अनुक्रम
प्राकृतिक संसाधन किसे कहते हैं
प्राकृतिक संसाधन का वर्गीकरण
1. अजैविक : अजैविक संसाधन वे संसाधन होते हैं जो गैर-जीवित चीजों और गैर-कार्बनिक पदार्थों से बनते हैं। इस प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों के कुछ उदाहरणों में पानी, वायु, भूमि और धातु जैसे लोहा, तांबा, सोना और चांदी शामिल हैं।
विकास के स्तर के आधार पर प्राकृतिक संसाधनों को इन तरीके से वर्गीकृत किया गया है।
प्राकृतिक संसाधन के प्रकार
प्राकृतिक संसाधनों का पुन: उपयोग की दृष्टि से इस प्रकार वर्गीकरण किया जा सकता है।
- नवीनीकरणीय संसाधन
- अनवीनीकरणीय संसाधन
1. नवीनीकरणीय संसाधन
इसके अंतर्गत ऐसे संसाधन आते हैं जिनका प्रयोग मानव द्वारा पुन: किया जा सकता है। इन संसाधनों का निर्माण निरन्तर प्रकृति में होता रहता है। मानव के संतुलित प्रयोग से इनमें कमी नहीं आती है और इनका पुन: उपयोग किया जा सकता है। इन्हें तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है।
नवीकरणीय संसाधन अथवा नव्य संसाधन वे संसाधन हैं जिनके भंडार में प्राकृतिक /पारिस्थितिक प्रक्रियाओं द्वारा पुनस्र्थापन होता रहता है। हालांकि मानव द्वारा ऐसे संसाधनों का दोहन (उपयोग) अगर उनके पुनस्र्थापन की दर से अधिक तेजी से हो तो फिर ये नवीकरणीय संसाधन नहीं रह जाते और इनका क्षय होने लगता है। उपरोक्त परिभाषा के अनुसार ऐसे संसाधनों में ज्यादातर जैव संसाधन आते हैं जिनमें जैविक प्रक्रमों द्वारा पुनस्र्थापन होता रहता है।
उदाहरण : सामान्यतया नवीकरणीय संसाधनों में नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन भी शामिल किए जाते हैं जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा इत्यादि। किंतु सही अर्थों मे ये ऊर्जा संसाधन अक्षय ऊर्जा संसाधन हैं न कि नवीकरणीय।
2. अनवीनीकरणीय संसाधन
अनवीकरणीय संसाधन वे संसाधन होते हैं जिनके भंडार में प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा पुनस्र्थापन नहीं होता है। ऐसे संसाधन जिनका पुन: उपयोग निकट भविष्य में सम्भव नहीं होता उन्हें अनवीनीकरण संसाधन कहा जाता है। एक बार प्रयोग में लेने के पश्चात् इनके पुन: निर्माण में करोड़ों वर्षों का समय लगता है। इसके अंतर्गत खनिज पदार्थ, पेट्रोलियम, कोयला आदि को सम्मिलित किया जाता है। इन्हें तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है।
समस्त धात्विक व अधात्विक खनिज इसी श्रेणी में आते हैं। ये संसाधन प्रकृति की गोद में करोड़ो वर्षों तक छिपने के बाद अपना स्वरूप बदलकर प्राप्त होते हैं। जैसे जली हुई लकड़ी बाद में कोयले का रूप प्राप्त कर लेती है। यह संसाधन समस्त मानव जाति के लिए अति महत्वपूर्ण है और इनकी महत्ता के साथ इनका उपयोग भी अत्यंत आवश्यक है।
प्राकृतिक संसाधन संरक्षण के उपाय
प्राकृतिक संसाधन चाहे नवीकरणीय हो या गैर नवीकरणीय, जैविक हो या गैर-जैविक, प्रकृति के संसाधनों का संरक्षण होना अत्यंत आवश्यक है। इनके संरक्षण के कुछ उपाय दिए गए हैं जो सरकार और व्यक्तियों को प्रकृति के संरक्षण के लिए प्रयोग में लाने चाहिए।
- प्राकृतिक संसाधनों का अधिक उपयेाग करना बंद कर देना चाहिए। उपलब्ध संसाधनों को अपव्यय किए बिना समझदारी से उपयोग करने की जरूरत है।
- वन्य जीवों के संरक्षण के लिए जंगली जानवरों का शिकार करना बंद कर दिया जाना चाहिए।
- किसानों को मिश्रित फसल की विधि, उर्वरक, कीटनाशक और फसल चक्र के उपयोग को सिखाया जाना चाहिए। खाद, जैविक उर्वरक इस्तेमाल को उपयोग मे लाने की जरूरत है।
- वनों की अत्यधिक कटाई को नियंत्रित करना चाहिए।
- वर्षा के जल की संचयन प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए।
- सौर, जल और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय संसाधनों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
- कृषि में इस्तेमाल होने वाले पानी को दोबारा उपयोग में लाने की प्रणाली का पालन करना चाहिए।
- जीवाश्म ईधन की खपत को कम करना एक अच्छा तरीका है।
- कागज के उपयोग को सीमित करें और रिसाइक्लिंग को प्रोत्साहित करें।
- पुराने लाइट अथवा बल्ब की जगह फ्लोरोसेंट बल्ब या एल0 ई0 डी0 बल्ब का इस्तेमाल करके ऊर्जा की बचत करना, जिससे बिजली बचाई जा सके। इसके अलावा जब आवश्यकता नहीं हो रोशनी के उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक आइटम बंद करें।