किशोरावस्था विकास की अत्यंत महत्वपूर्ण सीढ़ी है। किशोरावस्था का महत्व कई दृष्टियों से दिखाई देता है प्रथम यह युवावस्था की ड्योढी है जिसके ऊपर जीवन का समस्त भविष्य पाया जाता है। द्वितीय यह विकास की चरमावस्था है। तृतीय यह संवेगात्मक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है।
किशोरावस्था का अर्थ
किशोरावस्था में शारीरिक विकास
1. लम्बाई तथा भार- किशोरावस्था मे बालक तथा बालिकाओ की लम्बाई बहुत तीव्र गति से बढ़ती है। बालिकाएं प्राय: 16 वर्ष की आयु तक तथा बालक लगभग 18 वर्ष की आयु तक अपनी अधिकतम लम्बाई प्राप्त कर लेते है। किशोरावस्था में बालक- बालिकाओं की औसत लम्बाई (सेमी0) निम्नांकित तालिका में दर्शाई गयी है।
आयु | 12 वर्ष | 13 वर्ष | 14 वर्ष | 15 वर्ष | 16 वर्ष | 17 वर्ष | 18 वर्ष |
बालक | 138-3 | 144-6 | 150-1 | 155-5 | 159-5 | 161-4 | 161-8 |
बालिका | 139-2 | 143-9 | 147-6 | 149-6 | 151-0 | 151-5 | 151-6 |
किशोरावस्था में भार में काफी वृद्धि होती है। बालको का भार बालिकाओं के भार से अधिक बढ़ता है। इस अवस्था के अंत में बालकों का भार बालिकाओं के भार से अधिक बढ़ता है। किशोरावस्था के विभिन्न वर्षो में बालक तथा बालिकाओं का औसत भार (किग्रा0) निम्नांकित तालिका में दर्शाया गया है।
आयु | 12 वर्ष | 13 वर्ष | 14 वर्ष | 15 वर्ष | 16 वर्ष | 17 वर्ष | 18 वर्ष |
बालक | 28-5 | 32-1 | 35-7 | 39-6 | 43-2 | 45-7 | 47-3 |
बालिका | 29-8 | 33-3 | 36-8 | 39-8 | 41-1 | 42-2 | 43-12 |
2. सिर तथा मस्तिष्क- किशोरावस्था मे सिर तथा मस्तिष्क का विकास जारी रहता है, परन्तु इसकी गति काफी मंद हो जाती है। लगभग 16 वर्ष की आयु तक सिर तथा मस्तिष्क का पूर्ण विकास हो जाता है।
7. गले की ग्रन्थि का विकास – गले के थायराइड-ग्रन्थि बढ़ने से किशोर-किशोरियों की वाणी में अन्तर आ जाता है। किशोरों की वाणी कर्कश होने लगती है जबकि किशोरियों की वाणी में कोमलता और क्षीणता आने लगती है।
9. विशेष अंगो का विकास – कुछ अन्य शारीरिक अंगो मे भी परिवतर्न होते है। किशोरियों में वक्षस्थल तथा स्तनों की वृद्धि होती है। किशोरो के कन्धों की चौड़ाई बढ़ जाती है।