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भूकंप विशिष्ट व आकस्मिक अन्तर्जात शक्ति है। इसके प्रभाव दूरगामी एवं विनाशकारी रहते हैं। इसके प्रभाव से पृथ्वी का क्षेत्र विशेष हिलने लगता है और वहाँ पर कुछ ही सेकंड में अपार जन-धन की हानि हो जाती है। भूकंप सीधे-सीधे मानव जीवन की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है।
भूकंप की परिभाषा
भूकंप की उत्पत्ति के कारण
भूकंप की उत्पत्ति के संबंध में कई विचारधाराएं प्रचलित हैं।
2. पृथ्वी के असंतुलित भागों में ज्वालामुखी क्रिया के साथ या बिना ज्वालामुखी फटे भी भूकंप आते रहते हैं। भूगर्भ से गैसें एवं मेग्मा के तेजी से पृथ्वी की सतह की ओर बढ़ने से चट्टानों की व्यवस्था बिगड़ जाती है। भूगर्भ में मेग्मा भंडारण क्षेत्र के ऊपर की चट्टानों में कई बार दरारें या पपड़ी पड़ जाती हैं। इस कारण भूतल पर खिंचाव या भिंचाव (संपीड़न अथवा दबाव) की स्थिति बनने से भूकंप आ सकते हैं।
6. पूरी धरती, सतह से लगभग 30-50 कि.मी. नीचे टेक्टोनिक प्लेटों पर स्थित हैं। इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है। ये प्लेटें इसी लावे पर तैर रही हैं और इनके टकराने से ऊर्जा निकलती है वास्तव में प्लेटें बेहद धीरे-धीरे घूमती हैं। इस प्रकार ये हर वर्ष 4-5 मिमी. अपने स्थान से खिसक जाती हैं। कोई प्लेट दूसरी प्लेट के निकट आती है तो कोई दूर हो जाती है। ऐसे में कभी-कभी ये टकरा भी जाती हैं फलस्वरूप जो भूकंप का कारण बनती हैं।
उपर्युक्त कारणों के अलावा निम्न क्रियाओं से भी भूकंप पैदा होते हैं भूस्खलन, हिमधाव, समुद्रीय भागों में मृगुओं का टूटना, कंदराओं की छतों का टूटना आदि।
- आणविक विस्फोट
- खनन क्षेत्रों में विस्फोटकों का प्रयोग
- गहरे छिद्रण
- भूमिगत रेलगाडि़यों का परिचालन
भूकंप के प्रभाव
- मानव निर्मित वस्तुओं या सांस्कृतिक भू-दृश्यों का नाश
- नगरों का नष्ट होना
- नदियों द्वारा मार्ग परिवर्तन एवं भयंकर बाढ़ें
- भतू ल पर दरार, धसाव एवं उभार का घातक प्रभाव
- सागर में भयंकर लहरें उठना
भूकंप से बचाव
भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है। इस पर मानव का नियंत्रण सम्भव नहीं है और न ही अनुमान संभव है। फिर भी इनके प्रभाव से बचने अथवा कम करने के प्रयास अवश्य करने चाहिएं। यदि हम ये उपाय करें तथा सावधानियाँ बरतें तो भूकंप के प्रभाव कम किए जा सकते हैंः
(क) यदि अंदर हैं तो
- बाहर की ओर न भागें।
- जमीन पर बैठें या लेट जाएं और अपने सिर को दोनों हाथों से ढकते हुए घर/कार्यालय में मेज के नीचे बैठ जाएं।
- यदि अंदर कुछ न हो तो अपने सिर को हाथों से ढकते हुए कमरे के किसी कोने में खड़े हो जाएं।
- काँच, खिड़की, बाहरी दरवाजों, दीवारों तथा अन्य गिरने वाली चीजों से दूर रहें।
- यदि बिस्तर पर हैं तो वहीं रहें और अपना सिर तकिये या गद्दे से ढक लें।
- जमीन हिलने तक अंदर ही रहें।
(ख) यदि बाहर हैं तो
- बाहर ही रहें।
- इमारतों, बिजली के खंभों व पेड़ों से दूर चले जाएं।
- जमीन हिलने तक नीचे बैठे रहें।
(ग) यदि कार में हैं तो
- इमारतों, बिजली के खंभों व पेड़ों से कार को दूर खड़ा करें।
- आपातकालीन फ्लेश लाईट को शुरू कर दें।
- कार की चाबी स्टार्टर से बाहर निकालें।
- जमीन हिलने तक कार में बैठे रहें।