इस रोग में बच्चे की सामान्य वृद्धि रुक जाती है, सारे शरीर पर विशेष रुप से चेहरे पर सूजन (Oedema) आ जाती है, बच्चे का स्वभाव चिडचिड़ा हो जाता है और बालों और चेहरे की स्वाभाविक चमक घटने लगती है। त्वचा रुखी, शुष्क हो जाती है। खून की कमी, अतिसार की शिकायत, भूख का घटना तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता का घटना भी प्राय: देखा जाता है। विटामिन्स की भी न्यूनता होने लगती है, यकृत बढ़ जाता है, जिससे पेट निकला हुआ दिखाई देता है।
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क्वाशियोरकर |
2. मरास्मस (Marasmus) – यह रोग उस स्थिति में होता है जब बच्चे के आहार में प्रोटीन की कमी के साथ ऊर्जा या कैलोरी पोषण की भी कमी होती है।
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मरास्मस |
इससे प्रमुख लक्षण है-वृद्धि रुक जाना, उल्टी-दस्त, बच्चे का दिन-ब-दिन सूखते जाना, पानी की कमी, सामान्य से कम ताप, पेट का सिकुड़ना अथवा गैस से फूलना व कमजोर माँसपेशियाँ। कुछ मरीजों में मरास्मस व क्वाशियोकर के मिले-जुले लक्षण भी पाये जाते है। प्रोटीन की कमी का प्रभाव व्यस्कों पर भी पड़ता है। कमी के कारण सामान्य भार का घटना व रक्त की कमी देखी जाती है। हड्डियाँ का कमजोर होना तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता भी घटने लगती है।
प्रोटीन के कार्य
प्रोटीन शरीर के लिए अत्यधिक आवश्यक एवं उपयोगी तत्व है। यह तत्व न केवल शरीर के निर्माण एवं वृद्धि के लिए आवश्यक है, वरन् शरीर के रखरखाव के लिए भी इनका विशेष महत्व है। प्रोटीन की शरीर के लिए उपयोगिता एवं आवश्यकता प्राणी की ‘भू्रणावस्था’ से ही प्रारम्भ हो जाती है तथा जब तक शरीर रहता है, तब तक किसी न किसी मात्रा में प्रोटीन की आवश्यकता बनी रहती है। protein ke karya प्रोटीन का हमारे शरीर में सबसे महत्वपूर्ण कार्य क्या है?
1. शरीर की वृद्धि एवं विकास के लिए उपयोगी- शरीर की वृद्धि एवं विकास के लिए प्रोटीन का महत्वपूर्ण स्थान है। भ्रूणावस्था से ही जैसे-जैसे शरीर का विकास होता है, वैसे-वैसे और अधिक मात्रा में प्रोटीन की आवश्यकता होती है।
2. शरीर की क्षतिपूर्ति एवं रखरखाव के लिए उपयोगी- हमारे शरीर की कोशिकाओं में निरन्तर टूट फूट होती रहती है, इसलिए क्षतिपूर्ति आवश्यक है। शरीर की इस क्षतिपूर्ति के लिए प्रोटीन सहायक है। यह शरीर के नए तन्तुओं के निर्माण तथा टूटी-फूटी कोशिकाओं की मरम्मत करता है, इसलिए यदि को दुर्धटनावश शरीर में चोट लग जाए, कट जाए या जल जाए तो शरीर के पुन: स्वस्थ होने के लिए उसे अतिरिक्त मात्रा में प्रोटीन की आवश्यकता होती है। किसी कटे स्थान से बहने वाले रक्त को रोकने में भी प्रोटीन सहायक होती है।
हमारे रक्त में फाइब्रिन नाम प्रोटीन होती है जो रक्त का थक्का बनाती है, फलस्वरुप रक्त का बहना रुक जाता है।
3. शरीर में ऊर्जा-उत्पादन के लिए उपयोगी- शरीर में आवश्यक ऊर्जा के उत्पादन के लिए भी प्रोटीन उपयोगी है। एक ग्राम प्रोटीन से 4 कैलोरी ऊर्जा उत्पन्न होती है। जब शरीर को पर्याप्त मात्रा में वसा व कार्बोज प्राप्त नहीं होते, तब शरीर को प्रोटीन से ही ऊर्जा एवं शक्ति प्राप्त होती है।
4. एंजाइम्स तथा हार्मोंस के निर्माण के लिए उपयोगी- शरीर के सुचारु रुप से कार्य करने के लिए एंजाइम्स तथा हार्मोंस का विशेष महत्व है। विभिन्न एंजाइम्स तथा हार्मोंस के निर्माण में प्रोटीन विशेष रुप से सहायक होती है। शरीर के लिए उपयोगी, विभिन्न नाइट्रोजनयुक्त यौगिकों के निर्माण में भी प्रोटीन सहायक होती है।
5. रोग-निरोधक क्षमता उत्पन्न करने में उपयोगी- शरीर पर विभिन्न रोगों का आक्रमण होता रहता है, परन्तु शरीर अपनी स्वाभाविक रोग-निरोधक क्षमता के कारण स्वस्थ बना रहता है। प्रोटीन शरीर में इस रोग निरोधक क्षमता को उत्पन्न करने एवं बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
6. विभिन्न क्रियाओं में सहायक – प्रोटीन शरीर की विभिन्न महत्वपूर्ण क्रियाओं में भी सहायक होती है। यह रक्त के प्रवाह को सुचारु बनाने में सहायक होती है। शरीर के रक्त संगठन को भी संतुलित बनाए रखने में प्रोटीन सहायक होता है।
वास्तव में प्रोटीन एक ऐसा तत्व है, जो प्रारम्भ से अन्त तक शरीर के निर्माण, विकास, वृद्धि तथा रखरखाव के लिए विभिन्न प्रकार से उपयोगी एवं आवश्यक है।
प्रोटीन की उचित मात्रा हमारे आहार में सम्मिलित होना परम आवश्यक है। प्रोटीन की कमी के परिणामस्वरूप हमारे शरीर पर अत्यधिक बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसा अनुमान है कि भारतवर्ष में प्रतिवर्ष लगभग दस लाख बच्चों की मृत्यु प्रोटीन के अभाव एवं कुपोषण के परिणामस्वरूप होती है। प्रोटीन ऊर्जा कुपोषण लक्षणों की एक लम्बी श्रृंखला है जिसके एक तरफ मरासमस है, जो ऊर्जा व प्रोटीन की कमी से उत्पन्न होता है तथा दूसरी ओर क्वाशिओरकर है जो कि प्रोटीन की कमी से होता है। इन दोनों के मध्य अनेक ऐसे लक्षण देखे जा सकते हैं जो प्रोटीन तथा ऊर्जा की कमी से होते हैं।