अनुक्रम
ऊर्जा के स्रोत
ऊर्जा के स्रोत इस प्रकार ऊर्जा के सभी स्रोतों को हम दो भागों में बाँट सकते हैं-
- ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत व
- ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत ।
- ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत व
- ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत ।
1. ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत
आप जानते ही हैं कि कच्चे तेल से प्राप्त होने वाले पेट्रोल और डीजल को कार, बस, ट्रक, ट्रेन, विमानों आदि को चलाने में काम में लाया जाता है। इसी प्रकार केरोसीन व प्राकृतिक गैस को लैम्प व स्टोवों आदि में ईधन के रूप में काम में लाया जाता है। आपको जानना चाहिए कि कच्चा तेल, कोयला व प्राकृतिक गैस सीमित मात्रा में ही उपलब्ध हैं। इनकी पुन: पूर्ति नहीं की जा सकती है या इनका बार-बार प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
यह सच है कि वर्तमान में हम हमारे उपयोग के लिए ऊर्जा का अधिकांश हिस्सा अनवीकरणीय स्रोतों से ही प्राप्त कर रहे हैं जिनमें जीवाश्म ईधन, जैसे कि कोयला, कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस शामिल हैं। वर्तमान और भविष्य की ऊर्जा की हमारी आवश्यकताओं को देखते हुए यह अपेक्षा की जा रही है कि (यदि कोई नए तेलकूप नहीं मिले) तो आगे आने वाले 30-35 सालों में तेल और प्राकृतिक गैस के भण्डार समाप्त हो जाएँगे। इसी प्रकार कोयले के भंडार अधिक से अधिक और 100 वर्षों तक चल पाएँगे।
प्राकृतिक यूरेनियम जैसे रेडियोधर्मी तत्व भी अनवीकरणीय स्रोतों में से एक है। जब यूरेनियम के परमाणु दो या अधिक खंडों में विभक्त होते हैं तो अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है जो विद्युत ऊर्जा के उत्पादन में उपयोग में लाई जा सकती है।
कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईधन ऊर्जा के बहुत महत्वपूर्ण अनवीकरणीय स्रोतों में से हैं। मानव सभ्यता के ऊषाकाल से लेकर अब तक हम जीवाश्म ईधन का उपयोग ऊष्मा, प्रकाश व विद्युत आदि के उत्पादन के लिए करते आए हैं। ये प्राथमिक स्रोत हैं जिनसे आज विश्व में विद्युत ऊर्जा का उत्पादन किया जा रहा है। हमारी जरूरत का लगभग 85% भाग जीवाश्म ईधनों के दहन द्वारा पूरा किया जाता है। इन ईधनों का प्रमुख घटक कार्बन होता है। जीवाश्म ईधन हमारे यातायात की आवश्यकताओं के लिए बहुत उपयोगी ऊर्जा के स्रोत हैं।
अब आपको यह जानने में रुचि बढ़ रही होगी कि जीवाश्म ईधनों का निर्माण कैसे होता है? अरबों खरबों साल पहले पौधों और जीवों के अवशेष भूमि के नीचे दब गए। साल दर साल पृथ्वी के क्रोड के ताप तथा मिट्टी एवं चट्टानों के दाब के कारण यह दबे हुए अपघटित कार्बनिक पदार्थ जीवाश्म ईधन के रूप में परिवर्तित हो गए।
कोयले भी कई प्रकार के होते हैं जैसे कि पीट, लिग्नाइट, उप-बिटुमेनी और बिटुमेनी। पहली प्रकार का कोयला पीट कोयला है जो मृत व अपघटित पादप पदार्थों का संग्रह मात्र है। विगत काल में पीट को लकड़ी के विकल्प के रूप में ईधन की तरह प्रयोग किया जाता था। पीट धीरे-धीरे लिग्नाइट में रूपान्तरित हो जाता है। यह भूरे रंग की चट्टानों के रूप में मिलता है जिसमें कि पादप पदार्थों को भी पहचाना जा सकता है और इसका कैलोरी मान तुलनात्मक रूप से थोड़ा कम होता है। मुख्यतया पीट से कोयला बनने की अवस्था में लिग्नाइट बीच की अवस्था में आता है।
हालाँकि प्राकृतिक गैस एक जीवाश्म ईधन है, यह गैसोलीन से ज्यादा अच्छा ईधन है। परन्तु यह जलने पर कार्बन डाइऑक्साइड बनाती है जो मुख्य ग्रीन हाउस गैस है। पेट्रोल और डीजल की तुलना में ज्यादा मात्रा में उपलब्ध होने के बावजूद प्राकृतिक गैस भी सीमित संसाधनों की श्रेणी में ही आती है।
2. ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत
जब इन अनवीकरणीय संसाधनों के भंडार पूरी तरह से समाप्त हो जाएँगे तब क्या होगा? जीवाश्म ईधनों से पर्यावरण को होने वाली क्षति की ओर भी हमें ध्यान देना होगा। इन समस्या का हल ऊर्जा के अन्य वैकल्पिक स्रोतों तथा पर्यावरण-अनुकूल प्राकृतिक ईधनों के प्रयोग से हो सकता है। ऊर्जा के अनेक वैकल्पिक और नवीकरणीय स्रोत उपलब्ध हैं। जो न केवल पर्यावरण-अनुकूल हैं बल्कि प्रचुरता से उपलब्ध भी हैं। जल, पवन, सूर्य का प्रकाश, भूतापीय, समुद्री तरंगें, हाइड्रोजन व जैवभार आदि ऐसे ही कुछ संभावित ऊर्जा के स्रोत हैं। नवीकरणीय होने के अलावा और भी कुछ कारणों से हमें ऊर्जा के ऐसे स्रोतों की ओर जाना होगा।
सौर ऊर्जा का उपयोग खाना पकाने, ऊष्मा प्राप्त करने, विद्युत ऊर्जा के उत्पादन और समुद्री जल के अलवणीकरण में किया जाता है। सौर सेलों की मदद से सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है। सौर ऊर्जा का सर्वाधिक उपयोग पानी गर्म करने वाली प्रणालियों में होता है। इनके अलावा सौर ऊर्जा का उपयोग वाहनों को चलाने, विद्युत उत्पादन, रात में सड़कों की प्रकाशित करने तथा भोजन पकाने में भी किया जाता है। छोटे स्तर पर सौर ऊर्जा का उपयोग घरों के दैनिक उपयोग के लिए तथा स्वीमिंग पूल के लिए भी पानी को गर्म करने में किया जाता है। बड़े स्तर पर, सौर ऊर्जा से मोटरकार, विद्युत संयत्र और अंतरिक्ष यान आदि चलाए जाते हैं।
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पवन चक्की |
अब हमारे सामने मूल प्रश्न यह है कि भूतापीय ऊर्जा को प्राप्त किया जाए? आपने पृथ्वी पर पाए जाने वाले ज्वालामुखियों के बारे में सुना होगा। इन ज्वालामुखी लक्षणों को भूतापीय ऊर्जा के बाहुल्य क्षेत्र कहा जाता है। ऊर्जा का बाहुल्य क्षेत्र वह क्षेत्र है जहाँ पर पृथ्वी के प्रावार की मोटाई कम होती है। इस कारण पृथ्वी की अतिरिक्त आंतरिक ऊष्मा बाह्य पर्पटी की ओर प्रवाहित होने लगती है। ये बाहुल्य क्षेत्र पृथ्वी के पृष्ठ पर अपने अद्भुत प्रभावों के कारण जाने जाते हैं, जैसे कि ज्वालामुखी द्वीप, खनिजों के भंडार और गर्म पानी के सोते आदि। इन भूतापीय ऊर्जा बाहुल्य क्षेत्रों की ऊष्मा से भूमि के अन्दर का पानी वाष्प में परिवर्तित हो जाता है जिसका उपयोग वाष्प टरबाइन को चलाकर विद्युत उत्पादन के लिए किया जा सकता है।
6. जैवभार से ऊर्जा उत्पादन – जैवभार पौधों और जन्तुओं से बनने वाला कार्बनिक पदार्थ है। इसमें कूड़ा करकट, कृषि अपशिष्ट, औद्योगिक अपशिष्ट, खाद, लकड़ी, जीवों के मृत भाग आदि शामिल हैं। ऊर्जा के अन्य स्रोतों की तरह जैवभार में भी सूर्य से प्राप्त ऊर्जा संचित होती है। अत: जैवभार भी ऊर्जा के अच्छे स्रोतों में से है।
7. हाइड्रोजन – भविष्य के ऊर्जा का स्रोत – हाइड्रोजन को भविष्य के एक पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा स्रोत के रूप में देखा जा रहा है। दीर्घकालीन अवधि में हाइड्रोजन में ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों, जैसे कि पेट्रोल, डीजल, कोयला आदि पर निर्भरता को कम करने की सम्भावना दिखाई देती है। इसके अलावा ऊर्जा स्रोत के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग ग्रीन हाउस गैसों व अन्य प्रदूषक के उत्सर्जन को कम करने में मदद करेगा।
जब हाइड्रोजन का दहन किया जाता है तो केवल जल वाष्प ही उत्पन्न होती है। अत: हाइड्रोजन को उपयोग में लेने का एक मुख्य लाभ यह है कि जब इसको जलाया जाता है कार्बन डाइऑक्साइड नहीं बनती है। अत: हम कह सकते हैं कि हाइड्रोजन हवा को प्रदूषित नहीं करती है। हाइड्रोजन में एक ईधन-सेल वाले इंजन को एक आंतरिक दहन इंजन की तुलना में अधिक दक्षता से चलाने की क्षमता होती है। गेसोलीन से चलने वाली कार की तुलना में ईधन-सेल वाली कार को उसी परिमाण की हाइड्रोजन दुगनी दूरी तक चला सकती है।
यद्यपि ईधन-सेल वाले वाहनों को चलाने के लिए हाइड्रोजन एक व्यवहार्य ऊर्जा स्रोत सिद्ध हुआ है परन्तु हाइड्रोजन के उत्पादन, संग्रहण और वितरण को लेकर कई गंभीर प्रश्नचिन्ह हैं। इसकी दक्षता को लेकर भी प्रश्न चिà हैं कि इसके निर्माण में उससे अधिक ऊर्जा व्यय हो जाती है जितनी कि यह उत्पन्न करती है। इसके अलावा हाइड्रोजन से एक वाहन को चलाने में बहुत लागत आती है क्योंकि हाइड्रोजन को द्रवित करने में बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
ब्रह्माण्ड में हाइड्रोजन सर्वाधिक प्रचुरता से पाया जाने वाला तत्व है। यह सबसे हल्का तत्व है और सामान्य ताप व दाब पर यह गैस रूप में होता है। पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप में हाइड्रोजन गैस रूप में नहीं पाई जाती क्योंकि वायु से हल्की होने के कारण यह वातावरण में ऊपर उठ जाती है। प्राकृतिक हाइड्रोजन हमेशा अन्य तत्वों के साथ यौगिक, जैसे कि पानी, कोयला और पेट्रोलियम, के रूप में रहती है।