अनुक्रम
- पहली-प्राथमिक प्रणाली एवं
- दूसरी- सहायक प्रणाली।
प्राथमिक प्रणाली में वैयक्तिक समाज कार्य, सामूहिक समाज कार्य तथा सामुदायिक संगठन, जबकि सहायक प्रणाली में समाज कल्याण प्रशासन, समाज कार्य शोध तथा सामाजिक क्रिया को रखा गया है।
वैयक्तिक समाज कार्य की परिभाषा
वैयक्तिक समाज कार्य- समाज कार्य की प्राथमिक प्रणाली है, जिसके माध्यम से किसी व्यक्ति विशेष की मनोसामाजिक समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया जाता है। वैयक्तिक समाज कार्य सेवाथ्री की अन्तदर्ृश्टि को उकसाने वाली एक प्रक्रिया है, जो सेवाथ्री के विभिन्न पहलुओं की जानकारी कराती है। इसके माध्यम से सेवाथ्री के पर्यावरण में परिवर्तन लाने का प्रयास किया जाता है जिससे सेवाथ्री की सोंच एवं क्षमताओं का विकास हो सके और वह अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं कर सके तथा परिस्थितियों के साथ उचित समायोजन स्थापित कर सके।
वाटसन (1922) के अनुसार, वैयक्तिक समाज कार्य, “असन्तुलित व्यक्तित्व को इस प्रकार सन्तुलित बनाने और उसका पुनर्निर्माण करने की एक कला है कि व्यक्ति अपने पर्यावरण से समायोजन प्राप्त कर सकें।
परिभाषाओं का अध्ययन एवं अवलोकन करने से यह स्पष्ट होता है कि वैयक्तिक समाज कार्य एक सहायता मूलक कार्य है यह ऐसे व्यक्ति को दी जाती है जो मनोसामाजिक समस्याओं से ग्रसित है तथा जिसके पर्यावरण में परिवर्तन की आवश्यकता है, जिससे कि उसकी क्षमताओं का विकास हो सके और वह समाज में अच्छा समायोजन स्थापित कर सके।
वैयक्तिक समाज कार्य की विशेषताएँ
- वैयक्तिक समाज कार्य आपस में सहयोगात्मक प्रवृत्ति का कार्य करने की एक कला है।
- सामाजिक सम्बन्धों में अधिक अच्छे समायोजन लाने की कला है।
- वैयक्तिक समाज कार्य कुसमायोजित व्यक्ति का सामाजिक उपचार है।
- असन्तुलित व्यक्ति को सन्तुलित करने की कला है।
- वैयक्तिक समाज कार्य मानवीय मनोवृत्तियों में परिवर्तन लाने की एक कला है।
- वैयक्तिक समाज कार्य एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से समस्याग्रस्त व्यक्ति को परामर्श दिया जाता है।
- वैयक्तिक समाज कार्य सेवार्थियों के लिए समुदाय में उपलब्ध साधनों को गतिमान करने तथा पर्यावरण से बेहतर समायोजन रखने की कला है।
- वैयक्तिक समाज कार्य एक सहायता मूलक कार्य है।
- वैयक्तिक समाज कार्य सेवाथ्री को उसी रूप में स्वीकार करते हुए जिसमें वह है, की सहायता करने एवं उसके लिए उपयुक्त उपचार करने की एक प्रक्रिया है।
- वैयक्तिक समाज कार्य उलझे हुए व्यक्ति को सुलझाने की प्रक्रिया है।
वैयक्तिक समाज कार्य के उद्देश्य
- सेवाथ्री की मनोसामाजिक समस्याओं का अध्ययन करना तथा समाधान करना;
- सेवाथ्री की मनोवृत्तियों में परिवर्तन लाना।
- सेवाथ्री में समायोजन लाने की क्षमता का विकास करना।
- सेवाथ्री में आत्मनिर्णयात्मक मनोवृत्ति का विकास करना।
- सेवाथ्री को स्वयं सहायता करने के लिए प्रेरित करना।
- नेतृत्व की क्षमता एवं योग्यता का विकास करना।
- सेवाथ्री का वैयक्तिक अध्ययन करना।
- सेवाथ्री की समस्याओं का सामाजिक निदान करना तथा उपचार करना।
- विभिन्न समाज विज्ञानों का सहारा लेते हुए सेवाथ्री में चेतना का प्रसार करना।
- पर्यावरण में परिवर्तन लाने एवं सेवाथ्री की सोंच में परिवर्तन लाने का प्रयास करना।
वैयक्तिक समाज कार्य की प्रकृति
वैयक्तिक समाज कार्य मानवतावादी दर्षन पर आधारित है। यह समस्याग्रस्त व्यक्ति की इस प्रकार सहायता करता है जिससे वह स्वयं अपनी सहायता कर सके। यह अपने सेवार्थियों की सहायता करने के लिए वैज्ञानिक ज्ञान एवं निपुणताओं का प्रयोग करता है। वैयक्तिक समाज कार्य में कार्यकर्ता वैज्ञानिक ज्ञान एवं निपुणताओं से परिपूर्ण एक व्यावसायिक सदस्य होता है जोकि किसी न किसी संस्था से सम्बद्ध होता है, वह अपनी सेवायें सेवाथ्री को उपलब्ध कराने के लिए संस्था के अन्दर या संस्था के बाहर सेवाथ्री से प्रत्यक्ष सम्पर्क करता है और उसकी समस्याओं को जानने के उपरान्त उपयुक्त उपचार करने का प्रयास करता है।
वैयक्तिक समाज कार्य के अंगभूत
पर्लमैन (1957) के द्वारा दी गई परिभाषा यह है कि ‘‘वैयक्तिक समाज कार्य एक प्रक्रिया है जिसका प्रयोग मानव कल्याण संस्थाएं करती है ताकि व्यक्तियों की सहायता की जा सके जिससे वे अपनी समस्याओं का सामाजिक कार्यात्मकता से सामना कर सकें।’’परिभाषा में वैयक्तिक समाज कार्य के चार अंगभूतों का उल्लेख किया गया है जो हैं :
- व्यक्ति (Person)
- समस्या (Problem)
- स्थान (Place)
- प्रक्रिया (Process)
वैयक्तिक समाज कार्य में व्यक्ति से तात्पर्य ऐसे सेवाथ्री से है जो मनोसामाजिक समस्याओं से ग्रसित है, यह व्यक्ति एक पुरूश, स्त्री, बच्चा अथवा वृद्ध कोई भी हो सकता है। अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जो भी व्यक्ति स्पश्टतया सहायता चाहता है, वैयक्तिक समाज कार्य उसको सहायता उपलब्ध कराता है। कोई भी समस्या व्यक्ति के सामाजिक समायोजन को प्रभावित करती है इसका स्वरूप कैसा भी क्यों न हो। समस्या शारीरिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक या मनोवैज्ञानिक इत्यादि प्रकृति की हो सकती है। वस्तुत: वैयक्तिक समाज कार्य में समस्या वही आती है जो व्यक्ति की सामाजिक क्रिया को गम्भीर रूप से प्रभावित करती हैं। उन समस्याओं के कारण व्यक्ति का सामाजिक सन्तुलन बिगड़ जाता है और वह समस्या से ग्रसित हो जाता है। वैयक्तिक समाज कार्य इसी असन्तुलन को समाप्त करने का प्रयास करता है। स्ािान से तात्पर्य ऐसी संस्था से है जिसके तत्वावधान में व्यक्ति की सहायता की जाती है। यह संस्था सरकारी या गैर-सरकारी हो सकती है। सेवाथ्री को विशेष सहायता इन्हीं संस्थाओं के तत्वावधान में अथवा संस्था के बाहर कार्यकर्ता द्वारा उपलब्ध करायी जाती है। वैयक्तिक समाज कार्य में संस्था ऐसी घटक होती है जो सेवार्थियों की सहायता करने में प्रमुख भूमिका का निर्वहन करती है।
वैयक्तिक समाज कार्य में प्रक्रिया से तात्पर्य उस व्यवस्था से है जिसके माध्यम से सेवाथ्री की सहायता की जाती है। इस सहायता प्रक्रिया में सर्वप्रथम वैयक्तिक समाज कार्यकर्ता सेवाथ्री से मधुर सम्बन्धों की स्थापना करता है तत्पश्चात् उसके पारिवारिक, व्यक्तिगत इतिहास की जानकारी करता है, उसकी समस्याओं को जानने का प्रयास करता है फिर समस्याओं का सामाजिक निदान करने के उपरान्त उपयुक्त उपचार योजना बनाता है तथा मूल्यांकन करता है, यह सब एक प्रक्रिया के माध्यम से होता है।
वैयक्तिक समाज कार्य की मौलिक मान्यतायें
वैयक्तिक समाज कार्य का मूल मानवतावादी दर्शन एवं जन कल्याण की भावना पर आधारित है। यह ऐसी सहायता है जो व्यक्ति की आन्तरिक एवं वाºय समस्याओं का पता लगाकर उसे समायोजन एवं दृढ़ता प्रदान करती है जिससे कि व्यक्ति स्वयं अपनी समस्याओं का समाधान कर सके। वैयक्तिक समाज कार्य की मान्यताओं के सन्दर्भ में कुछ प्रमुख विद्वानों द्वारा प्रदत्त मान्यतायें है : – हैमिल्टन के अनुसार वैयक्तिक समाज कार्य की मान्यतायें :-
- व्यक्ति और समाज में पारस्परिक निर्भरता होती है।
- सामाजिक शक्तियों क्रियाशील रहते हुए व्यक्ति में व्यवहार तथा दृष्टिकोण में अपेक्षित परिवर्तन लाकर उसे आत्मविकास का अवसर पद्र ान करती है
- वैयक्तिक समाज कार्य से सम्बन्ध रखने वाली अधिकांश समस्यायें अन्तवर्ैयक्तिक होती है।
- अपनी समस्याओं को सुलझाने के लिए सेवाथ्री की भूमिका उत्तरदायित्वपूर्ण होती है।
- वैयक्तिक समाज कार्य की प्रक्रिया के दौरान कार्यकर्ता तथा सेवाथ्री के बीच समस्याओं के निराकरण एवं आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए चेतन तथा नियन्त्रित सम्बन्ध होता है।