अनुक्रम
घरेलू हिंसा का अर्थ
घरेलू हिंसा की परिभाषा
घरेलू हिंसा के कारण
महिला उत्पीड़न का एक प्रमुख कारण महिलाओं की पुरुषों पर आर्थिक निर्भरता है। घरेलू हिंसा के प्रमुख कारण समतावादी शिक्षा व्यवस्था का अभाव, महिला के चरित्र पर संदेह करना, शराब का लती होना , महिला को स्वाबलम्बी बनने से रोकना आदि माने जाते हैं।
घरेलू हिंसा का दुष्परिणाम
महिलाओं के प्रति होने वाली हिंसा का महिलाओं पर अत्यधिक दुश्प्रभाव पड़ता है। महिलाओं के साथ-साथ उनके परिवार पर, सामाजिक व्यवस्था पर, महिला-हिंसा का गहरा कुप्रभाव पड़ता है जो समय बीतने के साथ ही वैयक्तिक विघटन, जहाँ पारिवारिक विघटन एवं सामाजिक विघटन को जन्म देता है। महिला हिंसा से समाज की एकता और अखण्डता कुप्रभावित होती है वहीं यह हिंसा समाज के विकास पर भी दुश्प्रभाव डालती है।
- घरेलू हिंसा के कारण दहेज मृत्यु हत्या और आत्महत्या बढ़ी हैं। वेश्यावृत्ति की प्रवृत्ति भी इसी कारण बढ़ी है।
- महिला की सार्वजनिक भागीदारी में बाधा होती है। महिलाओं का कार्य क्षमता घटती है, साथ ही वह डरी-डरी भी रहती है। परिणामस्वरूप प्रताड़िता महिला रोगी बन जाती है जो कभी-कभी पागलपन की हद तक पहुँच जाती है।
- पीड़ित महिला की घर में द्वितीय श्रेणी की स्थिति स्थापित की जाती है।
घरेलू हिंसा रोकने के उपाय
घरेलू हिंसा को रोकने के लिये घरेलू हिंसा महिला संरक्षण अधिनियम 2006, पुलिस न्यायालय, एन0 जी0 ओ0, पारिवारिक अदालतें, महिला आयोग आदि संगठन सक्रिय रूप से कार्यरत हैं इसके अतिरिक्त शिक्षा संस्थाओं में छात्राओं को घरेलू हिंसा की खुलकर शिक्षा देना, प्रत्येक थाने पर प्रतिमाह समस्या समाधान शिविर आयोजित किया जाना आदि कदम सरकार के द्वारा उठाये गये हैं जिससे घरेलू हिंसा को रोका जा सकता है।
घरेलू हिंसा के प्रकार
1. शारीरिक हिंसा –
शारीरिक हिंसा से तात्पर्य मारपीट करना, थप्पड़ मारना, ठोकर मारना, दांत से काटना, लात मारना, मुक्का मारना, ढकेलना तथा किसी अन्य रीति से शारीरिक पीड़ा या छति पहुँचाना आदि हैं।