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लोकतंत्र का अर्थ है- ऐसी सरकार जो जनमत पर आधारित होती है और इसके प्रति उत्तरदायी होती है। दूसरे शब्दों में, लोकतंत्र का अर्थ है- ऐसी व्यवस्था जिसमें लोगों की शक्ति सर्वाेच्च होती है। वह सरकार के निर्धारक होते है। बहुमत का शासन होता है।
लोकतंत्र का अर्थ
लोकतंत्र पद ग्रीक शब्द “डेमोस” और “क्रेटोस” से ग्रहण किया गया है। “डेमोस” का अर्थ है जनता और “क्रेटोस” का अर्थ है शक्ति। इस प्रकार लोकतंत्र शब्द का अर्थ है “जनता की शक्ति”। अर्थात ’डेमोक्रेसी’ का अर्थ हुआ ’लोक शक्ति’ अथवा शासन का वह स्वरूप जिसमें सर्वाेच्च शक्ति लोगों के पास होती है। वर्तमान समय में यह शासन का सर्वाधिक लोकप्रिय स्वरूप बन चुका है। इस प्रकार की शासन व्यवस्था में जनता अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से स्वयं शासन करती है।
लोकतंत्र की परिभाषा
माइकल मूर के अनुसार लोकतंत्र एक देखा जाने वाला खेल नहीं हैं, यह एक सहभागिता वाली घटना है। यदि हम इसमें भाग नहीं लेते हैं, तो लोकतंत्र का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। इसी प्रकार सारटोरी ने लोकतांत्रिक युग को प्रजातांत्रिक भ्रांति का युग कहा है क्योंकि लोकतंत्र राजनीतिक सिद्वान्तों की सबसे भ्रमपूर्ण धारणा है। लोकतंत्र केवल सरकार को चुनने अथवा शासन प्रणाली का एक तरीका, ही नहीं बल्कि इसे एक तरह का समाज तथा जीने का तरीका एक आदर्श अथवा एक उद्देश्य के रूप में परिभाषित किया गया है। आधुनिक युग में लोकतंत्र न केवल प्रशासनिक पक्ष, बल्कि सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक आदि सभी पक्षों का वर्णन करता है। यह व्यक्तियों की समानता, सुरक्षा व स्वतन्त्रता पर बल देता है।
लोकतंत्र के प्रकार
1. शास्त्रीय लोकतंत्र
2. कुलीन सिद्धांत
इस सिद्धांत का प्रतिपादन विल्फ्रेडो पैरेटो, जी. मोस्का, राॅवर्ट मिशेल्स और जोसेफ शुम्पीटर ने किया था। इस सिद्धांत का विकास समाजशास्त्र के अध्ययन क्षेत्र में हुआ था लेकिन इसका महत्वपूर्ण निहितार्थ राजनीति शास्त्र के साथ भी है। मिशेल्स ने ‘अल्पतंत्र का लौह नियम’ दिया, जिसके अंतर्गत उन्होंने तर्क दिया कि अपने वास्तविक लक्ष्य से इतर प्रत्येक संगठन अल्पतंत्र के रूप में सीमित होकर ‘कुछ लोगों के शासन’ के रूप में परिवर्तित हो जाता है।
3. बहुलवादी सिद्धांत
कुलीन सिद्धांत के विपरीत बहुलवादी विश्वास करते हैं कि नीति-निर्माण एक विकेद्रीकृत प्रक्रिया है, जहाँ विभिन्न समूह अपने विचारों को स्वीकृति दिलाने के लिए मोल.तोल करते हैं। यह विभिन्न समूहों के बीच आपसी बातचीत का परिणाम होता है ना कि कुछ कुलीनों के। इस सिद्धांत के प्रतिपादकों में कार्ल मैंनहाईम, रेमंड आरों, राॅबर्ट, डह्ल, चाल्र्स लिंडब्लोम हैं। डह्ल और लिंडब्लोम ने ‘बहुतंत्र’ की संकल्पना दी, जिसका मतलब था सभी नागरिकों के शासन के बजाए बहुत से लोगों का शासन।
4. सहभागी लोकतंत्र
इस सन्दर्भ में सभी लोकतंत्र सहभागी होते हैं कि वे लोकप्रिय सहमति पर आधारित होते हैं, जोकि इसके सहभागी प्रकृति को सुनिश्चित करता है। हालाँकि लोकतंत्र में यह संभावना रहती है कि लोगों की भूमिका मतदान तक ही समिति रह जाए। ऐसे जटिल लोकतंत्रों में निर्वाचित प्रतिनिधि और नागरिकों की बीच दूरी बढ़ जाती है जहाँ लोग जाति, वर्ग, धर्म और क्षेत्र आदि आधारों पर विभाजित होते हैं। कुलीनतंत्रीय और बहुलवादी सिद्धांत के विपरीत सहभागी लोकतंत्र सामान्य हित को प्रोत्साहित करने के लिए नीति निर्माण मं े नागरिकों की सहभागिता का समर्थन करता है, साथ ही यह सरकार की नागरितों के प्रति अधिक जिम्मेदार बनाता है।
5. विमर्शी लोकतंत्र
लाके तंत्र विमर्शी लोकतंत्र का तर्क है कि राजनीतिक.निर्णय नागरिकों के बीच न्यायपूर्ण और तर्कसंगत विमर्श के माध्यम से होना चाहिए। सर्वहित की प्राप्ति के लिए सर्वोत्तम की प्राप्ति हो सके। जाॅन राल्स और जे. हैबरमास ने विमर्शी लोकतंत्र के पक्ष में तर्क दिया है। राल्स का मत है कि एक न्यायपूर्ण राजनीतिक समाज की प्राप्ति के लिए विवेक के माध्यम से हम स्वार्थ पर नियंत्रण पा सकते हैं। हैबरमास का मत है कि न्यायपूर्ण प्रक्रिया और स्पष्ट संचार के माध्यम से निर्णयों पर सहमति बनाई जा सकती है तथा वैद्यता प्राप्त किया जा सकता है।
6. जनवादी लोकतंत्र
जनवादी लोकतंत्र का आशय लोकतंत्र के उस माॅडल से है जिसका निर्माण साम्यवादी परंपरा के अंतर्गत किया गया है। माक्र्सवादियों की अभिरुचि सामाजिक समानता में रही है इस कारण लोकतंत्र का उनका अपना माॅडल है जोकि पश्चिमी माॅडल के विरुद्ध है; क्योंकि पश्चिमी माॅडल के अंतर्गत राजनीतिक समानता स्थापित करने की बात की जाती है। जनवादी लोकतंत्र की स्थापना सर्वहारा क्रांति के बाद हुई जब सर्वहारा.वर्ग ने राजनीतिक निण्र् ायो ं म ें अपनी भूमिका निभाना शुरू कर दिया।
7. समाजवादी लोकतंत्र
समाजवादी लोकतंत्र माक्र्सवादी चिंतन में आधारतभूत परिवर्तन की बात करता है। यद्यपि दोनों के लक्ष्यों में समानता है, परन्तु समाजवादी लोकतंत्र क्रांति के बजाय उत्पादन के साधनों पर राज्य के नियंत्रण के माध्यम से इसे प्राप्त करना चाहते हैं। समाजवादी लोकतंत्रवादी लोकतंत्र की इस माक्र्सवादी समालोचना में विश्वास नहीं रखते क्यांेकि इसमें वर्गीय.शासन के लिए बुर्जुआ ताकतें मुखौटा पहने रखती हैं। इसके बजाए समाजवादी लोकतंत्रवादी लोकतंत्र को समाजवादी लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अनिवार्य मानते हैं। इस कारण वे नागरिकों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए व्यापार और उद्योग में राज्य के नियंत्रण की बात करते हैं।
8. ई. लोकतंत्र
यह तुलनात्मक रूप से नयी संकल्पना है, लेकिन यह पूर्व के सिद्धान्तकारों द्वारा किये गये कार्यों पर ही आधारित है। प्रतिनिधि लोकतंत्र को और अधिक बेहतर बनाने या इसे प्रतिस्थापित करने के लिए सूचना और प्रौद्योगिकी को प्रयोग ही इलेक्ट्रानिक लोकतंत्र या ई.लोकतंत्र कहलाता है। सभी लोकतंत्रों में उभयनिष्ठ समस्याएँ यथा-मापन का मुद्दा, समय का अभाव? सामुदायिक मूल्यों में गिरावट, नीतियों पर विमर्श के लिए अवसरों का अभाव आदि को डिजिटल संचार के माध्यम से ही निबटा जा सकता है।