अनुक्रम
दूरस्थ शिक्षा परिषद के लक्ष्य
दूरस्थ शिक्षा परिषद् की स्थापना का मुख्य लक्ष्य है-
- राज्य सरकार एवं परम्परागत विश्वविद्यालयों को मुक्त विश्वविद्यालय एवं दूरस्थ शिक्षा संस्थान खोलने हेतु प्रेरित करना,
- दूरस्थ एवं मुक्त णिक्षण संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- नामांकन, मूल्यांकन एवं उपाधि प्रदान करने हेतु मानकों विधियों एवं निर्देशों को निश्चित करना।
- मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षण संस्थानों को गुणात्मकता सुनिश्चित करने हेतु सतत् मूल्यांकन एवं निरीक्षण करना।
- तकनीकी विधियों को शिक्षा में प्रयोग हेतु प्रश्रय देना तथा तकनीकों को आपस में मिल-जुलकर प्रयोग करने हेतु प्रश्रय देना।
- स्व-शिक्षण सामग्री एवं बहु माध्यम शिक्षण सामग्री का विकास एवं निर्माण कर मुक्त शिक्षण संस्थानों में मिल जुलकर प्रयोग करने की सुविधा प्रदान करना।
- विभिन्न राज्य मुक्त विश्वविद्यालयों एवं पत्राचार शिक्षा संस्थाओं में मुक्त विश्वविद्यालयों द्वारा उत्पन्न छात्र सहायता सेवाओं को मिलजुलकर प्रयोग करने हेतु सुविधा प्रदान करना।
- मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा में अनुसंधान एवं नवाचार को अभिप्रेरित करना।
- मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा तंत्र हेतु दक्षता के लिये प्रशिक्षण प्रदान करना।
दूरस्थ शिक्षा परिषद् के कार्य
दूरस्थ शिक्षा परिषद् की स्थापना एक बृहद संकल्पना के साथ हुई और उसे कुछ प्रशासनिक शक्तियां एवं कार्य दिये गये। दूरस्थ शिक्षा परिषद् का प्रमुख कार्य होगा-
- राज्य सरकार एवं विश्वविद्यालयों के परामर्श से मुक्त विश्वविद्यालयों एवं दूरस्थ शिक्षण संस्थानों का एक जाल निर्मित करना।
- दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों के संचालन हेतु उपयुक्त क्षेत्रों का चयन करना एवं सहयोग प्रदान करना जिससे कि वहां दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों का संचालन हो सके।
- विशेष समूह को चिन्हित कर उनके लिये आवश्यक कार्यक्रम के संचालन हेतु मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा संस्थानों को सहयोग प्रदान करना।
- विश्वविद्यालय स्तरीय शिक्षा में नवाचार सहित, लचीले अधिगम एवं शिक्षण विन्हिायां, विविध पाठ्यक्रमों का समन्वयक नामांकन हेतु आवश्यक योग्यता, प्रवेण, आयु, परीक्षा संचालन हेतु विविध कार्यक्रम केा सहयोग देना।
- दूरस्थ शिक्षा तकनीकी में विविध पाठ्यक्रम, कार्यक्रम एवं शोध हेतु आवश्यक मानक तय करना।
- दूरस्थ शिक्षण संस्थानों को प्रदान किये जाने वाली वित्तीय अनुदान को प्रबंधक बोर्ड को अग्रसारित करना।
- राष्ट्र में मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा तंत्र के समन्वित प्रयास को प्रोत्साहित करना।
- विविध मुक्त विश्वविद्यालयों द्वारा विकसित स्व-शिक्षण सामग्री एवं छात्र सहयोग सेवाओं को समन्वित रूप से उपयेाग हेतु सुविधा देना जिससे कि दुबारा कार्य करने की व्यर्थ समय व अर्थ बचे।
- मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षण संस्थाओं के विविध पाठ्यक्रमों में नामित विद्यार्थियों से ली जाने वाले शुल्क का निर्धारण करना।
- विविध मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षण संस्थाओं द्वारा संचालित कार्यक्रमों एवं पाठ्यक्रमों से सम्बंधित आवश्यक जानकारी करना।
- राज्य सरकारों एवं विश्वविद्यालयों को मुक्त शिक्षण संस्थान खोलने हेतु परामर्श देना।
- जाल के रूप में देश भर में कार्य कर रहे राष्ट्रीय मुक्त दूरस्थ शिक्षा संस्थानों के क्रियाकलापों के सतत् मूल्यांकन हेतु पुर्निरीक्षण कमेटी की नियुक्ति करना।
- विविध पाठ्यक्रमों एवं कार्यक्रमों के संचालन हेतु उनके ढांचे एवं कार्यविधि के प्रारूप का वृहद प्रस्तुतीकरण करना।
- दूरस्थ शिक्षा माध्यम द्वारा प्रदान किये जाने वाले विविध कार्यक्रमों के गुणात्मकता के मानक तय करना।
दूरस्थ शिक्षा परिषद के उद्देश्य
दूरस्थ शिक्षा परिषद एक निश्चित उद्देश्य के अन्तर्गत कार्य करता है इससे यह अपेक्षा की जाती है कि यह गुणवत्ता को बनाये रखने हेतु शैक्षिक दिशा निर्देश दे इसके साथ ही नवीन तकनीकी एवं उपागमों के प्रयोग हेतु प्रोत्साहन दे। समन्वित नेटवर्किंग के तहत सभी तंत्र आपस में संसाधनों को मिलजुलकर उपयोग करें। इस परिषद् को यह अधिकार दिये गये हैं कि यह मुक्त विश्वविद्यालय एवं मुक्त शिक्षा प्रणाली का देश के शैक्षिक व्यवस्था में जो भी विकास एवं प्रोत्साहन की आवश्यकता हो प्रदान करें। यह परिषद् शिक्षण के मानकों को तय करने, मूल्यांकन एवं शोध कार्यों को प्रोत्साहन देने, अधिक लचीलेपन, विविधता, व्यापकता गतिशीलता एवं शिक्षा में नवाचार को सम्मिलित करने का दायित्व संभालेगा।
- स्व निर्देशित होना चाहिये।
- स्व प्रेरित हो।
- स्व मूल्यांकन की सुविधा हो।
- स्व अधिगम के योग्य हो।
- स्वपूर्ण हो।
- स्व व्याख्यायित हो।
दूरस्थ शिक्षा परिषद् स्व शिक्षण सामग्री में इन विशेष गुणों की अपेक्षा करके दूरस्थ शिक्षा में उनका उपयोग हेतु अनुमति प्रदान करता है। स्व शिक्षण सामग्री के निर्माण एवं प्रयोग के आवश्यक मानक को तय करने के साथ इनके समन्वित प्रयोग पर भी बल देता है। जिससे कि समय श्रम एवं अर्थ की बचत हो।
- क-पूर्ण कालिक विभाग।
- ख- दो अंशकालिक विभाग।
क- पूर्ण कालिक नियमित आधार पर मुख्य अंतरंग विभाग है, जो कि सभी प्रमुख कार्यों के संचालन एवं समन्वयन के लिये उत्तरदायी है।
दूर शिक्षा परिषद का महत्व
दूर शिक्षा एक ऐसी संस्था है जो कि दूर शिक्षा को बढ़ती मांग के अनुरूप प्रचार-प्रसार के साथ इसकी गुणवत्ता को भी सुनिश्चित करने के लिये कटिबद्ध है। यह एक ऐसी इकार्इ है जो दूर शिक्षण संस्थानों के भौतिक, मानवीय एवं वित्तीय संसाधन के मानक तय कर रही है। इसने जहां एक ओर दूर शिक्षा को प्रचारित करने का कार्य किया तो दूसरी ओर आवश्यक मानकों के साथ दूर शिक्षण को चलने के लिये भी दबाव बनाया है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसके माध्यम से आज देश भर में फैले दूर शिक्षण संस्थानों को एक जाल का स्वरूप मिला और सभी एक दूसरों को प्रचार-प्रसार एवं गुणात्मकता को बनाये रखने हेतु आवश्यक सहयोग दे रहे हैं। इसने दूर शिक्षण संस्थानों में प्रवेश, अनुदेशन के माध्यम, परीक्षा कार्यक्रम, छात्र सहायता सेवाओं विविध शैक्षणिक कार्यक्रमों के सभी मानक एवं दिशा निर्देश तय किये हैं।