औद्योगिक नीति 1990 की प्रमुख विशेषताएँ
1. कृषि पर आधारित एवं लघु उद्योगों को विशेष प्रोत्साहन क्योंकि इस औद्योगिक नीति का एक प्रमुख उछेश्य कृषि आधारित एवं लघु उद्योगों को विशेष प्रोत्साहन देना था, इसलिए इस क्षेत्र पर विशेष बल दिया गया है। इस हेतु इस नीति में कदम उठाये गये हैं-
- लघु उद्योगों में संयन्त्र एवं मशीनरी पर विनियोग की सीमा में वृठ्ठि की गयी। लघु उद्योगों के लिए यह सीमा 35 लाख रूपये से बढ़ाकर 60 लाख रूपये एवं सहायक उद्योगों के लिए 45 लाख रूपये से बढ़ाकर 75 लाख रूपये कर दी गयी। उन लघु उद्योगों के लिए भी यह सीमा 75 लाख रूपये कर दी जायेगी (60 लाख के स्थान पर) जो कि तीसरे वर्ष तक अपने उत्पादन का कम से कम 30 प्रतिशत निर्यात करेंगे।
- अति लघु उद्योगों के लिए यह विनियोग सीमा 2 लाख रूपये से बढ़ाकर 5 लाख कर दी गयी।
- घु उद्योगों के लिए उत्पादन आरक्षित वस्तुओं की संख्या में वृठ्ठि कर दी जायेगी।
- उन लघु उद्योगों को केन्द्रीय विनियोग सहायता उपलब्ध कराई जायेगी जो ग्रामीण एवं पिछड़े क्षेत्रों में स्थापित किये गये हैं तथा जो अधिक रोजगार के अवसरों का सृजन करते हों।
- इन उद्योगों के आधुनिकीकरण हेतु प्रयास किये जायेंगे।
- इन उद्योगों को ऋण प्रदान करने में प्राथमिकता दी जायेगी।
- लघु उद्योगों को सही समय पर तथा पर्याप्त ऋण उपलब्ध कराया जायेगा। इस क्रम में लघु उद्योग विकास बैंक की स्थापना पूर्व में ही की जा चुकी है।
- उद्यमशीलता के विकास हेतु प्रशिक्षण व्यवस्था की जायेगी। प्रशिक्षण में महिलाओं एवं युवाओं को प्राथमिकता दी जायेगी।
- ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत कारीगरों के उत्पाद को विक्रय तथा उनकी जरूरत के कच्चे माल की पूर्ति को सुनिश्चित करने हेतु केन्द्र तथा राज्य स्तर पर विशेष विक्रय संगठन की स्थापना की जायेगी।
- इस प्रकार के उद्योगों की स्थापना सहकारी संगठन के अन्तर्गत हो इस हेतु विशेष प्रयास किये जायेंगे।
2. लाइसेन्स व्यवस्था से छूट : जो उद्योग पिछड़े क्षेत्र में स्थापित किये जाने हैं तथा जिनका स्थायी सम्पतियों में विनियोजन 75 करोड़ रुपये तक सीमित है एवं जो उद्योग पिछडे़ क्षेत्र में नहीं हैं, उस दशा में 25 करोड़ रुपये विनियोजन तक की दशा में उद्योग स्थापित करने के लिए लाइसेन्स लेने की आवश्यकता नहीं होगी।
5. उद्यमी, संयन्त्र एवं मशीनी के कुल मूल्य के 30 प्रतिशत तक उधार मूल्य के बराबर पूँजीगत वस्तुओं का आयात कर सकेंगे।
औद्योगिक नीति 1990 का आलोचनात्मक मूल्यांकन
कृषि आधारित उद्योगों एवं लघु उद्योगों को विशेष प्रोत्साहन, तीव्र औद्योगिक विकास, सार्वजनिक क्षेत्र के विस्तार के साथ-साथ निजी क्षेत्र को भी महत्व, शोध एवं अनुसन्धान पर विशेष ध्यान, विदेशी पूँजी को आमन्त्राण, क्षेत्रीय असन्तुलन को दूर करने हेतु विशेष प्रयत्न एवं लाइसेंिन्ंसग नीति को अधिक उदार बनाकर औद्योगिकरण में तेजी हेतु प्रयास आदि इस नीति के उजले पहलू हैं। इस औद्योगिक नीति पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जार्ज बुश ने कहा था कि ‘‘भारत उदारवादी आर्थिक विकास की ओर अग्रसर हो रहा हैं।’’