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सामान्यतः लोग पदोन्नति का अर्थ ऐसे कार्य-परिवर्तन से लगाते हैं, जिसके फलस्वरूप किसी कर्मचारी की आय अथवा वेतन में वृद्धि हो जाये, परन्तु एक ही कार्य पर रहते हुए यदि कर्मचारी को अधिक वेतन दिया जाये तो इसे पदोन्नति नहीं कहा जा सकता। यह तो मात्र वेतन-वृद्धि होगी। पदोन्नति का सम्बन्ध अनिवार्य रूप से वेतन-वृद्धि से नहीं है। बल्कि इसका सम्बन्ध पद की प्रतिष्ठा एवं उत्तरदायित्व या अधिक कुशलता से है। कई स्थितियों में जहाँ कर्मचारी बढ़ी हुई आय के बिना ही उच्चतर स्तर के कार्यों पर स्थानान्तरित किये जाते हैं तो ऐसी पदोन्नति को शुष्क पदोन्नतियाँ कहते है।
पदोन्नति का अर्थ
पदोन्नति की परिभाषा
पिफनर ने लिखा है- ‘‘पदोन्नति निम्न पद से उच्च पद की ओर प्रगति है जिसमें कर्तव्यों में भी परिवर्तन आ जाता है।’’
टोर्पे के अनुसार- ‘‘पदोन्नति एक पद से दूसरे पद पर पहुंचने का परिचायक है जिसमें कर्मचारी के कर्तव्यों में वृठ्ठि हो जाती है एवं वेतनमान भी उच्चतर हो जाता है।’’
स्कॉट एवं स्प्रीग्रल द्वारा दी गई परिभाषा के अनुसार- ‘‘पदोन्नति किसी कर्मचारी का ऐसे कार्य पर स्थानान्तरण है जो उसे पहले से अधिक धन अथवा अधिक ऊँचा स्तर प्रदान करता है।’’
पदोन्नति की विशेषताएँ
- पदोन्नति में पद का नाम परिवर्तित हो जाता है;
- यह निम्न पद से उच्च पद पर पहुंचने की प्रक्रिया है;
- पदोन्नति से कार्मिक का वेतन भी बढ़ जाता है;
- पदोन्नति प्रतिष्ठा तथा सम्मान का सूचक है;
- पदोन्नति में कार्मिक के दायित्व उच्च तथा अधिक हो जाते है;
- यह संगठन की आंतरिक प्रक्रिया है।
पदोन्नति का महत्व
पदोन्नति के महत्व है:-
- यह अनुभवी कर्मचारियों को संगठन में बनाए रखती है।
- मनुष्य स्वभावत: महत्वाकांक्षी तथा उन्नतिगामी होता है अत: इस व्यवस्था से कार्मिक-विकास को दिशा मिलती है।
- यह कार्मिकों को श्रेष्ठ कार्य करने को प्रोत्साहित करती है।
- पदोन्नति की श्रृंखला उपलब्ध होने पर निम्न पदों पर भी योग्य कार्मिक आना पसंद करते है।
- पदोन्नति के कारण कर्मचारी तथा संगठन में अपनत्व का रिश्ता कायम होता है।
- पदोन्नति के कारण संगठन की प्रतिष्ठा तथा कार्यकुशलता बढ़ती है क्योंकि जिन संगठनो में पदोन्नति के कम अवसर होते है उनको योग्य तथा श्रेष्ठ कर्मचारी शीघ्र ही छोड़ देते है।
- वृत्तिका विकास तथा मनोबल वृठ्ठि में पदोन्नति का महत्व स्वंय सिठ्ठ है।
पदोन्नति के प्रकार
भारत में पदोन्नति दो प्रकार की होती है-
पदोन्नति के उद्देश्य
संगठनों द्वारा कर्मचारियों को पदोन्नति की उद्देश्यों की प्राप्ति को ध्यान में रखते हुए की जाती है –
- कर्मचारियों को अधिक उत्पादकता के लिए अभिप्रेरित करना।
- संगठनात्मक पद सोपानिकी में समुचित स्तरों पर कर्मचारियों के ज्ञान एवं निपुणताओं का उपयोग करना, जो कि संगठनात्मक प्रभावशीलता तथा कर्मचारी सन्तुष्टि में परिणत होता है।
- संगठन के उच्च स्तर के कार्यों के लिए आवश्यक ज्ञान एवं निपुणताओं की प्राप्ति हेतु कर्मचारी में प्रतिस्पर्धात्मक भावना का विकास करना तथा उत्साह का संचार करना।
- योग्य एवं सक्षम लोगों को संगठन के प्रति आकर्षित करना तथा उनकी सेवायें प्राप्त करना।
- परिवर्तित वातावरण में उच्च स्तर के रिक्त पदों का उत्तरदायित्व ग्रहण करने हेतु तत्पर रहने के लिए कर्मचारियों के समक्ष आन्तरिक स्त्रोत का विकास करना।
- कर्मचारियों में आत्म-विकास को बढ़ावा देना तथा उन्हें उनकी पदोन्नति के अवसरों की प्रतीक्षा करने हेतु तैयार करना।
- कर्मचारियों में संगठन के प्रति निष्ठा एवं अपनत्व की भावना को विकसित करना तथा उनके मनोबल को उच्च करना।
- कर्मचारियों में प्रशिक्षण एवं विकास कार्यक्रमों के प्रति रूचि उत्पन्न करना।
- अच्छे मानवीय सम्बन्धों के निमार्ण हेतु संगठन के प्रति बचनबद्ध एवं निष्ठावान कर्मचारियों को पुरस्कृत करना।
- श्रम संघों का संगठन के प्रति विश्वास सृजन का प्रयास करना।
पदोन्नति के आधार
पदोन्नति के लिए विभिन्न आधार अपनाये जाते हैं। सामान्यत: पदोन्नति के दो सुस्थापित आधार योग्यता तथा वरिष्ठता हैं। एक अन्य पदोन्नति का आधार है, वरिष्ठ अधिकारियों की सिफारिश, जो कि विभिन्न रूपों में सभी प्रकार के सगठनों के आधार पर पदोन्नति के समर्थक होते हैं, जबकि दूसरी ओर श्रम संघों की दृष्टि से वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति दी जानी चाहिये।
1. योग्यता के आधार पर पदोन्नति
योग्यता के आधार पर पदोन्नति करने हेतु यह आकलन किया जाता है कि कोई कर्मचारी उस नये उच्च पद के लिए कितना योग्य है? उसके उस नये पद पर सफल होने की कितनी सम्भावना है? इन सभी बातों को ध्यान में रखकर ही उसकी पदोन्नति की जाती है। इसके अन्तर्गत उसकी सेवा की अवधि को ध्यान में नहीं रखा जाता है।
- योग्य एवं कुशल कर्मचारी अपनी प्रगति हेतु अधिक परिश्रम से काय्र करने के लिए प्रोत्साहित होते हं;ै
- अकुशल कर्मचारियों को यदि यह विश्वास हो जाता है कि पदोन्नति केवल योग्यता के आधार पर ही की जायेगी तो वे अपनी कमियों को दूर करने के प्रयास करते हैं। इस प्रकार, सम्पूर्ण संगठन के कर्मचारियों की कार्यकुशलता एवं योग्यता में वृद्धि होती है; तथा
- यदि संगठन के समस्त कर्मचारी परिश्रम एवं लगन से कार्य करते हैं तो उत्पादन में वृद्धि होती है, जिसके फलस्वरूप सम्पूर्ण समाज भी लाभान्वित होता है।
योग्यता के आधार पर पदोन्नति से होने वाले लाभो के होते हुए भी इसके कुछ दोष –
- यह संगठन के प्रबन्धकों एवं पर्यवेक्षकों आदि को, जिन्हे कर्मचारियों की योग्यताओं के विषय में अपनी राय देनी होती है। पक्षतापूर्ण नीति को अपनाने का अवसर प्रदान करती है। इससे योग्यता की आड़ में जातिवाद तथा भाई-भतीजावाद को बढ़ावा मिलता है;
- यह उन कर्मचारियों में असन्तोष एवं निराशा की भावना को उत्पन्न करती है, जो कि वरिष्ठ होते हैं तथा जिनकी पदोन्नति नहीं होती है;
- श्रम संघ, योग्यता के आधार पर पदोन्नति के समर्थक नहीं होते हैं, जिसके फलस्वरूप असन्तोष फैलता है तथा औद्योगिक सम्बन्ध भी बिगड़ते है।
2. वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति
वरिष्ठता का तात्पर्य एक ही संगठन के अन्तर्गत पर ही कार्य पर सेवा की अवधि से है। इसकी गणना किसी कर्मचारी के कार्य आरम्भ करने की तिथि से की जाती है। वरिष्ठता को पदोन्नति के आधार के रूप में मानने के पीछे यह तर्क है कि एक ही कार्य पर सेवा की अवधि तथा किसी कर्मचारी द्वारा संगठन के अन्तर्गत अर्जित ज्ञान की मात्रा एवं निपुणता के स्तर के बीच एक सकारात्मक सह-सम्बन्ध होता है। यह व्यवस्था इस प्रथा पर भी आधारित होती है कि जो संगठन में पहले आयेगा उसे ही समस्त हित-लाभों एवं विशेषाधिकारों में पहले अवसर दिये जाने चाहिये।
- यह एक उचित आधार है तथा इसके अपनाने से प्रबन्धकों एवं पर्यवेक्षकों को अपने विवेकानुसार अथवा पक्षपातपूर्ण ढंग से पदोन्नति हेतु कर्मचारियों के चयन करने की छूट नहीं मिल पाती है
- यह अधिक व्यावहारिक आधार है, क्योंकि योग्यता का मापन अत्यन्त कठिन कार्य है;
- इससे कर्मचारियों में संगठन के प्रति निष्ठा एवं अपनत्व की भावना में वृद्धि होती है, क्योंकि उन्हें पता रहता है कि वरिष्ठता के आधार पर उनके पदोन्नति के अवसर आने पर उनके साथ अन्याय नहीं होगा;
- यह आधार कर्मचारियों को अधिक सन्तुष्टि प्रदान करता है, क्योंकि उनकी पदोन्नति उचित समय पर हो जाती है; तथा
- पदोन्नति के इस आधार का श्रम संघों द्वारा प्रबल समर्थन किये जाने से यह विवादों को भी कम करने में सहायक होता है।
वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति में होने वाले गुणों के साथ-साथ इसमें विद्यमान कुछ दोष –
- यह कर्मचारियों को परिश्रम तथा कुशलता के साथ कार्य करने को पा्र ेत्साहित नहीं करता, क्योंकि उन्हैं। यह आश्वासन रहता हैं। कि वे चाहे कार्य करें अथवा न करें उनकी पदोन्नति तो हो जायेगी
- यह योग्य, परिश्रमी एवं कुशल कर्मचारियों के मनोबल को गिरता है तथा उन्हें। हतोत्साहित करता है, क्योंकि वे सोचते हैं कि परिश्रम से कार्य करने पर भी उन्हें पदोन्नति नहीं मिल पायेगी; तथा
- इससे संगठन की उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, क्योंकि आयोग्य एवं अकुशल कर्मचारी इसलिए परिश्रम नहीं करते हैं, क्योंकि उनकी पदोन्नति में कोई रूकावट नहीं होती, जबकि योग्य एवं कुशल कर्मचारी असन्तुष्ट होने के कारण उत्साह एवं लगन से कार्य नहीं करते हैं।