अनुक्रम
गोबर की खाद |
गोबर की खाद फार्म पशुओं, गाय, घोड़ा कभी-कभी सुअरों के ठोस एवं द्रव मल-मूत्र का एक सड़ा हुआ मिश्रण है। जिसमें साधारणतया भूसा, बुरादा, छीलन अथवा अन्य कोई शोषक पदार्थ जो पशुओं के बाॅधने के स्थान पर प्रयोग किया गया हो गोबर की खाद कहते हैं। गोबर की खाद पोषक तत्वों को पौधों के लिए धीरे-धीरे प्रदान करता है और इस खाद का प्रभाव कई वर्षों तक बना रहता है।
गोबर से खाद बनाने की विधि
कम से कम मात्रा में गोबर का उपयोग करके अधिकाधिक मात्रा में खाद बनाने हेतु नाडेप विधि एक उत्तम विधि है। इस विधि में मात्र एक गाय के वार्षिक गोबर से 80 से 100 टन (लगभग 150 बैलगाड़ी) खाद प्राप्त होता है जिसमें 0.5 से 1.5 प्रतिशत तक नाइट्रोजन 0. 5 प्रतिशत से 0.9 प्रतिशत तक फासफोरस तथा 1.2 से 1.4 प्रतिशत तक पोटाश रहता है। इस विधि में सर्वप्रथम जमीन के ऊपर ईट का एक आयताकार कमरेनुमा बना लिया जाता है जिसकी दीवारें 9 इंच चौड़ी होती हैं। इस टांके का फर्श ईट, पत्थर के टुकड़े डालकर पक्का कर दिया जाता है।
गोबर से खाद बनाने हेतु आवश्यक सामग्री
1. गोबर : एक 180 वर्ग फीट का टांका भरने हेतु 8 से 10 टोकरी (लगभग 100 किग्रा) गोबर की आवश्यकता होगी। इस कार्य हेतु गोबर गैस संयंत्र से निकली स्लरी का उपयोग भी किया जा सकता है ऐसी स्थिति में स्लरी की मात्रा साधारण गोबर से दुगुनी करनी होगी।
- सर्वप्रथम टांके के अंदर की दीवार एवं फर्श पर गोबर-पानी का घोल छिड़ककर इसे अच्छी प्रकार गीला कर लें।
- टांके के तल में छ: इंच की ऊंचाई तक वनस्पतिक पदार्थ भर दें। इस 30 घनफीट के क्षेत्र में लगभग 100-110 कि.ग्रा. पदार्थ आएगा। इस वनस्पतिक पदार्थ के साथ कड़वा नीम अथवा पलाश की पत्ती मिला दी जाए तो यह दीमक को भी नियन्त्रित करेगा।
- वनस्पतिक पदार्थ की परत पर साफ, सूखी तथा छनी हुई 50 से 60 कि.ग्रा. मिट्टी समतल बिछा दें तथा तदुपरान्त इस पर थोड़ा पानी छींट दें।
- वनस्पतिक पदार्थ भर लेने के उपरान्त 4 कि.ग्रा. गोबर 125-150 लीटर पानी में घोल कर वनस्पतिक पदार्थ के ऊपर इस प्रकार छिड़क दें कि यह पूरा पदार्थ इस घोल में भंग जाए। गर्मी के मौसम में पानी की मात्रा अधिक रखनी होगी। गोबर की जगह गोबर गैस प्लांट से निकली स्लरी भी प्रयुक्त की जा सकती है परन्तु उस स्थिति में पानी की मात्रा मात्र दो से ढाई गुने (10 लीटर) ही रखें।
- इसी क्रम में (वनस्पतिक पदार्थ, गोबर तथा मिट्टी के क्रम में) टांके को भरते जाएं। टांके को उसके मुंह के 1.5 फीट की ऊचाई तक झोपड़ीनुमा आकार में भरा जा सकता है। प्राय: 11-12 तहों में यह टांका भर जाएगा।
- टांका भर जाने पर उसे सील कर दें। इसके लिए भरी हुई सामग्री के ऊपर 3 इंच की मिट्टी की तह जमा करके उसे गोबर के मिश्रण से लीप दें। यदि इसमें दरारें पड़ें तो उन्हें पुन: लीप दें।
- 15-20 दिन में उपरोक्त भरी हुई खाद सामग्री सिकुड़ने लगती है तथा सिकुड़ कर यह टांके के मुंह से 8-9 इंच अंदर (नीचे) आ जाती है। तदुपरान्त पूर्व की तरह लगाई गई परतों-वनस्पतिक पदार्थ, गोबर घोल तथा छनी हुई मिट्टी की परतों से 1.5 फीट की ऊँचाई तक टांके को भर कर लीप कर सील कर दिया जाता है।
नाडेप विधि से खाद तैयार होने में लगभग 4 माह का समय लगता है। इस पूरे समय में खाद में आर्द्रता बनी रहनी चाहिए तथा इसमें आने वाली दरारों को बन्द करने 46 के लिए समय-समय पर इस पर पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए। खाद सूखना नहीं चाहिए तथा इसमें 15 से 20 प्रतिशत तक नमी बनी रहनी चाहिए। चार माह की परिपक्वता प्राप्त हो जाने पर खाद गहरे भूरे रंग की बन जाती है तथा इसमें दुर्गन्ध समाप्त होकर अच्छी खुश्बू आने लगती है। इस खाद को मोटी छलनी से खड़ा करके छान लिया जाना चाहिए तथा छना हुआ नाडेप ही उपयोग में लाया जाना चाहिए। छलनी के ऊपर जो अधपका पदार्थ रह जाए उसे आगे के लिए कम्पोस्ट बनाने समय वनस्पतिक पदार्थ के साथ प्रयुक्त कर लिया जाना चाहिए। प्राय: एक टांके से 160 से 175 घन फीट अच्छा पका हुआ (छना हुआ।) खाद प्राप्त हो जाता है जबकि 40 से 45 घन फीट के टांके से अनुमानत: 3 टन अच्छा पका हुआ खाद प्राप्त होता है।