अनुक्रम
संचार का अर्थ
संचार की परिभाषा
संचार शब्द की सामान्य परिभाषा नित्य प्रयुक्त होने वाले अर्थ में देखी जा सकती है यानि कोई विचार अथवा सूचना देना, प्राप्त करना अथवा सूचनाओं एवं विचारों का आदान-प्रदान करना।
2. आक्सफोर्ड शब्दकोश के अनुसार, संचार प्रक्रिया का अर्थ, अपनी बात कहना, विचारों का आदान-प्रदान करना होता है, जो बोलकर या व्यक्त करके किए जा सकते हैं।
3. डेनिस मेकक्वेल के शब्दों में संचार प्रक्रिया एक ऐसी क्रिया है, जो सांझापन बढ़ाती है। वह कहता है कि संचार का अर्थ है एक व्यक्ति से दूसरे को उपयोगी संदेश पहुँचाना।
4. चाल्र्स मोरिस इसे दो तरह परिभाषित करते हैं। व्यापक अर्थ देना संचार प्रक्रिया का अर्थ है सांझापन को विकसित करना और सीमित अर्थ में संकेतों का अर्थपूर्ण आदान-प्रदान।
संचार के प्रकार
संचार के कुछ प्रमुख प्रकारों का उल्लेख किया गया है जो संचार की प्रक्रिया को महत्वपूर्ण आधार प्रदान करते हैं-
- औपचारिक एवं अनौपचारिक संचार
- अन्तर्वैयक्तिक एवं जन-संचार
- मौखिक संचार
- लिखित संचार
- अमौखिक संचार
- अन्तर्वैयक्तिक संचार
- जन-संचार
1. औपचारिक संचार
औपचारिक संचार किसी संस्था में विचारपूर्वक स्थापित की जाती है। किस व्यक्ति को किसको और किस अन्तराल में सूचना देनी चाहिए, यह किसी संस्था में विभिन्न स्तरों पर कार्यरत् व्यक्तियों के मध्य सम्बन्धों को स्पष्ट करने में सहायक होता है। औपचारिक सन्देशवाहन के निर्माण व प्रेषण में अनेक औपचारिक सम्वाद अधिकांशत: लिखित होते हैं।
- औपचारिक संचार अधिकृत संचार कर्ता के द्वारा सही सूचना प्रदान की जाती है।
- यह संचार लिखित रूप में होता है।
- इस संचार के द्वारा संचार की प्रति पुष्टि होती है।
- यह संचार व्यवस्थित एवं उचित तरीके से किया जाता है।
- यह संचार करते समय संचार के स्तरों के क्रमों का विशेष ध्यान रखा जाता है।
- इस संचार के माध्यम से संचारक की स्थिति का पता सरलता से लगाया जा सकता है।
- इस संचार के द्वारा व्यावसायिक मामलों को आसानी से नियंत्रित एवं व्यवस्थित किया जा सकता है।
- इस संचार के द्वारा दूर स्थापित लोगों से सम्बन्ध आसानी से स्थापित किये जा सकते हैं।
(ii) औपचारिक संचार के दोष –
- इस संचार की गति धीमी होती है।
- समान्यतया इस संचार में उच्च अधिकृत लोगों का अधिभार ज्यादा होता है।
- इस संचार में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से संचार की आलोचना नहीं की जा सकती है।
- इस संचार में नियमों का शक्ति से पालन किया जाता है जिसंके कारण संचार में लोचशीलता के अभाव के कारण बाधा उत्पन्न होने की संभावना हमेशा विद्यमान रहती है।
2. अनौपचारिक संचार
अनौपचारिक सन्देश वाहनों में किसी प्रकार की औपचारिकता नहीं बरती जाती। ऐसे सन्देशवाहन मुख्यत: पक्षकारों के बीच अनौपचारिक सम्बन्धों पर निर्भर करते हैं। अनौपचारिक सन्देशवाहन के कुछ उदाहरण है – नेत्रों से किये जाने वाले इशारे, सिर हिलाना, मुस्कराना, क्रोधित होना आदि।
(i) अनौपचारिक संचार के लाभ –
- इस संचार के द्वारा सौहार्द सम्बन्धी एवं संभावनाओं का आदान प्रदान होता है।
- इस संचार के द्वारा संचार की गति अत्यधिक तेज होती है।
- इस संचार में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से विचारों का आदान-प्रदान किया जाता है।
- इस संचार के माध्यम से सम्बन्धों में व्याप्त तनाव में कमी आती है तथा लोगों के मध्य सांवेगिक सम्बन्ध स्थापित होते हैं।
(ii) अनौपचारिक संचार के दोष –
- इस संचार के द्वारा अविश्वसनीय तथा अपर्याप्त सूचना प्राप्त होती है।
- इस संचार में सूचना प्रदान करने का उत्तरदायित्व निश्चित नहीं होता है तथा सूचना किस स्तर से तथा कहाँ से प्राप्त हुई है, का पता लगाना आसान नहीं होता है।
- इस प्रकार का संचार ज्यादातर किसी भी संगठन में समस्या को उत्पन्न कर सकता है।
- इस संचार में सूचना किस स्तर से तथा कहाँ से प्राप्त हो रही है का स्रोत निश्चित नहीं होता है जिसके कारण सूचना के उद्देश्यों की प्राप्ति तथा उसका अर्थ निरूपण करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
3. लिखित संचार
लिखित संचार एक प्रकार औपचारिक संचार है जिसमें सूचनाओं का आदान-प्रदान लिखित रूप में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को प्रेषित किया जाता है इस संचार के द्वारा संचारक को लिखित रूप में प्रेषित किये गये संदेश का अभिलेख रखने में आसानी होती है।
(ii) लिखित संचार के लाभ –
- लिखित सम्प्रेषण की दशा में दोनों पक्षों की उपस्थिति आवश्यक नहीं है
- विस्तृत एवं जटिल सूचनाओं के सम्प्रेषण के लिए यह अधिक उपयुक्त है।
- यह साधन मितव्ययी भी है क्योंकि डाक द्वारा समाचार योजना, दूरभाष पर बात करने की उपेक्षा सस्ता होता है।
- लिखित संवाद प्रमाण का काम करता है तथा भावी संदभोर्ं के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
(iii) लिखित संचार के दोष –
- लिखित संचार की दशा में प्रत्येक सूचना को चाहे वह छोटी हो अथवा बड़ी, लिखित रूप में ही प्रस्तुत करना पड़ता है जिनमें स्वभावत: बहुत अधिक समय व धन का अपव्यय होता है।
- प्रत्येक छोटी-बड़ी बात हो हमेशा लिखित रूप में ही प्रस्तुत करना सम्भव नहीं होता।
- लिखित संचार में गोपनीयता नहीं रखी जा सकती।
- लिखित संचार का एक दोष यह भी है कि इससे लालफीताशाही का बढ़ावा मिलता है।
- अशिक्षित व्यक्तियों के लिए लिखित स्म्प्रेषण कोई अर्थ नहीं रखता। मौखिक अथवा लिखित संचार के अपेक्षाकृत श्रेष्ठ कौन है, इसका निर्णय करना एक कठिन समस्या है। वास्तव में इसका उत्तर प्रत्येक मामले की परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।
4. मौखिक संचार
मौखिक संचार से तात्पर्य संचारक द्वारा किसी सूचना अथवा संवाद का मुख से उच्चारण कर संवाद प्राप्तकर्ता को प्रेरित करने से है। दूसरे शब्दों में, जो सूचनायें या संदेश लिखित न हो वरन् जुबानी कहें या निर्गमित किये गये हो उन्हें मौखिक संचार कहते हैं।
(ii) मौखिक संचार के लाभ –
- इस पद्धति से समय व धन दोनों की बचत होती है।
- इसे आसानी से समझा जा सकता है।
- संकटकालीन अवधि में कार्य में गति लाने के लिए मौखिक पद्धति एक मात्र विधि होती है।
- मौखिक संचार लिखित संचार की तुलना में अधिक लचीला होता है।
- मौखिक संचार पारस्परिक सद्भाव व सद्विश्वास में वृद्धि करता है।
(iii) मौखिक संचार के दोष –
- मौखिक वार्ता को बातचीत के उपरान्त पुन: प्रस्तुत करने का प्रश्न ही नहीं उठता।
- मौखिक वार्ता भावी संदर्भ के लिए अनुपयुक्त है।
- मौखिक सन्देशवाहन में सूचनाकर्ता को सोचने का अधिक मौका नहीं मिलता।
- खर्चीला
- तैयारी की आवश्यकता।
- अपूर्ण।
5. अमौखिक संचार
यह संचार का प्रकार है जो न मौखिक होता है और न ही लिखित। इस संचार में एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को अमौखिक रूप से सूचना को प्रदान करता है, उदाहरण के रूप में-शारीरिक हाव-भाव के द्वारा। इस संचार में शारीरिक भाव-भंगिमा के माध्यम से संचार को प्रेषित किया जाता है। जिसे प्राप्तकर्ता अमौखिक रूप से सरलता से समझ जाता है, जैसे-चेहरे का भाव, आंखों तथा हाथ का इधर-उधर घूमना आदि के द्वारा भावनाओं, संवेगों, मनोवृत्तियों इत्यादि को असानी से समझ सकता है।
(i) अमौखिक संचार के लाभ –
- इस संचार के द्वारा भावनाओं, संवेगों, मनोवृत्ति इत्यादि को कम समय में प्रेषित किया जा सकता है।
- इस संचार को एक प्रकार से मौखिक संचार का प्रारूप माना जा सकता है जिसमें मौखिक संचार के लाभों एवं दोषों को शामिल किया जा सकता है।
- इस संचार के द्वारा लोगों को प्रेरित, प्रभावित तथा एकाग्रचित किया जा सकता है।
6. अन्तर्वैयक्तिक संचार
अन्र्तवैयक्तिक संचार का एक प्रकार हैं जिसमेंं संचारकर्ता तथा प्राप्तकर्ता एक-दूसरे के आमने-सामने होते हैं। अन्र्तवैयक्तिक संचार लिखित अथवा मौखिक दोनों रूप में हो सकते हैं, अन्र्तवैयक्तिक संचार के अन्तर्गत लिखित रूप में यथा पत्र, डायरी इत्यादि को शामिल किया जा सकता है जबकि मौखिक संचार में टेलिफोन, आमने-सामने की बातचीत इत्यादि को शामिल कर सकते हैं।
(i) अन्तर्वैयक्तिक संचार के लाभ –
- इस संचार के द्वारा संचारक तथा प्राप्तकर्ता के मध्य सामने-सामने के सम्बन्ध होते हैं। जिसके कारण मौखिक संदेश की गोपनीयता बनी रहती हैं।
- इस संचार में संचारक तथा प्राप्तकर्ता ही होते हैं जिसके कारण सूचना अन्य लोगों के पास नहीं जा पाती है।
7. जन-संचार
जन-संचार संचार का एक माध्यम हैं जिसके द्वारा कोई भी संदेश अनेक माध्यमों के द्वारा जन-समुदाय तक पहुंचाया जाता है। वर्तमान समय में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जो जन-संचार माध्यम से न जुड़ा हो। सच पूछा जाय तो आज के मनुष्य का विकास जन-संचार के माध्यमों द्वारा ही हो रहा है।
संचार के सिद्धांत
संचार की प्रक्रिया विभिन्न अध्ययनों के पश्चात स्पष्ट होता है कि संचार को आधार प्रदान करने के लिए सिद्धांत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।