अनुक्रम
इन परिभाषा से पूर्व (1908) ई. में प्रेंक पारसन्स के द्वारा अपनी एक रिपोर्ट में, निर्देशन शब्द का प्रयोग किया जा चुका था, परन्तु निर्देशन के व्यावसायिक पक्ष को, उनके द्वारा परिभाषित करने का कोई प्रयास नहीं किया गया। इस प्रकार व्यावसायिक निर्देशन को परिभाषित करने के उपरोक्त प्रयास को ही सर्वप्रथम प्रयास के रूप में स्वीकार किया जाता है, फिर भी अनेक प्रकार से उपरोक्त परिभाषा को त्रुटिपूर्ण बतलाया गया। इस त्रुटि का प्रमुख कारण यह था कि यह परिभाषा किसी एक व्यक्ति के द्वारा परिभाषित नहीं की गई, वरन् कई विद्वानों के समन्वित प्रयास को इस परिभाषा के माध्यम से अभिव्यक्त कर दिया गया। यही कारण है कि (1937) ई. में इस एसोसिएशन के द्वारा दूसरी परिभाषा प्रस्तुत की गई।
डोनाल्ड सुपर (Donald Super) के शब्दों में-किसी व्यक्ति को अपना एवं व्यवसाय क्षेत्र के बीच अपनी भूमिका का समग्र एवं पर्याप्त चित्र बनाने, उसे स्वीकार करने, वास्तविक स्थिति के समय, इस अवधारणा की जाच करने एवं उसे स्वयं के सन्तोष तथा समाज के लाभ हेतु, वास्तविकता में बदलने की सहायता प्रदान करने के उपक्रम को व्यावसायिक निर्देशन कहते हैं।,
सुपर द्वारा दी गई उपरोक्त परिभाषा को यदि विश्लेषण किया जाए तो यह स्पष्ट हो जाता है कि उपरोक्त परिभाषा में व्यावसायिक निर्देशन के सभी पक्षों को ध्यान में न रखकर इसके कार्यो पर ही अधिक बल दिया है। सुपर ने स्वयं भी इस परिभाषा को दोषपूर्ण स्वीकार करते हुए इसका आलोचनात्मक विश्लेषण किया है। मायर्स के अनुसार- उनके ही शब्दों में-व्यवसाय निर्देशन, मुख्य रूप से वह प्रक्रिया है युवावस्था की प्रकृति क्षमताओं तथा विद्यालयों में प्रदन प्रशिक्षण को संकलित करती है। यह इन सबसे अधिक मूल्यवान मानवीय सामानों का संकलन, उसका उस स्थान पर उपयोग करने में सहायता करती है जहा पर वह अधिकतम कल्याण कर सके।,
व्यावसायिक निर्देशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से मानव में निहित शक्तियों को संचित एवं सुरक्षित रखा जा सकता है।
व्यावसायिक निर्देशन के उद्देश्य
व्यवसाय-निर्देशन के प्रमुख उद्देश्य हैं-
- विद्यालयों में व्यवसाय से सम्बन्धित सूचनाओं का विश्लेषण करने की योग्यता एवं क्षमता विकसित करना।
- सत्यनिष्ठता से किया गया कार्य सदैव सर्वोनम होता है, इस भावना का छात्रों में विकास करना।
- व्यक्ति के व्यवसाय चयन के पश्चात उसकी अनुकूल परिस्थितिया उत्प। करने में सहायता प्रदान करना।
- छात्रों को विभिन्न व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों से अवगत कराना।
- गरीब विद्यार्थियों को अर्थ के अतिरिक्त अन्य प्रकार की सहायता प्रदान कर, उनकी व्यवसाय से सम्बन्धित योजना को सपफल बनाना।
- छात्रों को भिन्न-भिन्न व्यवसायों का निरीक्षण करने हेतु सुविधाए उपलब्ध कराना।
- किसी व्यवसाय हेतु कौन-कौन से गुण, योग्यता एवं कुशलता अपेक्षित है, कि जानकारी विद्यार्थियों को प्रदान करना।
- छात्रों को विभिन्न व्यवसायों के सम्बन्ध में ऐसी सूचनाओं को एकत्रित करने में सहायता करना जिनका वह चयन कर सके।
- छात्रों को विभिन्न व्यवसायों में अवगत कराकर, उन व्यवसायों के सामाजिक एवं वैयक्तिक महत्व के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान करना।
- छात्रों में कार्य के प्रति एक आदर्श भावना का विकास करना।
- कार्य की परिस्थितियों के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करने हेतु विद्यालयों के अन्दर एवं बाहर, अवसरों का सृजन करना।
- विद्यार्थियों की रूचियों को व्यापक बनाने हेतु उन्हें विभिन्न अवसर प्रदान करना।
व्यावसायिक निर्देशन की विशेषताएं
निर्देशन की परिभाषाओं का अध्ययन करने के उपरान्त इसकी कुछ विशेषताएं स्पष्ट होती हैं जो हैं-
- व्यावसायिक निर्देशन के माध्यम से व्यक्ति में सम्बन्ध से स्पष्ट बोध विकसित किया जा सकता है। इसके आधार पर व्यक्ति को यह ज्ञात हो जाता है कि उसका वास्तविक स्वरूप क्या है?
- व्यावसायिक निर्देशन के आधार पर कार्य के स्वरूप एवं कार्य से सम्बन्धित व्यक्तियों के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त होती है।
- व्यावसायिक निर्देशन एक प्रक्रिया है। विभिन्न उद्देश्यों, सामानों, प्रविधियों आदि को समन्वित रूप से मयान में रखकर इस प्रक्रिया को सम्पन्न किया जाता है।
- व्यावसायिक निर्देशन की प्रक्रिया के आधार पर, व्यक्ति की योग्यताओं सफलताओं, रुचियों, प्रेरणाओं आदि के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
- व्यावसायिक निर्देशन के लिए आवश्यक जानकारी, दक्षता, योग्यता आदि के सम्बन्ध में सूचनाए एकत्र की जाती है।
इस प्रकार संक्षेप में, व्यावसायिक निर्देशन के अन्तर्गत व्यक्ति एवं व्यवसाय दोनों का ही समान रूप से अध्यनन एवं मूल्यांकन किया जाता है। व्यावसायिक समस्याओं के समाधान हेतु प्रदान की जाने वाली यह एक ऐसी सहायता है जो व्यावसायिक अवसरों के लिए, वांछित योग्यताओं को मयान में रखकर प्रदान की जाती है। इसका प्रमुख उद्धेश्य, व्यावसायिक समायोजन की योग्यता का विकास करना तथा मानव की शक्ति के यथेष्ट उपयोग द्वारा समाज की अर्थव्यवस्था के संचालन में सहायता प्रदान करना है।
व्यावसायिक निर्देशन की आवश्यकता
वैयक्तिक भिन्नताओं एवं व्यवसायों को विविधता के कारण व्यावसायिक निर्देशन की प्रक्रिया का उपयोग करना अत्यन्त आवश्यक होता है। माननीय व्यक्तित्व की जटिलता तथा व्यावसायिक कार्यक्षेत्रों में होने वाले तीव्रगामी परिवर्तनों को मयान में रखते हुए व्यावसायिक निर्देशन की आवश्यकता और भी अधिक अनुभूति की जाने लगी है। इस प्रक्रिया की महना, केवल किसी व्यवसाय में प्रवेश करने की दृष्टि से नहीं, वरन् व्यवसाय में प्रविष्ट होकर वृनिक सन्तोष की दृष्टि से भी यह सहायक है संक्षेप में व्यावसायिक निर्देशन की आवश्यकता को बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है।
2. व्यावसायिक भिन्नता की दृष्टि से – प्राचीन समय में देश की अधिकांश जनता छषि व्यवसाय के माध्यम से ही अपनी जीविकोपार्जन की समस्या का समाधान कर लेती थी। समाज की आवश्यकताएं भी उस समय सीमित थी तथा जनसंख्या का घनत्व अपेक्षाकृत कम था। संयुक्त परिवार प्रथा के कारण एक परिवार के सदस्यों को एक ही स्थान पर रहकर अधिकाधिक अर्थोपार्जन का अवसर सुलभ रहता था। परन्तु जनसंख्या की तीव्रगति से होती हुई वृद्धि, औद्योगीकरण एवं नगरीकरण आदि के फलस्वरूप अनेक नवीन प्रकार के उद्योगों, व्यवसायों की आवश्यकता का अनुभव किया जाने लगा। शीघ्र ही विभिन्न प्रकार की प्रकृति वाले व्यवसायों का उदय होना प्रारम्भ हो गया और स्वतन्त्रता प्राप्ति के उपरान्त अल्पकाल में ही अनेक व्यवसाय संचालित किए जाने लगे।
3. समाज की परिवर्तित दशाएं – समाज की पारिवारिक, आर्थिक, धार्मिक आदि विभिन्न दशाओं में आज पर्याप्त अन्तर हो चुका है। एक समय था जब व्यक्ति की योग्यताओं, व्यक्ति के अस्तित्व एवं परोपकार की दृष्टि से किए जाने वाले कार्यों को महत्व दिया जाता था वर्तमान समाज की स्थितिया सर्वथा भिन्न हैं। आज व्यक्ति के स्तर, मान, भौतिक सामानों को अधिक महत्व दिया जाता है। अपने पड़ोस, सम्बिन्मायों एवं परिचितगणों से सम्मान प्राप्त करने के लिए आज यह आवश्यक है कि व्यक्ति का रहन-सहन का स्तर सन्तोषजनक हो। व्यक्ति के सम्मान एवं सामाजिक मान्यता प्राप्त करने का आज यही आधार है। साथ ही जनसंख्या वृद्धि एवं सीमित अवसरों की उपलब्धता के कारण सर्वत्र एक प्रतिस्पर्धा का वातावरण भी उत्पन्न हो गया है। इस वातावरण में भी उन्हीं व्यक्तियों को आज सफल माना जाता है जो भौतिक दृष्टि से अपेक्षाकृत आगे हैं।