आज का युग विज्ञापन का युग है। किसी भी वस्तु, व्यक्ति या जगह से हम विज्ञापन के माध्यम से ही परिचित हो जाते है विज्ञापन ने अपना आधुनिक रूप ले लिया है और यह समाज का आर्थिक तंत्र का अभिन्न अंग बन गया है और मीडिया की तो इसे रीढ़ ही समझा जाने लगा है।
यह भी पढ़ें: विज्ञापन का इतिहास
विज्ञापन का अर्थ
विज्ञापन (Advertisement) का सामान्य अर्थ है- विशिष्ट ज्ञापन अथवा सूचना। अंग्रेजी में इसके लिए ‘एडवरटाइजमेंट’ शब्द का प्रयोग किया जाता है जिसका अर्थ है ‘जनता को सूचित करना’। ‘द न्यू एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका’ के अनुसार ‘विज्ञापन संप्रेषण का वह प्रकार है जो उत्पादन अथवा कार्य को उन्नत करने, एक विशिष्ट कारण को बढ़ाने अथवा विज्ञापनदाता द्वारा कुछ इच्छित प्रतिक्रियाओं को प्रकाशित करने का उद्देश्य रखता है।’ परन्तु विज्ञापन एक व्यापक शब्द है जिसके अन्तर्गत विज्ञापन सूचनाएँ, प्रवेश सूचनाएँ, नीलामी सूचनाएँ, निविदा सूचनाएँ आदि होती हैं।
विज्ञापन के उद्देश्य
वस्तु या सेवा की खरीद के लिए उत्सुकता जगाना या प्रसारित विचार के प्रति सहमति अर्जित करना। विज्ञापन हमेशा ही ‘लाभ’ के उद्देश्य को लेकर चलते हैं। यों तो अधिकांशत: यह लाभ प्रस्तुतकर्ता को वस्तु के बेचने से होने वाला मुनाफा ही होता है पर कभी-कभी जनजागरण, माहौल, सेवा के बारे में विचारधारा, सामाजिक बदलाव, वैचारिक उत्थान, सरकारी रीति-नीति का प्रचार, राजनीतिक लाभ आदि वृहद् उद्देश्यों के आधार पर भी विज्ञापन जारी किए जाते हैं।
1. विश्वसनीयता जगानाः विज्ञापन का मूल उद्देश्य विक्रय कला में वृद्धि करना होता है परन्तु इसे दीर्घ.कालिक स्वरूप देने के लिए उत्पाद एवं संस्था के प्रति विश्वास उत्पन्न करना आवश्यक होता है। बिना विश्वास के उपभोक्ता क्रय नहीं करेगा। इसलिए विज्ञापन का अप्रत्यक्ष रूप से सबसे महत्त्वपूर्ण उद्देश्य विश्वसनीयता जगाना ही है।
2. परिचय देनाः विज्ञापन ही नवनिर्मित वस्तुओं की सूचना उपभोक्ता को देता है क्योंकि इसके बाद ही उपभोक्ता उस उत्पाद विशेष में अपनी रूचि लेता है। अतः विज्ञापन का प्राथमिक उद्देश्य उपभोक्ता एवं उत्पाद के बीच सम्बन्ध स्थापित करना है।
3. बिक्री वृद्धिः विज्ञापन का एक उद्देश्य उत्पाद वस्तु की बिक्री में वृद्धि करना भी है। उसके बाकी सभी उद्देश्य की अन्तः परिणति बिक्री में वृद्धि की होती है।
4. ध्यानाकर्षण करनाः उपभोक्ता पर मनोवैज्ञानिक दबाव डालने के लिए विज्ञापन माध्यमों द्वारा अपने उत्पाद का बार.बार प्रचार किया जाता है जिससे उपभोक्ता का ध्यान उस वस्तु की ओर आकर्षित हो। इस प्रक्रिया में डिस्पले या सजावटी विज्ञापन का खासा महत्त्व होता है।
5. छवि निर्माणः प्रत्येक उत्पाद या संस्था के प्रति दीर्घकालिक विश्वसनीयता का अगला चरण है छवि निर्माण। यह कार्य बड़ा दुरूह है परन्तु यदि एक बार छवि निर्माण हो जाती है तो इसके परिणाम काफी सुखद होते है। ब्रांडेड कम्पनी के नए उत्पाद उपभोक्ता बगैर किसी सोच-विचार के इस्तेमाल कर लेते हैं। इस प्रकार विज्ञापन का एक मुख्य उद्देश्य पुख्ता छवि निर्माण भी है।
विज्ञापन का उद्देश्य अपने उत्पादों की विशेषताओं की ओर ग्राहकों को आकृष्ट करना और अपनी मत पुष्टि के लिए आवश्यक वातावरण तैयार करना है।