अनुक्रम
पृथ्वी की आंतरिक संरचना

1. सियाल – पृथ्वी के ऊपर बिछी परतदार चट्टानों के नीचे यह सबसे हल्की परत है। यह ग्रेनाइट चट्टानों से बनी हुई है। ग्रेनाईट की इस परत में सिलिका और एल्युमीनियम तत्वों की अधिक है। इसलिए इसका नाम सियाल है जो दोनों तत्वों के प्रथम अक्षरांे के मिलने से बना है। ग्रेनाइट के आलावा इस परत में भारी कायान्तरित तथा आग्नेय चट्टानें भी सम्मिलित हैं। महाद्वीपों की रचना इसी सियाल से हुई मानी गई है। इस परत का औसत घनत्व 2.9 है और गहराई 50 से 300 कि.मी. तक आंकी गई है।
2. सीमा – ग्रेनाइट चट्टानों से निर्मित सियाल परत के नीचे एक मध्यवर्ती परत है, जिसको सीमा कहा जाता है। इस परत का निर्माण जिन चट्टानों से हुआ उसमें सिलिका और मैग्नीषियम तत्वों की प्रधानता पायी जाती है। इसलिए इस परत को सीमा कहा जाता है। इस परत में क्षारीय पदार्थ अधिक पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें लोहा, कैल्षियम और मैग्नीषियम के सिलीकेट भी बहुलता से मिलते है। इस परत का औसत घनत्व 2.9 से 4.7 है और गहराई 1,000 से 2,000 कि.मी. तक है।
3. नीफ – सीमा के नीचे यह पृथ्वी की अन्तिम और तीसरी परत है। इस परत का निर्माण बहुत ही कठोर और भारी पदार्थों से हुआ हैए जिनका औसत घनत्व 11 है। इन पदार्थों मंे निकिल और फेरियम प्रधान हंै। इसीलिए इस परत का नाम नीफे पड़ा है। फेरियमए लोहे का ही रूप है। इस प्रकार पृथ्वी की इस अन्तिम परत मंे लोहे की प्रधानता होने से ही उसमें चुम्बकीय गुण विद्यमान है। इसी से पृथ्वी मंे स्थिरता भी है।
उपर्युक्त वर्णन से यह स्पष्ट है कि पृथ्वी की संरचना विभिन्न घनत्व के पदार्थों से हुई है। भूगर्भ में एक समान घनत्व वाले पदार्थाें को एक परत की संज्ञा दी गई है। पृथ्वी के भीतर विभिन्न घनत्व वाली ऐसी कई परतें हैं। इन परतांे की संख्या और उनकी गहराई के सम्बन्धी में सभी विद्वान एकमत नहीं है। कुछ विद्वान् पृथ्वी की तीन और कुछ चार परत मानते हैं।
भूगर्भ का तापमान, दबाव तथा घनत्व
तापमान
गहरी खानों और गहरे कूपों से जानकारी मिलती है कि पृथ्वी के भीतर गहराई बढ़ने के साथ तापमान बढ़ता है। यह बात ज्वालामुखी के उद्गारों में पृथ्वी के अन्दर से निकले अत्यन्त गर्म लावा से भी सिद्ध होती है कि भूगर्भ की ओर तापमान बढ़ता जाता है। विभिन्न प्रमाणों से स्पष्ट होता है कि भूगर्भ में ध्धरातल से केन्द्र की ओर तापमान बढ़ने की दर एक समान नहीं है। कहीं पर यह तेज है और कहीं पर धीमी। प्रारम्भ में तापमान बढ़ने की औसत दर प्रत्येक 32 मीटर की गइराई पर 10 सेल्सियस है। तापमान की इस स्थिर वृद्धि के आधार पर 10 किलोमीटर की गहराई में तापमान धरातल की अपेक्षा 3000 से. अधिक होना चाहिये और 40 किलोमीटर की गहराई में इसे 12000 से. होना चाहिये। तापमान की इस वृद्धि दर के अनुसार भूगर्भ के सभी पदार्थ पिघली हुई अवस्था में होने चाहिये। परन्तु वास्तव में ऐसा नहीं है। चट्टानें जितनी अधिक गहराई में होंगी उनके पिघलने का तापमान-बिन्दु उतना ही ऊँचा होगा। इसका कारण यह है कि भूगर्भ में नीचे दबी शैलों पर ऊपर की शैलों का इतना अधिक दाब होता है जिससे उनके पिघलने का तापमान-बिन्दु धरातल की तुलना में बहुत अधिक हो जाता है।
दबाव –
भूगर्भ में ऊपरी परतों के बहुत अधिक भार के कारण पृथ्वी के सतह से केन्द्र की ओर जाने पर दबाव भी निरन्तर बढ़ता जाता है। पृथ्वी के केन्द्र पर अत्यधिक दबाव है। यह दबाव समुद्र तल पर वायुमंडल के दाब से 30-40 लाख गुना अधिक है। केन्द्र पर उच्च तापमान होने के कारण यहां पाये जाने वाले पदार्थों को द्रव रूप में होना स्वाभाविक है, परन्तु इस ऊपरी भारी दबाव के कारण यह द्रव रूप ठोस का आचरण करता है। सम्भवत: इसका स्वरूप प्लास्टिक नुमा है।
घनत्व –
पृथ्वी के केन्द्र की ओर निरन्तर दबाव के बढ़ने और भारी पदार्थों के होने के कारण उसकी परतों का घनत्व भी बढ़ता जाता है। अत: सबसे गहरे भागों में अत्यधिक घनत्व वाले पदार्थों का होना स्वाभाविक है।
भूपर्पटी के पदार्थ
स्थलमंडल का सबसे ऊपर भाग भूपर्पटी कहलाता है। यह पृथ्वी का सबसे महत्वपूर्ण भाग है; क्योंकि इसकी ऊपरी सतह पर मानव रहते हैं। जिन पदार्थों से भूपर्पटी बनी है, उन्हें शैल कहते हैं। शैलें विभिन्न प्रकार की होती हैं। शैलें ग्रेनाइट की तरह कठोर, चीका मिट्टी की तरह मुलायम अथवा बजरी के समान बिखरी होती है। शैलें विभिन्न रंग, भार और कठोरता लिए होती है। शैलें खनिजों से बनी हैं। वे एक या एक से अधिक खनिजों का मिश्रण हैं। दूसरी ओर खनिज एक या एक से अधिक तत्वों के निश्चित अनुपात में मिलने से बने हैं। खनिजों में एक निश्चित रासायनिक संगठन होता है। भूपर्पटी 2000 से भी अधिक खनिजों से बनी है, परन्तु इनमें से केवल 6 खनिजों की अधिकता है। इन्हीं का पृथ्वी की ऊपरी परत के निर्माण में विशेष योग है। इन 6 खनिजों के नाम – फेल्सपार, क्वाटर््ज, पाइराक्सीन, एम्फीबोल, अभ्रक और ओलीबीन हैं।
ग्रेनाइट एक कठोर शैल है। इसके निर्माणकारी खनिज क्वार्टज, फेल्सपार और अभ्रक हैं। इन खनिजों के अनुपात में भिन्नता होने से ग्रेनाइट के रंग और उसकी कठोरता में अन्तर आ जाता है। जिन खनिजों में धात्विक अंश होता है, उन्हें धाित्त्वक खनिज कहते हैं। हैमेटाइट एक प्रमुख लौह-अयस्क है। यह धात्विक खनिज है। अयस्क धात्विक खनिज होते हैं, जिनसे धातुओं का निकालना लाभकारी होता है। शैलों का निर्माण खनिजों से हुआ है। इनका मानव जीवन में बहुत अधिक महत्व है।