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वैज्ञानिक अभिवृत्ति अंग्रेजी के scientfic Attitudes का हिन्दी अनुवाद है। वैज्ञानिक (Scientfi) विज्ञान (Science) शब्द से बना हुआ विश्लेषण है जिसका अर्थ हे-Scientia अर्थात जानना। अभिवृत्ति (Attitude) का अर्थ व्यक्ति के भावात्मक क्षेत्र (Affective Domain) से संबंधित व्यवहारगत परिवर्तन है, जिसके स्वरूप व्यक्ति किसी वस्तु अथवा स्थिति के प्रति एक निश्चित अभिवृत्ति (Outlook or Attitude) प्रदर्शित करता है। इस प्रकार वैज्ञानिक अभिवृत्ति का अर्थ ऐसी अभिवृत्ति जो वैज्ञानिक हो, प्रतीत होता है।
अर्थात वैज्ञानिक अभिवृत्ति के अन्र्तगत पक्षपात,सकीर्णता, एवं अन्धविश्वासो से मुक्ति, उदार मनोवृत्ति, आलोचनात्मक मनोवृत्ति, बोद्धिक ईमानदारी, नव-साक्षी की प्राप्ती के आधार पर विश्वास करना आदि-गुण सम्मिलित हें।
समस्या का आविर्भाव एवं अभिकथन बच्चों मे वैज्ञानिक अभिवृत्ति उत्पन्न करना तथा उसके विकास के लिये उपयुक्त अवसर देना विज्ञान शिक्षण का सबसे मुख्य और आवश्यक उद्देश्य है। विज्ञान के अध्ययन से एवं वैज्ञानिक विधि का अनुसरण करने से वैज्ञानिक अभिवृत्ति का विकास होता है। विज्ञान से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सत्य ओर यथार्थ का पता लगा सकते हें। इस प्रकार विज्ञान विषय के माध्यम से उपयुक्त शिक्षण विधियों का प्रयोग (पूछताछ आधारित अधिगम) करने से छात्रों में वैज्ञानिक अभिवृत्ति को विकसित करने में सहायता मिल सकती हे।
वैज्ञानिक अभिवृत्ति की परिभाषा
वैज्ञानिक अभिवृत्ति की परिभाषा (vaigyanik abhivrtti ki paribhasha) – विभिन्न विद्वानों ने वैज्ञानिक अभिवृत्ति को निम्न प्रकार से परिभाषित किया हे:-
नॉल ने वैज्ञानिक अभिवृत्ति के अर्थ को स्पष्ट करते हुए कहा है: – ‘‘प्रेक्षण, सूचना, गणना एवं प्रक्रिया में शुद्धता, बोद्धिक ईमानदारी, स्वतन्त्र मानसिकता, निलम्बित समस्या का अविर्भाव एवं अभिकथन निर्णय, कारण-प्रभाव सम्बन्ध की सत्यता में विश्वास और आत्म आलोचनात्मकता वैज्ञानिक अभिवृत्ति है।’’
वैदेय ने वैज्ञानिक अभिवृत्ति के अर्थ को स्पष्ट करते हुए कहा हे:-’’स्वतंत्र मानसिकता, जिज्ञासा, निर्णय लेने की क्षमता, परीक्षण एवं निष्कर्षो की पुष्टि करने की इच्छा, कारण-प्रभाव सम्बन्ध में विश्वास, निष्पक्ष व्याख्या, उचित साक्ष्य की उपस्थिति में निर्णय को बदलने की इच्छा और विशेषज्ञों द्वारा लिखी गई पुस्तकों पर विश्वास वैज्ञानिक अभिवृत्ति है।’
वैज्ञानिक अभिवृत्ति की विशेषताएँ
वैज्ञानिक अभिवृत्ति उत्पन्न करने की विधियां
वैज्ञानिक अभिवृत्ति के घटक
- जिज्ञासा –यह एक स्वाभाविक इच्छा है। बालक बडे जिज्ञासु होते हें, वे नवीन ज्ञान को र्गहण करने के लिये अथवा ज्ञान की अभिवृत्ति करने के लिये सदैव अध्ययनरत एवं चिन्तनरत रहते हें। जिज्ञासा खेल के लिये र्पेरणा होती हे।
- निलम्बित निर्णय –एक जिज्ञासु व्यक्ति नवीन प्रमाण के सन्दर्भ मे किसी भी तथ्य की वस्तुनिष्ठता एवं वैधता को निर्धारित करना चाहेगा। यदि नवीन प्रमाण उन विचारो को बल प्रदान करते हें तो वह अपनी राय बदलना चाहेगा।
- मुक्त मनोवृत्ति या मुक्त बुद्धि- ऐसे व्यक्ति नवीन तथ्यों पर विचार करने को सहमत होते हैं। जब कोई छात्र किसी पूर्व निर्धारित विचार अथवा विश्वास को नवीन प्रमाणो एवं सूचना प्राप्ती के पश्चात परिवर्तन के लिये तैयार हो जाये तो उसे मुक्त मनोवृत्ति व्यक्ति कहेगें।
- अंधविश्वासों से मुक्ति- समाज मे रहने वाले व्यक्तियों द्वारा सामाजिक रूप से परम्परागत रूढीवादी विचारधाराओं को ज्यों का त्यों स्वीकार कर लिया जाना ही अन्धविश्वास है।
- वस्तुनिष्ठता- वैज्ञानिको द्वारा आकंडे एकत्र करके उसी आशिंक अभिवृत्ति से व्याख्या नही करते। यही वस्तुनिष्ठता हे। एसे व्यक्ति चितंन मे स्वतंत्र तथा किसी भी अभिवृत्ति के प्रति पक्षपात द्वेष नहीं रखते तथा तटस्थ एवं अव्यक्तिक होते हैं।
- बोद्धिक सत्यवादिता- वैज्ञानिक अपने द्वारा प्रतिपादित निष्कर्षो को अपनी रुचि या अरुचि से प्रभावित नहीं होने देते। वैज्ञानिको का यही गुण ईमानदारी या सत्यवादिता का होता है
- वैज्ञानिक स्पष्टीकरण मे रूचि-वैज्ञानिक अभिवृत्ति रखने वाला व्यक्ति वैज्ञानिक स्पष्टीकरण मे विश्वास रखता है। प्रत्येक घटना को निष्पक्ष प्रयोग आश्रित ढगं से देखता हे। एसे व्यक्ति मात्र किसी विचार या व्याख्या पर निर्भर नहीं रहते हें।
- ज्ञान सम्पूर्णता की इच्छा- वैज्ञानिक एवं बुद्धिजीवी स्थितियों को सम्पूर्णता मे देखना चाहते हें। इसलिये प्रत्येक भाग को उपयुक्त स्थान पर रख कर स्थिति का अवलोकन करते हें।
- उदार मनोवृत्ति- वैज्ञानिक अपने विचारो को पूर्वार्गहो से मुक्त रखते हें। वैज्ञानिक ऐसा तब तक नही करते जब तक कि स्वयं प्रयोगो के आधार पर उनकी सत्यता की जाँच नहीं कर लेते हें।
- समस्याओं का क्रमबद्ध समाधान- समस्याओं को भली-भांति समझकर ही उसका समाधान करना चाहिये। समस्या के सम्बन्ध मे विचार-विमर्श एवं तर्क-वितर्क करने के पश्चात उसकी व्याख्या करनी चाहिये। व्याख्या से समस्या के विभिन्न पदो को प्राथमिकता के आधार पर क्रमबद्ध करके समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया जाना चाहिये।
- धेर्य –वैज्ञानिक मे धैर्य का होना नितान्त आवश्यक समझा जाता है। धेर्य वैज्ञानिक अनुसधांन की महत्वपूर्ण कडी हे।