अनुक्रम
राष्ट्रीयता का अर्थ
लैटिन शब्द ‘नेट्स’ ने राष्ट्रीयता की उत्पत्ति हुई है, जिसका अर्थ है ‘जन्म लेना’। अत: इन पदों में राष्ट्रीयता का अर्थ है किसी एक जाति विशेष में जन्म या रक्त संबंध के आधार पर संबंधित होना। वस्तुत: राष्ट्रीयता की यह समझ भ्रामक है। आज विश्व में कोई भी एक ‘राष्ट्र’ नहीं है जिसके नागरिक एक ही वंश या कलु से सबंधित हों। सभी राष्ट्रों में भिन्न-भिन्न कुलों से संबंधित नागरिक रहते हैं। वंशानुगत शुद्धता बहुत कठिन है, क्योंकि यह अप्रवासियों, अंतर्जातीय तथा अंतर्कुलीय विवाहों के कारण अशुद्ध होती आ रही है। अत: निश्चित रूप से राष्ट्रीय का विकास एक मनोवैज्ञानिक घटना है, न की राजनीतिक या नस्ल आधारित।
राष्ट्रीयता की परिभाषा
ब्रुवेकर के द्वारा राष्ट्रीयता की निम्न परिभाषा दी गयी- ‘‘राष्ट्रीयता साधारण रूप से देश प्रेम की अपेक्षा देश भक्ति के अधिक व्यापक क्षेत्र की ओर संकेत करती है। राष्ट्रीयता में स्थान के सम्बन्ध के अलावा, प्रजाति, भाषा, इतिहास, संस्कृति और परम्पराओं के भी सम्बंध आ जाते हैं।’’
राष्ट्रीयता के प्रकार
1. संकीर्ण राष्ट्रीयता
- अन्तराष्ट्रीय विचारधारा पनप नहीं पाती और यह मानव हित के लिये घातक है।
- संकुचित राष्ट्रीयता की भावना उस राष्ट्र एवं नागरिक को स्वाथ्री बना देता है, और दूसरे देशों के प्रति घृणा उत्पन्न करती है और यह आपसी संघर्ष उत्पन्न करता है।
- संकुचित राष्ट्रीयता की भावना पड़ोसी देशों की भी परवाह नहीं कर आपसी तनाव बढ़ाती है जिससे कि दोनेां देश उन्नति नहीं कर पाते। यह विश्व के अस्तित्व के लिये भी खतरा उत्पन्न करती है।
- यह वैयक्तिक हितों के विपरीत है। इसमें सामान्य व्यक्ति का विकास अधिकांशत: उपेक्षित भी हो सकता है और यह व्यक्तियों पर दबाव बनाती है।
2. उदार राष्ट्रीयता
राष्ट्रीयता के गुण
- राष्ट्रीयता किसी देश के नागरिकों को एक सूत्र में बांध देती है, इसमें स्थान, जाति, भाषा, संस्कृति आदि के आधार पर भिन्नता होते हुये भी एकता स्थापित हो जाती है।
- यह नागरिकों को अपने स्वार्थों से ऊपर राष्ट्र के हित को रखने के लिये प्रेरित करता है।
- यह राष्ट्र को उसकी सीमाओं में बांधे रखता है।
- राष्ट्रीयता व्यक्तियों को राष्ट्र के प्रति प्रेम होने के कारण अनुशासन स्थापन के लिये प्रेरित करती है।
- उदार राष्ट्रीयता राष्ट्र के उन्नति के साथ व्यक्तियों के अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति भी सचेत रहती है।
- राष्ट्रीयता नागरिकों को अपने राष्ट्र के उन्नति एवं विकास हेतु संचेतना जागृत करती है।
- उदार राष्ट्रीयता नागरिकों में अन्तर्राष्ट्रीय जागरूकता की भावना विकासित करने में सहायक होती है।
- उदार राष्ट्रीयता वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना में विश्वास करती है।
- किसी भी प्रकार की राजनैतिक व्यवस्था तानाशाही, साम्यवादी, समाजवादी और प्रजातंत्रीय व्यवस्था को दृढ़ बनाये रखने के लिये वहां के नागरिकों में राष्ट्रीयता की भावना आवश्यक होती है।
- राष्ट्रीयता राष्ट्रों के मध्य होड़ एवं संघर्ष भी उत्पन्न कर सकती है, और राष्ट्र एक-दूसरे से आगे निकलने के लिये संघर्ष करते हैं।
राष्ट्रीयता की कमियाँ
राष्ट्रीयता की भावना उदारवादी हो यह आवश्यक है, उसके संकुचित रूप न उभरे इसी कमी को इंगित करते हुये जवाहर लाल नेहरू ने लिखा था- ‘‘राष्ट्रीयता एक ऐसा विचित्र तत्व है जो एक देश के इतिहास में जहां जीवन मानव शक्ति में एकता का संचार करता है,वहां संकुचित बनाता है, क्योंकि इसके कारण एक व्यक्ति अपने देश के बारे में संसार के अन्य देशों से पृथक-पृथक रूप में सोचता है।’’ इस रूप में स्पष्ट परिलक्षित हो रहा है कि –
- राष्ट्रीयता के गुण व्यक्तियों को एक सूत्र में बांधने के साथ यह दुर्गुण पैदा करती है कि मेरा राष्ट्र अन्य राष्ट्रों से श्रेण्ठ है।
- यह राष्ट्र की सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिये प्रेरित करती है परन्तु अन्धाधुन्ध प्रेम दूसरे राष्ट्र की सीमाओं को भंग कर अपने राष्ट्र की सीमाओं के प्रसार करने के लिये भी अग्रसर करती है।
- राष्ट्रीयता अपने देश की अस्मिता एवं अस्तित्व को बचाने के लिये प्रेरित करती है, तो दूसरी ओर दूसरे देश को आगे बढ़ते देखकर उसकी अस्मिता व अस्तित्व को भंग करने के लिये अभिप्रेरित करती है।
- अंधी राष्ट्रीयता अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग को भी प्रभावित करती है। देश आपस में सहयोग लेना-देना नहीं चाहते है।
- राष्ट्रीयता की भावना का संघर्ण अन्तराष्ट्रीयता के विकास में बाधक होता है।
राष्ट्रीयता के तत्व या घटक
राष्ट्रीयता को इसके घटक पदों में परिभाषित करना अत्यंत कठिन है। यह एक मनोवैज्ञानिक संकल्पना है, अथवा व्यक्तिगत विचार। अत: यह असंभव है कि कोई ऐसा समाज गुण अथवा निश्चित रुचि हो सकती है। जो राष्ट्रीयता में सभी जगहों पर समान हो। अत: हम निश्चित रूप से नहीं कह सकते है कि यह विशेष घटक एक अलग राष्ट्रीयता समान है। इस प्रयास में हम यहां कुछ घटकों को सूचीबद्ध कर सकते है जो कि है-
- भौगोलिक संलग्नता
- भाषा समुदाय
- समान कुल
- सामान्य राजनीतिक आकांक्षाएँ
- समान धर्म
- समान राजनीतिक व्यवस्था
- आर्थिक कारक
- एक समान अधिनस्तता
1. भौगोलिक संलग्नता – हर व्यक्ति के मन में अपनी जमीन से किसी न किसी रूप में लगाव अवश्य होता है, जिसे उसके राष्ट्र, उसकी मातृभूमि अथवा उसकी पितृभूमि के रूप में जानते है। किन्तु इसराइल बनने से पूर्व यहूदी पूरी दुनिया में बिखरे हुए थे, किन्तु उनके मन में इसराइल के प्रति ही लगाव था।
उपरोक्त सभी तत्व राष्ट्रीयता को उभारने में सहयक होते हैं, किन्तु इनमें से कोई भी तत्व आत्मिक रूप से राष्ट्रीयता को निर्मित नहीं करता। वस्तुत: राष्ट्रीयता एक व्यक्ति परक भावनात्मक संवेदना से जुड़ी चीज है, जिसे किसी भी एक वस्तुगत तथ्य के द्वारा परिभाषित नहीं किया जा सकता। इन उपरोक्त तथ्यों में से किसी भी तथ्य की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति राष्ट्रीयता की भावना की उपस्थिति या अनुपस्थिति को अनिवार्य रूप से प्रभावित नहीं करता है।
राष्ट्र और राष्ट्रीयता में अंतर
राष्ट्र और राष्ट्रीयता में बहुत ही सूक्ष्म भेद है। ऐसा इसलिए है क्योंकि दोनों ही शब्दों की एक शब्द विशेष से उत्पत्ति हुई है। कुछ लोग इन शब्दों को परस्पर बदले जा सकने वाले शब्द कहते है। परंतु निश्चित रूप से दोनों शब्दों में अंतर है –
- राष्ट्रीयता एक सांस्कृतिक शब्द है। यह एक मनोवैज्ञानिक भाव है। जो कि एक भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले लागों में एक ही कुल, इतिहास, धर्म, रीति-रिवाज, आदि के कारण उत्पन्न होता है। एक राष्ट्रीयता के लोगों में एकता की भावना होनी चाहिए उन्हें यह महसूस करना चाहिए कि उनमें कुछ समानता है, जो उन्हें दूसरे लागों से अलग करती है। परंतु राष्ट्र लोगों का एक संगठन एवं ब्यवस्थित समूह है। किसी राष्ट्र में व्यक्तियों को जो एक चीज जोड़ती है, वह एक होने की भावना है। अत: राष्ट्र से एक संगठन का विचार आता है तथा राष्ट्रीयता से भावात्मक।
- मूल रूप से राष्ट्रीयता एक सांस्कृतिक पद है जो केवल ‘राजनीतिक’ है जैसे कि हायक हमें बताते हैं। राष्ट्र मूल रूप से एक राजनीतिक पद है जो कि संयोगवश सांस्कृतिक है। हालांकि इसका अर्थ यह नहीं कि राष्ट्रीयता की राजनीतिक और राष्ट्र की सांस्कृतिक संकल्पना नहीं है।
- राज्य के विकास से यह प्रदर्शित हो चुका है कि एक से अधिक राष्ट्रीयता वाले भी राज्य हो सकते हैं तथा एक ही राष्ट्रीयता कई राज्यों में भी पाई जा सकती है। पूर्व सोवियत संघ में जब वह एक राज्य था कई राष्ट्रीयताएं समाहित थी; दूसरे उदाहरणार्थ कोरियन राष्ट्रीयता जो दो से अधिक राज्यों में विद्यमान है। अत: राज्य राष्ट्रीयता एक ही साथ पाये भी जा सकते हैं और नहीं भी।
- दूसरे अर्थ में, राष्ट्र और राष्ट्रीयता दो अलग-अलग शब्द है। कुछ लोग ‘राष्ट्रीयता’ शब्द को मानते हैं कि यह राष्ट्र के निर्माण का आधारभूत तथ्य अथवा गुण है, अर्थात् राष्ट्र से पहले राष्ट्रीयता का स्थान है। इसलिए मूल उत्पत्ति के अनुसार ये दोनों एक जैसे नहीं है। यहूदी राष्ट्रीयता ने यहूदी राष्ट्र का निर्माण किया।
- यदि हम ‘राष्ट्र’ शब्द का प्रयोग एक ही कुल, भाषा और रीति-रिवाज, तथा एक ही क्षेत्र की जनसंख्या के सबसे अधिक लोगों के लिए करते हैं, तो वास्तव म ें हम देखते हैं कि ब्रिटिश लोग भी एक राष्ट्र हैं। दूसरी ओर, यदि हम ‘राष्ट्रीयता’ शब्द का प्रयोग किसी क्षेत्र के छोटे-छोटे विभिन्न मानव समदु ायों के लिए करते हैं जो कि उस क्षेत्र की जनसंख्या का छोटा सा भाग हैं, तो हम देखते हैं कि वेल्श एक राष्ट्रीयता है तथा यह ब्रिटिश राष्ट्र का एक अंग है।
