अनुक्रम
समुदाय का अर्थ
समुदाय की परिभाषा
1. मैकाइवर के अनुसार – समुदाय सामाजिक जीवन के उस क्षेत्र को कहते है, जिसे सामाजिक सम्बन्ध अथवा सामंजस्य की कुछ मात्रा द्वारा पहचाना जा सके।’’
2. आगबर्न एंव न्यूमेयर के अनुसार, ‘‘समुदाय व्यक्तियों का एक समूह है जो एक सन्निकट भौगोलिक क्षेत्र में रहता हो, जिसकी गतितिधियों एवं हितों के समान केन्द्र हों तथा जो जीवन के प्रमुख कायोर्ं में इकट्ठे मिलकर कार्य करते हों।’’
3. बोगार्डस के अनुसार, ‘‘समुदाय एक सामाजिक समूह है जिसमें हम भावना की कुछ मात्रा हो तथा एक निश्चित क्षेत्र में रहता हो।’’
4. आगबर्न एवं निमकॉफ के अनुसार, ‘‘ समुदाय किसी सीमित क्षेत्र के भीतर सामाजिक जीवन का पूर्ण संगठन हैं।
5. एच0 मजूमदार के अनुसार, ‘‘समुदाय किसी निश्चित भू-क्षेत्र, क्षेत्र की सीमा कुछ भी हो पर रहने वाले व्यक्तियों के समूह है जो सामान्य जीवन व्यतीत करते हैं’’।
6. डेविस के अनुसार ‘‘समुदाय एक सबसे छोटा क्षेत्रीय समूह है जिसके अन्तगर्त सामााजिक जीवन के समस्त पहलुओं का समावेश हो सकता हैं’’।
समुदाय की विशेषताएं
समुदाय की उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर उसकी कुछ मुल विशेषताएं बताई जा सकती हैं जो हैं:-
समुदाय के प्रकार
समुदाय के प्रकार समुदाय के दो प्रकार बताये गये हैं :-
- ग्रामीण समुदाय
- नगरीय समुदाय
1. ग्रामीण समुदाय
प्रारम्भिक काल से ही मानव जीवन का निवास स्थान ग्रामीण समुदाय रहा है। धीरे-धीरे एक ऐसा समय आया जब हमारी ग्रामीण जनसंख्या चरमोत्कर्ष पर पहुँच गयी। आज ग्रामीण समुदाय के बदलते परिवेष में ग्रामीण समुदाय को परिभाषित करना कठिन है । ग्रामीण समुदाय की विशेषताएं
- कृषि व्यवसाय – ग्रामीण में रहने वाले ज्यादातर ग्रामवासी का खेती योग्य जमीन पर स्वामित्व होता है, खेती करना होता है
- प्राकृतिक निकटता – सभी जानते हैं कि खेती का सीधा सम्बन्ध प्रकृति से है ग्रामीण जीवन प्रकृति पर आश्रित रहता है।
- जातिवाद एवं धर्म का अधिक महत्व – ग्रामीण समुदाय में अधिकाधिक लोगों की जातिवाद, धर्मवाद में अटूट श्रद्धा है।ग्रामीण समाज में छुआछूत व संकीर्णता पर विशेष बल दिया जाता है।
- संयुक्त परिवार – ग्रामीण समुदाय में संयुक्त परिवार का अपना विशेष महत्व है। परिवार का मुखिया एवं बड़े-बूढ़े सदस्य इसे अपना सम्मान समझकर परिवार की एकता को बनाये रखने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं।
- सामुदायिक भावना – ग्रामीण समुदाय की एक महत्वपूर्ण विशेषता उनमें व्याप्त सामुदायिक भावना ग्रामीण समुदायों के सदस्यों में व्यक्तिगत निर्भरता के स्थान पर सामुदायिक निर्भरता अधिक पाई जाती है। इसलिए लोग एक दूसरे पर आश्रित होते हैं ग्रामीण समुदाय के एक सीमित क्षेत्र में बसने के कारण सदस्यों की अपनी समीपता बढ़ जाती है उनमें स्वभाव हम भावना का विकास हो जाता है। जिसे सामुदायिक भावना का नाम लिया जाता है।
- धर्म एवं परम्परागत बातों में अधिक विश्वास – ग्रामीण लोग धर्म पुरानी परम्पराओं एवं रूढ़ियों में विश्वास करते हैं। तथा उनका जीवन सामुदायिक व्यवहार, धार्मिक नियमों एवं परम्पराओं से प्रभावित होता है।
2. नगरीय समुदाय
नगरीय समुदाय का अर्थ-नगरीय शब्द नगर से बना है जिसका अर्थ नगरों से सम्बन्धित है। जैसे शहरी समुदाय को एक सूत्र में बांधना अत्यन्त कठिन है। यदपि हम नगरीय समुदाय को देखते हैं, वहां के विचारों से पूर्ण अवगत हैं लेकिन उसे परिभाषित करना आसान नहीं है।
- जनसंख्या का अधिक घनत्व – रोजगार की तलाश में गाँव से शिक्षित एवं अशिक्षित बेरोजगार व्यक्ति शहर में आते हैं। जनसंख्या वृद्धि के कारण आज सीमित जमीन में लोगों को जीवन निवार्ह करना कठिन पड़ रहा है।
- विभिन्न संस्कृतियों का केन्द्र – कोई नगर किसी एक विशेष संस्कृति के जन समुदाय के लिये अशिक्षित नहीं होता। इसलिये देश के विभिन्न गाँवों से लोग नगर में आते हैं और वहीं बस जाते है। ये लोग विभिन्न रीति रिवाजों में विश्वास करते हैं तथा उन्हें मानते हैं।
- अन्ध विश्वासों में कमी – नगरीय समुदाय में विकास के साधन एवं सुविधाओं की उपलब्धता के साथ-साथ यहां शिक्षा और सामाजिक बोध ग्रामीण समुदाय से अधिक पाया जाता है। यहां के लोगों का पुराने अन्धविश्वासों एवं रुढ़ियों में कम विश्वास होगा।
- वर्ग अतिवाद – नगरीय समुदाय में धनियों के धनी और गरीबों में गरीब वर्ग के लोग पाये जाते हैं अर्थात यहाँ भव्य कोठियों के रहने वाले, ऐश्वर्यपूर्ण जीवन व्यतीत करने वाले तथा दूसरे तरफ मकानों के आभाव में गरीब एवं कमजोर सड़क की पटरियों पर सोने वाले, भरपेट भोजन न नसीब होने वाले लोग भी निवास करते हैं।
- श्रम विभाजन – नगरीय समुदाय में अनेक व्यवसाय वाले लोग होते हैं। जहाँ ग्रामीण समुदाय में अधिकाधिक लोगों का जीवन कृशि एव उससे सम्बन्धित कार्यों पर निर्भर होता है वहीं दूसरी तरफ नगरीय समुदाय में व्यापार-व्यवसाय, नौकरी, अध्ययन् आदि पर लोग का जीवन निर्भर करता है।
- एकाकी परिवार की महत्ता – नगरीय समुदाय में उच्च जीवन स्तर की आकांक्षा के फलस्वरूप संयुक्त परिवार की जिम्मेदारियाँ वहन करना कठिनतम साबित होता है। शहरी समुदाय में एकाकी परिवार का बाहुल्य होता है।
सामुदायिक भावना के अनिवार्य तत्व
1. हम की भावना – हम की भावना (We feeling) सामुदायिक भावना का प्रमुख अंग है। इस भावना के अन्तर्गत सदस्यों में ‘मैं’ की भावना नहीं रहती है। लोग मानते हैं कि यह हमारा समुदाय है, हमारी भलाई इसी में है या यह हमारा दु:ख है। सोचने तथा कार्य करने में भी हम की भावना स्पष्ट दिखाई देती है। इसके कारण सदस्य एक-दूसरे से अपने को बहुत समीप मानते हैं।