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भारत के पूर्वोत्तर भाग में स्थित अरुणाचल प्रदेश एक पर्वतीय प्रदेश है। सम्पूर्ण प्रदेश पर्वत श्रेणियों, गहरी खाइयों, नदियों की घाटियों, हरे-भरे जंगलों तथा झरनों आदि से भरा पड़ा है। यद्यपि अरुणाचल प्रदेश का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है, परन्तु इस पर परम्परा और काल्पनिक कथाओं का कोहरा छाया हुआ है। सातवीं शताब्दी में कश्मीर के ‘कल्हण’ कवि ने अपने विख्यात ग्रन्थ ‘राजतरंगिणी’ में ‘उदयाद्रि’ का वर्णन किया है। इसमें संदेह नहीं कि वह ‘उदयाद्रि’ ही आज का अरुणाचल है।
अरुणाचल प्रदेश का इतिहास
अन्तत: 20 फरवरी, 1987 को अरुणाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया गया।
अरुणाचल प्रदेश की भौगोलिक स्थिति
भौगोलिक दृष्टि से अत्यन्त कठिन क्षेत्र होने के कारण यातायात एवं संचार की काफी परेशानियां बनी रहती हैं। उच्चावची विषमताओं का स्पष्ट प्रभाव यहाँ की जनसंख्या पर देखने को मिलता है। परिणामतः जनसंख्या घनत्व एवं वितरण में काफी भिन्नता मिलती है। 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश की कुल आबादी 1,382,611 है, जो देश की जनसंख्या का मात्र 0.11 प्रतिशत है। घनत्व की दृष्टि से 17 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर में निवास करते हैं। प्रदेश में जनसंख्या का वितरण बहुत असमान है। प्रदेश के दक्षिण एवं पश्चिमी भाग जो असम राज्य से सटे हैं वहॉं जनसंख्या की अधिकता तथा प्रदेश के उत्तरी एवं पूर्वी भाग में विरल जनसंख्या पायी जाती है।
अरुणाचल प्रदेश की प्रमुख जनजाति
63 प्रतिशत अरुणाचल वासी 19 प्रमुख जनजातियों और 85 अन्य जनजातियों से संबद्ध है। इनमें से अधिकांश या तो तिब्बती – बर्मी या ताई-बर्मी मूल के हैं। शेष 35 प्रतिशत जनसंख्या अप्रवासियों की है, जिनमें 31000 बंगाली, बोडो, हजोन्ग, बांग्लादेश से आये चकमा शरणाथ्र्ाी और पड़ोसी असम, नगालैण्ड और भारत के अन्य भागों से आये प्रवासी शामिल हैं। सबसे बड़ी जनजातियों में आदि, गालो, निशि, खम्ति, मोंपा और अपातनी प्रमुख हैं।
अरुणाचल प्रदेश के लोगों का प्रमुख व्यवसाय
जिला शहरों को छोड़कर राज्य का पूरा इलाका ग्रामीण है। कृषि यहाँ के लोगों का प्रमुख व्यवसाय है। यहाँ की अर्थव्यवस्था, जो मुख्यत: ‘झूम’ खेती पर आधारित थी, में धीरे-धीरे परिवर्तन आने लगा है। चावल यहाँ की मुख्य फसल है। अरुणाचल प्रदेश में वनों, खनिजों तथा पनबिजली संसाधनों का विपुल भण्डार है। पश्चिमी कामेंग जिले में डोलोमाइट के भण्डार हैं। ईटानगर में उत्तर-पूर्वी क्षेत्रीय टेक्नोलॉजी संस्थान स्थापित किया गया है।
राज्य की विशाल खनिज संपदा के संरक्षण के लिए 1991 में ‘अरुणाचल प्रदेश खनिज विकास’ और ‘व्यापार निगम लिमिटेड’ की स्थापना की गई थी।
विभिन्न प्रकार के व्यापार में दस्तकारों को प्रशिक्षण देने के लिए, रोइंग, टबारीजो, दिरांग, युपैया और मैओ में कार्यरत पाँच ‘सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान’ हैं। आई.टी.आई. युपैया महिलाओं के लिए विशेष रूप से बना है जो पापुम पारे जिले में स्थित है। अरुणाचल प्रदेश में 87,500 हेक्टेयर से अधिक भूमि सिंचित क्षेत्र है। राज्य की विद्युत क्षमता लगभग 30,735 मेगावाट है। राज्य के 3,649 गाँवों में से लगभग 2,600 गाँवों का विद्युतीकरण कर दिया गया है।
अरुणाचल प्रदेश के महत्वपूर्ण त्यौहार
अरुणाचल प्रदेश के कुछ महत्वपूर्ण त्यौहारों में ‘अदीस’ समुदाय का ‘मापिन और सोलंगु’, ‘मोनपा’ समुदाय का त्यौहार ‘लोस्सार’, ‘अपतानी’ समुदाय का ‘द्री’, ‘तगिनों’ समुदाय का ‘सी-दोन्याई’, ‘इदु-मिशमी’ समुदाय का ‘रेह’, ‘निशिंग समुदाय का ‘न्योकुम’ आदि त्यौहार शामिल हैं। अधिकतर त्यौहारों पर पशुओं को बलि चढ़ाने की पुरातन प्रथा है।
संदर्भ-
- Sharma, Usha, “Discovery of North East India”, Mittal Publication, New Delhi, 2005, P-65.
- Garver, John W., ‘Protracted Contest : Sino-Indian Rivalry in the Twentieth Century,’ university of Washington Press, Washington, 2002, P. 79.
- “Trekking in Arunachal, “Trekking Tour in Arunachal Pradesh, Adventure Trekking in Arunachal Pradesh.” NorthEast-India.Com. Archived from the original on 30 August 2010, Retrieved 2010-10-06.
- Arunachal Pradesh Human Development Report-2005
- भारत 2008, पूर्वोक्त पृ0सं0 1090.
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