अनुक्रम

- ग्रामीण क्षेत्र से ग्रामीण क्षेत्र में
- ग्रामीण क्षेत्र से नगरीय क्षेत्र में
- नगरीय क्षेत्र से नगरीय क्षेत्र में
- नगरीय क्षेत्र से ग्रामीण क्षेत्र में
प्रवास – अर्थ, परिभाषा
प्रवास के प्रकार
प्रवास के कारण
- आर्थिक कारण
- सामाजिक-राजनैतिक कारण
- जनांकिकीय कारण
आर्थिक कारण
सामान्यत: लोगों की प्रवृत्ति उसी स्थान में निवास करने की होती हैं जहाँ उन्हें आजीविका प्राप्ति के अवसर होते हैं। इसलिए उस क्षेत्र से जहाँ की मृदा अनुपजाऊ, आवागमन के साधन कम विकसित, निम्न औद्योगिक विकास एवं रोजगार की कम संभावनाएँ हों वहाँ से लोग पलायन कर जाते हैं। ये कारक प्रवास के लिए प्रतिकर्षित करते हैं। दूसरी तरफ वे क्षेत्र जहाँ पर रोजगार की गुंजाइश हो तथा जीवनस्तर भी अपेक्षाकृत ऊँचा हो, लोगों को उत्प्रवास के लिए आकर्षित करता है। अत: इन कारकों को आकर्षणकारी समूह कहते हैं।
सामाजिक-राजनैतिक कारण
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है अत: वह चाहता है कि वह अपने निकटतम संबंधियों के साथ रहे। साधारणत: एक ही धर्म, भाषा तथा समान सामाजिक रीति-रिवाज़ों को मानने वाले लोग एक साथ रहना पसन्द करते हैं। इसके ठीक विपरीत यदि कोई व्यक्ति ऐसे स्थान में रह रहा हो जहाँ लोगों का रहन-सहन, सामाजिक रीति-रिवाज अलग हो तो वह अन्यत्रा प्रवास करना चाहेगा। बहुत से लोग धार्मिक महत्व के स्थानों पर जाना पसन्द करते हैं भले ही वह अस्थाई रूप में ही हो जैसे बद्रीनाथ, तिरूपति, वाराणसी आदि।
जनांकिकीय कारण
जनांकिकी में उम्र की अहम भूमिका होती है। युवा व्यक्तियों में प्रवास ज्यादा मिलता है जबकि बच्चों एवं वद्धृ ों में कम। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि युवा व्यक्ति कार्य की तलाश या बेहतर संभावनाओं की खोज में अन्यत्रा प्रवास करते हैं।
जनसंख्या प्रवास में राजनैतिक कारकों में से अधिकांश का संबंध सरकार की नीति से होता हैं। आधुनिक युग में ऐसे राजनैतिक कारक बहुत प्रभावशाली होते जा रहे हैं। इसके चलते प्रवास की गति, दिशा एवं स्तर प्रभावित हो रहा है। कई बार सरकारी नीतियाँ क्षेत्र के अल्पसंख्यकों को प्रवासित करने को बाध्य कर देती है।
जनसंख्या प्रवास के परिणाम
परिणामों को तीन प्रकार के वर्गों में रखा जा सकता है-
- आर्थिक परिणाम
- सामाजिक परिणाम
- जनांकिकीय परिणाम
आर्थिक परिणाम
प्रवास के आर्थिक परिणामों में से सबसे महत्वपूर्ण परिणाम, जनसंख्या तथा संसाधनों के बीच के अनुपात पर प्रभाव है। प्रवास के उद्गम स्थान में तथा प्रवास के बसावट, दोनों स्थानों पर इस अनुपात में बदलाव आता है। इनमें से एक स्थान तो कम जनसंख्या वाला हो जाता है तो दूसरा स्थान अधिक जनसंख्या वाला या फिर उचित या आदर्श जनसंख्या वाला। कम जनसंख्या के क्षेत्र में लोगों की संख्या तथा मौजूद संसाधन में असंतुलन होता है, नतीजतन संसाधन का उचित उपभोग एवं विकास दोनों अवरूद्ध होते हैं। ठीक इसके विपरीत अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र में लोगों की बहुलता होती है, फलस्वरूप संसाधनों पर दबाव बढ़ जाता है।
प्रवास दोनों क्षेत्रों में विद्यमान जनसंख्या की व्यावसायिक संरचनाओं को प्रभावित करता है। जिस क्षेत्र से लोगों का उत्प्रवास होता है, उस क्षेत्र में आमतौर पर क्रियाशील लोगों का आभाव हो जाता है तथा जिन क्षेत्रों में उत्प्रवासी लोग जाकर बसते हैं वहाँ क्रियाशील व्यक्तियों की संख्या बढ़ जाती है। उत्प्रवासित क्षेत्र यानी जहाँ से लोग प्रवास के लिये बाहर निकल आए वहाँ कार्यशील व्यक्तियों की कमी होने से उन पर आश्रितों की संख्या बढ़ जाती है।
यद्यपि इस प्रकार के प्रवास का किसी भी क्षेत्र में विद्यमान संसाधन एवं जनसंख्या के अनुपात में कोई विशेष प्रभाव पड़ता नज़र नहीं आता क्योंकि उत्प्रवासी व्यक्तियों की संख्या बहुत कम होती है, फिर भी उद्गम क्षेत्रों में यानी जहाँ के लोग पलायन करते हैं वहाँ की जनसंख्या की गुणवत्ता पर कुप्रभाव पड़ता ही है। प्रतिभाशाली एवं कुशल वैज्ञानिक, इंजीनियर, चिकित्सकों के चले जाने से उद्गम स्थान के संसाधनों के विकास में काफी बाधा एवं रूकावटें आती हैं।
सामाजिक परिणाम
प्रवास के कारण विभिन्न संस्कृतियों के साथ पारस्परिक क्रिया होती हैं। प्रवास क्षेत्रों में भिन्न संस्कृतियों वाले व्यक्तियों के आने से इन क्षेत्रों की संस्कृति अधिक समृद्ध हो जाती हैं। भारत की आधुनिक संस्कृति अनेक संस्कृतियों की पारस्परिक क्रिया के फलस्वरूप प्रस्फुटित एवं पल्लवित हुई है। कभी कभी विभिन्न संस्कृतियों का मिलन सांस्कृतिक संघर्ष को भी जन्म देता है। बहुत से प्रवासी (विशेष कर पुरूष वर्ग) जो शहरों में अकेले रहते हैं, उन लोगों को विवाहेत्तर एवं असुरक्षित यौन संबंधों में लिप्त पाया जाता है।
- सही जानकारी की कमी के कारण,
- असुरक्षित यौन संबंधों के कारण,
- यौन संबंधों की जिज्ञासा,
- नशीली दवाओं का सेवन एवं मदिरापन,
- प्रवास क्षेत्रों में साँस्कृतिक समृद्धि को बढ़ावा मिलता है। यद्यपि कई बार सांस्कृतिक मनमुटाव अथवा संघर्ष भी उत्पन्न हो जाते हैं।
- प्रवास के कारण उत्प्रवासित क्षेत्र एवं आप्रवासित क्षेत्र दोनों जगहों में संसाधन एवं जनसंख्या के अनुपात में परिवर्तन आ जाता है।
- प्रतिभा-पलायन भी एक गंभीर दुष्परिणाम है जो प्रवास की प्रक्रिया के कारण आ जाता है।
जनांकिकीय परिणाम
प्रवास के कारण दोनों स्थानों की जनसंख्या में गुणात्मक परिवर्तन आता हैं, खासकर जनसंख्या के आयुवर्ग तथा लैंगिक वर्ग के अनुपात में। इस कारण जनसंख्या की वृद्धि दर भी प्रभावित होती है। आमतौर पर जहाँ से युवा वर्ग उत्प्रवासित होकर अन्यत्रा चले जाते हैं वृद्धों, बच्चों एवं महिलाओं की संख्या बढ़ती है।