरी काम किया। ‘महात्मा गांधी प्रतिष्ठान मॉरीशस’ द्वारा रचनाकार से भेंट कार्यक्रम के लिए 1990 में आमंत्रित की गयी। आकाशवाणी की ‘सर्वभाषा राष्ट्रीय नाटय स्पर्धा’ की 1995 में जूरी सदस्य रही। ‘माधुरी’ पत्रिका की लगातार चार वर्षों तक आमुख कथा लेखिका रही। ‘समन्वय’ उत्तर प्रदेशीय महिला मंच, सूय संस्थान, स्त्री शक्ति एवं समता महिला मंच की कार्यकर्ता रही। चिमु नाम से कई पत्रिकाओं में धारा प्रवाह लेखन किया। छठे और सातवें विश्व हिन्दी सम्मेलन की ‘सम्मान समिति’ और ‘शैक्षिक समिति’ की सदस्य रही।
चित्रजी 49वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार एवं इंडियन पैनोरमा की वर्ष 2002 में सदस्य रह चुकी हैं। आई.सी.सी.आर. की मौलान आजाद निबन्ध प्रतियोगिता (सार्क) की 2000 से 2002 तक जूरी सदस्य रह चुकी हैं। इसके अतिरिक्त चित्र जी प्रसार भारती बोर्ड की वर्ष 2003 से 2007 तक सदस्य रह चुकी हैं। वे नेशनल बुक ट्रस्ट की हिन्दी सलाहाकर समिति की मानद सदस्य रह चुकी हैं। उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्रलय, भारत सरकार के संस्कृति विभाग की वरिष्ठुैलोशिप भी मिल चुकी है। वे वर्ष 2005 से 2008 तक प्रसार भारती के इंडियन क्लासिक की चेयरपर्सन भी रह चुकी हैं।
चित्रा मुद्गल की रचनाएँ
उपन्यास
- ‘एक जमीन अपनी’ वर्ष 1990 में प्रभातन प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘एक जमनी अपनी’ का दूसरा संस्करण वर्ष 1999-2000 में राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘एक जमीन अपनी’ का तीसरा संस्करण वर्ष 2002 में और चौथा संस्करण 2009 में सामयिक प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘आवां’ उपन्यास का पहला संस्करण वर्ष 1999 में और आठवां संस्करण 2015 में सामयिक प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘द क्रूसेड’ के पांचवें संस्करण का ओशन पब्लिकेशन से प्रकाशन।
- ‘गिलिगडु’ का 2002 में और पांचवां संस्करण 2010 में सामयिक प्रकाशन से प्रकाशित।
बाल उपन्यास
- ‘मघिमेखलै’ उपन्यास सन् 2001 में साहित्य प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘जीवक’ उपन्यास सन् 2001 में साहित्य प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘माघवी कन्नगी’ उपन्यास किताबघर से प्रकाशित।
कहानी
- ‘जहर ठस हुआ’ सन् 1980 में अनन्य प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘लाक्षागृह’ वर्ष 1982 में पराग प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘अपनी वापसी’ कथा संकलन वर्ष 1983 में सम्भावना प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘इस हमाम में’ वर्ष 1986 में प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘ग्यारह लम्बी कहानियँ’ वर्ष 1987 में प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘द हाइना एंड अदर स्टोरीज’ वर्ष 1988 में ओशन बुक्स प्रा. लि. से तीसरा संस्करण प्रकाशित।
- ‘चर्चित कहानियां’ वर्ष 1994 में सामयिक प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘मामला अभी आगे बढेगा’ वर्ष 1996 में प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘जिनावर’ कहानी संग्रह वर्ष 1996 में किताबघर से प्रकाशित।
- ‘लपटें’ कहानी संग्रह का वर्ष 2000-2004 तक भारतीय ज्ञानपीठ की ओर से पांचवां संस्करण प्रकाशित।
- ‘केंचुल’ कहानी संग्रह का प्र्रभात प्रकाशन की ओर से तीसरा संस्करण प्रकाशित।
- ‘भूख’ कहानी संग्रह का प्रभात प्रकाशन की ओर से तीसरा संस्करण प्रकाशित।
- ‘बयान’ लवुकथा संग्रह का वर्ष 2004 में भारतीय ज्ञानपीठ की ओर से प्रकाशन।
- ‘आदि से अनादि’ (सम्पूर्ण कहानियां, तीन खंडों में) वर्ष 2007 में और तीसरा संस्करण 2009 में सामयिक प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘पेंटिंग अकेली है’ वर्ष 2014 में सामयिक प्रकाशन से प्रकाशित।
बाल कहानी संग्रह
- ‘जंगल का राज’ वर्ष 1986 में प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘देश-विदेश की लोक कथाएं’ 1986 में प्रभात प्रकाशण से प्रकाशित।
- ‘नीति कथाएं’ वर्ष 1987 में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् से प्रकाशित।
- ‘पेड़ पर खरगोश’ वर्ष 2003 में किताबघर प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘सूझ-बूझ’ वर्ष 2004 में प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘दूर के ढोल’ वर्ष 2004 में किताबघर प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘कांच की किरच’ वर्ष 2008 में राजपाल एंद संस से प्रकाशित।
- ‘देश-विदेश की लोक कथाएं’ वर्ष 2008 में राजपाल एंड संस से प्रकाशित।
आलेख-संग्रह
- ‘तहखानों में बंद आईनों के अक्स’ 1988 में अभिनव प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘विचार संग्रह’ तन् 1988 में अभिनव प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘वयार उनकी मुÎी में’ सन् 2004 में और दूसरा संस्करण 2006 में सामयिक प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘तहखानों में बंद अक्स’ सन् 2010 में और तीसरा संस्करण 2014 में सामयिक प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘पाटÊ’ वर्ष 2011 में बोधि प्रकाशन, जयपुर से प्रकाशित।
नाटक
- ‘पंच परमेश्वर तथा अन्य नाटक’ वर्ष 2005 में राजपाल एंड संस से प्रकाशित।
- ‘सद्गति तथा अन्य नाटक’ वर्ष 2005 में राज्यपाल एंड संस से प्रकाशित।
- ‘बूढ़ी काकी तथा अन्य नाटक’ वर्ष 2005 में राज्यपाल एंड संस से प्रकाशित।
संपादन
- ‘असफल दाम्पत्य की कहानियाँ’ वर्ष 1987 में प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘टूटते परिवारों की कहानियाँ’ वर्ष 1987 में प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘दूसरी औरत की कहानियाँ’ वर्ष 1987 में प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘भीगी हुई रेत’ वर्ष 1989 में शिक्षा विभाग, बीकानेर, राजस्थान से प्रकाशित।
- ‘पुरस्कृत कहानियाँ’ वर्ष 1989 में संतोष प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘देह-देहरी’ वर्ष 1989 में साहित्य प्रकाशन से प्रकाशित।
- ‘प्रेमचंद की प्रेम कहानियाँ’ वर्ष 2005 में रौशनाई प्रकाशन से प्रकाशित।
कहानियों पर फिल्में
- ‘इसके बावजूद’ कहानी पर वर्ष 1986 में दूरदर्शन लखनऊ की ओर से टेलीफिल्म का निर्माण।
- ‘वारिस’ टेलीफिल्म का वर्ष 1988 में दिल्ली दूरदर्शन के लिए निर्माण।
- ‘प्रेतयोनि’ कहानी परुीचर फिल्म ‘आवरू’ का निर्माण।
- ‘रूना आ रही है’ मंजु सिंह के धारावाहिक ‘एक कहानी’ में शामिल 5. ‘अभी भी मझधार’ धारावाहिक में शामिल।
- जी.टी.वी. के धारावाहिक ‘दशरथ का वनवास’ और ‘सौदा रिश्ते’।
अनुवाद
- गुजराती की श्रेष्ठ व्यंग्य कथाएं, पराग प्रकाशन से।
- गुजराती, मराठी, अंग्रेजी, तेलगु, मलयालम, उड़िया, बांगला, पंजाबी, इटैलियन, जमर्न, उर्दू एवं चैक भाषाओं में कहानियों का अनुवाद प्रकाशित।
- उपन्यास ‘आवां’ का पंजाबी, असमिया, मराठी, उड़िया तथा अंग्रेजी में अनुवाद।
पाठयक्रमों में रचनाएं
- ‘ग्यारह लम्बी कहानियां’ ओसाका विश्वविद्यालय, जापान के हिंदी पाठयक्रम में शामिल।
- ‘एक जमीन अपनी’ उपन्यास मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर में एम.ए. पाठयक्रम में शामिल।
- स्तक में संकलित।
- ‘रिश्ता’ लघुकथा एन.सी.ई.आर.टी. के अंतर्गत ग्यारहवÈ कक्षा की हिंदी पाठयपुस्तक में संकलित। 5. ग्यारह लम्बी कहानियों का अंध शिक्षा केंद्र, वलÊ, मुम्बई की ओर से ब्रेल लिपि में ध्वनि रूपांतरण।
- गुजरात राज्य की कक्षा छह के पाठयक्रम में शामिल।
- ‘जिनावर’ कहानी राजस्थान विश्वविद्यालय के बी. ए. पाठयक्रम में शामिल।
- ‘रिश्ते’ कहानी एन.सी.ई.आर.टी. के पाठयक्रम के अंतर्गत ग्यारहवÈ कक्षा के पाठयक्रम में संकलित।
- ‘जगदंबा बाबू गांव आ रहे हैं’ कहानी पुणे विश्वविद्यालय के पाठयक्रम में शामिल।
- ‘गिलिगडु’ उपन्यास त्रिवेन्द्रम विश्वविद्यालय के पाठर्यम में शामिल।
- ‘डोमन काकी’ कहानी गवर्नमेंट ऑफ केरल के एन.सी.ई.आर.टी. के पाठय्रम के अंतर्गत संकलित।
चित्रा मुद्गल की उपलब्धियाँ
चित्रजी प्रख्यात साहित्यकार हैं। साहित्य जगत में इनका विशेष स्थान है। इन्हें अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है, जो इस प्रकार हैं-
- बहुचर्चित उपन्यास ‘आवां’ के लिए चित्रजी को वर्ष 2003 में के.के. बिड़ला का प्रतिष्ठित 13वां ‘व्यास सम्मान’ मिला।
- राष्ट्रीय एकता एवं सद्दावना के लिए ‘प्रज्ञा सम्मान’ मिला।
- ‘इस हमाम में’ कहानी संग्रह के लिए हिंदी अकादमी, दिल्ली का ‘साहित्यिक कृति सम्मान’।
- ‘गिलिगडु’ उपन्यास के लिए ग्वालियर, मध्यप्रदेश का ‘चक्रधर’ सम्मान।
- ‘आवां’ उपन्यास के लिए मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी का ‘वीरसिंह जू देव’ प्रतिष्ठित पुरस्कार।
- ‘आवां’ उपन्यास के लिए राजस्थान का ‘वाग्मणि’ सम्मान।
- ‘आवां’ उपन्यास के लिए सहयाब्दी का पहला, अंतरराष्ट्रीय ‘इंदु शर्मा कथा सम्मान’ लंदन।
- बाल कथा संग्रह ‘जंगल का राज’ के लिए हिंदी अकादमी का ‘बाल साहित्य पुरस्कार’।
- ‘ग्यारह लम्बी कहानियां’ कथा संग्रह के लिए बिहार राजभाषा विभाग द्वारा ‘राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह पुरस्कार’।
- ‘एक जमीन अपनी’ उपन्यास के लिए ग्रामीण विकास संगठन, मुम्बई द्वारा ‘फणीश्वरनाथ रेणु साहित्य पुरस्कार’
- वर्ष 1995 में हिंदी अकादमी, दिल्ली से ‘साहित्यकार सम्मान’।
- ‘आवां’ उपन्यास के लिए उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान का ‘साहित्य भूषण सम्मान’।
- सामाजिक कार्यों के लिए विकास फ़ाउंडेशन द्वारा ‘विदुला सम्मान’।
- ‘आवां’ उपन्यास के लिए हिमाचल प्रदेश का प्रतिष्ठित शिखर सम्मान।
- उदयराज सिंह स्मृति शिखर सम्मान बिहार प्रदेश का सर्वोच्च पुरस्कार।
- ‘आवां’ उपन्यास के लिए वर्ष 2010 में चिन्नप भारती प्रगतिशील लेखक संघ तमिलनाडु द्वारा ‘चिन्नप भारती सम्मान’।