विश्व के प्रमुख महासागर
विश्व के प्रमुख महासागर और उनकी विशेषताएं –
- प्रशान्त महासागर
- हिन्द महासागर
- अटलांटिक महासागर तथा
- आर्कटिक महासागर
1. प्रशान्त महासागर – यह देखा जा सकता है कि प्रशान्त महासागर में भी धाराओं का एक वृहद् चक्रीय तंत्र पाया जाता है, जो कि उत्तरी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त (घड़ी की सुई की दिशा में) व दक्षिणी गोलार्द्ध में वामावर्त (घड़ी की सुई की विपरीत दिशा में) है।
प्रशान्त महासागर के विषुवतीय भाग में दो विषुवतीय धाराएँ मध्य अमेरिका के तट से महासागर के आर-पार बहती हैं। इन दोनों-उत्तरी विषुवतीय धारा तथा दक्षिणी विषुवतीय धारा के बीच पश्चिम से पूर्व की ओर एक विरूद्ध विषुवतीय धारा बहती है। उत्तरी विषुवतीय धारा उत्तर की ओर मुड़ती है और क्यूरो-सिवो धारा के नाम से फिलीपीन द्वीप समूह, ताईवान तथा जापान के तटों के साथ-साथ बहती है।
शीत ऋतु में श्रीलंका बंगाल की खाड़ी की धाराओं को अरब सागर से धाराओं को अलग कर देता है। श्रीलंका के ठीक दक्षिण में उत्तरी विषुवतीय धारा और दक्षिणी विषुवतीय धारा पश्चिम की ओर बहती है। उत्तरी विषुवतीय धारा और दक्षिणी विषुवतीय धारा के मध्य एक विरूद्ध विषुवतीय धारा पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है। इस समय इसके उत्तरी भाग में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के जल को उत्तरी पूर्वीमानसून प्रभावित करता है तथा उन्हें वामवर्ती दिशा में प्रवाह के लिए प्रेरित करती है। इस जलधारा को उत्तरी-पूर्वी मानसूनी अपवाह कहते है। ग्रीष्म ऋतु में वही उत्तरी भाग दक्षिणी-पश्चिमी मानसून के प्रभाव में आ जाता है।
हिन्द महासागर के दक्षिणी भाग में विषुवतीय धारा पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित होती है। अफ्रीका के मोजेंबिक तट के निकट यह धारा दक्षिण की ओर मुड़ जाती है। इस धारा का एक भाग अफ्रीका की मुख्य भूमि और मेडागास्कर द्वीप के मध्य बहता है। इसे गर्म मोजांबिक धारा कहते हैं। दक्षिण की ओर बढ़ने पर यह दक्षिणी विषुवतीय धारा की उस शाखा से मिल जाती है जो मेडागास्कर के तट के साथ बहती है। इस संगम के बाद इसे अगुल्हास धारा कहते हैं। इसके बाद यह पूर्व की ओर मुड़ जाती है और पश्चिमी पवन अपवाह में मिल जाती है।
पश्चिमी पवन अपवाह उच्च अक्षांशों में महासागर के आर-पार पश्चिम से पूर्व दिशा में बहता हुआ आस्ट्रेलिया के दक्षिणी तट तक पहुँचता है। इस धारा की एक शाखा उत्तर की ओर मुड़कर आस्ट्रेलिया के पश्चिम तट के साथ-साथ बहने लगती है। इसे पश्चिमी आस्ट्रेलियाई धारा कहते हैं। यह ठंडी जलधारा हैं। अंत में पश्चिमी आस्ट्रेलियाई धारा दक्षिणी विषुवतीय धारा से मिलकर चक्र पूरा करती है।
ब्राजील के साओ रौक अन्तरीप के निकट दक्षिणी विषुवतीय धारा दो शाखाओं में बँट जाती है। इसकी उत्तरी शाखा उत्तरी विषुवतीय धारा में मिल जाती है। इस सम्मिलित धारा का कुछ भाग कैरेबियन सागर तथा मैक्सिको की खाड़ी में प्रवेश करता है तथा शेष भाग वेस्ट इंडीज द्वीप समूह के पूर्वी किनारे पर अन्टाईल्स धारा के रूप में बहती हुई गुजरती है। जो शाखा मेक्सिको की खाड़ी में प्रवेश करती है, वह फ्लोरिडा जलडमरूमध्य से निकलकर अन्टाईल्स की धारा में मिल जाती है। यह सम्मिलित धारा संयुक्त राज्य अमेरिका के दक्षिणी पूर्वी तट के सहारे बहने लगती है। इसे हटेरस अन्तरीप तथा फ्लोरिडा धारा कहते हैं।
उत्तरी अटलांटिक अपवाह महासागर के पूर्वी भाग में पहुँचकर दो भागों में बंट जाता है। इसकी उत्तरी शाखा उत्तरी अटलांटिक अपवाह के रूप में बहती रहती है। यह ब्रिटिश द्वीप समूह पहुँचकर वहाँ से नार्वे के तट के साथ बहते हुए यह नार्वे धारा के रूप में जानी जाती है। वहाँ से यह आर्कटिक महासागर में प्रवेश कर जाती है। दक्षिणी शाखा स्पेन तथा एजोर्स द्वीप के मध्य से दक्षिण की ओर बहती है। यहाँ इसे केनारी धारा कहते हैं। यह एक ठंडी जलधारा है। केनारी धारा अंत में उत्तरी विषुवतीय धारा में मिल जाती है।
उत्तरी अटलांटिक महासागर में धाराओं के दक्षिणावर्ती परिसंचरण के अतिरिक्त दो ठंडी धारायें भी इस महासागर में बहती हैं। ये हैं – पूर्वी ग्रीनलैंड धारा तथा लेब्राडोर धारा। ये धाराएँ आर्कटिक महासागर से अटलांटिक महासागर में बहती है। लेब्राडोर धारा कनाडा के पूर्वी तट पर दक्षिण की ओर बहती हुई गर्म गल्फ स्ट्रीम धारा से मिलती है। भिन्न तापमान वाली इन दो धाराओं (एक ठंडी तथा दूसरी गर्म) के संगम से न्यू फाउंडलैण्ड के चारो ओर कोहरे का निर्माण होता है और इसे संसार का सबसे अधिक महत्वपूर्ण मत्स्य ग्रहण क्षेत्र बनाता है। पूर्वी ग्रीनलैंड धारा आइसलैंड और ग्रीनलैंड के बीच बहती है तथा संगम स्थल पर उत्तरी अटलांटिक अपवाह के तापमान को कम कर देती है।
हम पहले ही पढ़ चुके हैं कि दक्षिणी विषुवतीय धारा ब्राजील के साओ रोक अन्तरीप के निकट दो शाखाओं में बंट जाती है। इसकी उत्तरी शाखा उत्तरी विषुवतीय धारा से मिल जाती है और दक्षिणी शाखा दक्षिण की ओर मुड़कर दक्षिणी अमेरिका के पूर्वी तट के साथ-साथ बहती है। इसे ब्राजील धारा कहते हैं। लगभग 350 दक्षिणी अक्षांश पर ब्राजील धारा को पछुआ पवनें तथा पृथ्वी की घूर्णन गति पूर्व की ओर मोड़ देती है, जहाँ यह पश्चिमी पवन अपवाह में मिल जाती है। आशा अन्तरीप के निकट दक्षिण अटलांटिक धारा उत्तर की ओर मुड़ जाती है। यह एक ठंडी जलधारा है और इसे बैंगुएला धारा कहते हैं।