अनुक्रम
शिक्षा के अभिकरण :औपचारिक, अनौपचारिक निरौपचारिक (Agencies of Education : Formal, Informal and Non formal)
उद्देश्य
इस इकाई के अध्ययन के पश्चात् आप –
- शिक्षा के अभिकरण का अर्थ समझ सकेंगे।
- शिक्षा के रूप जान सकेंगे।
- शिक्षा के तीन प्रमुख अभिकरणों का वर्गीकरण कर सकेंगे।
- शिक्षा के तीन प्रमुख अभिकरणों में अन्तर कर सकेंगे।
- शिक्षा के औपचारिक अभिकरण के अर्थ, गुण, दोष व विशेषताओं से परिचित हो सकेंगे।
- विद्यालय – एक औपचारिक अभिकरण रूप में व्याख्या कर सकेंगे।
- विद्यालय की परिभाषा, अवधारणा, विशेषताएँ व कार्यों से अवगत हो सकेंगे।
- शिक्षा के अनौपचारिक अभिकरण, अर्थ, गुण, दोष एवं विशेषताओं से परिचित हो सकेंगे।
- शिक्षा के अनौपचारिक अभिकरण के रूप में, घर-परिवार, समुदाय, राज्य, धार्मिक संस्थाएँ एवं जनसंचार साधन की भूमिका से अवगत हो सकेंगे।
- शिक्षा के निरौपचारिक साधनों को जान सकेंगे।
- खुला विद्यालय व खुला विश्वविद्यालय के सम्प्रत्यय को समझ सकेंगे।
- चार प्रकार के विश्वविद्यालयों में अन्तर कर सकेंगे।
- खुला विश्वविद्यालय की आवश्यकता जान सकेंगे।
- खुला विश्वविद्यालय की कार्य विधि से परिचित हो सकेंगे।
प्रस्तावना (Introduction)
शिक्षा प्राप्त तथा प्रदान करने के उद्देश्य, विधि तथा स्वरूप के दृष्टिकोण से शिक्षा को दो वर्गों में विभक्त किया गया है – औपचारिक शिक्षा तथा अनौपचारिक शिक्षा | ‘औपचारिक शिक्षा’ वह है जिसे सचेतन प्रयासों से प्रदान तथा प्राप्त किया जाता है । यहाँ शिक्षा प्रदान करने वाला भली प्रकार से जानता है कि उसे शिक्षा प्रदान करनी है, यहाँ शिक्षा की एक निश्चित विषय-वस्तु होती है । समाज इस प्रकार की शिक्षा प्रदान करने के लिए विधिवत् शिक्षा-संस्थाओं की व्यवस्था करता है और उसके लिए सचेष्ट पाठ्यक्रम, शिक्षण विधि तथा पुस्तकादि की व्यवस्था करता है । यह शिक्षा पूरी तरह से नियोजित तथा क्रमबद्ध होती है । औपचारिक शिक्षा के पूर्व निश्चित उद्देश्य होते हैं जिन्हें प्राप्त करने के लिए सचेष्ट प्रयास किए जाते हैं ।
शिक्षा के रूप
औपचारिक शिक्षा (Formal Education) से हमारा तात्पर्य उस शिक्षा से है जो जानबूझकर, सप्रयत्न की जाती है । विद्यालय औपचारिक शिक्षा प्रदान करने के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण अभिकरण है । इस प्रकार हम कह सकते हैं कि विद्यालयों द्वारा मातृ-भाषा, गणित, इतिहास, भूगोल, विज्ञान आदि विषयों की जो शिक्षा दी जाती है, वही औपचारिक शिक्षा है । औपचारिक शिक्षा के लिए सचेष्ट प्रयत्न किए जाते हैं, अर्थात् इसे प्रदान करने के लिए पाठ्यक्रम बनाया जाता है, उस पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए सुनियोजित कार्यक्रम बनाए जाते हैं तथा अन्त में छात्रों का सुनिश्चित ढंग से ही मूल्यांकन किया जाता है । कुछ व्यक्ति अपने घरों पर भी निजी ट्यूशन आदि की व्यवस्था कर बच्चों को औपचारिक शिक्षा की व्यवस्था करते हैं, जहाँ कोई शिक्षक बालकों को सुनिश्चित ढंग से शिक्षा प्रदान करने की सचेष्ट क्रियाएं करता है ।
औपचारिक शिक्षा (formal Education)
इस प्रकार से औपचारिक शिक्षा वह शिक्षा है जिसको पूर्व आयोजन, नियोजन एवं प्रयत्नशील उपायों से प्रदान किया जाता है, इसके लिए उद्देश्य, पाठ्यक्रम, पाठ्य-विधियों आदि का भी सुनिश्चित आयोजन किया जाता है ।
अनौपचारिक शिक्षा (Informal Education)
अनौपचारिक शिक्षा (Informal Education) लिखना, पढ़ना या अक्षर ज्ञान कर लेना ही शिक्षा नहीं है । शिक्षा इससे बहुत अधिक व्यापक तथा विस्तृत प्रत्यय है । विद्यालयों में तो हम केवल कुछ विषयों का ज्ञान प्राप्त करते हैं । शिक्षा वह है जो हम अपने जीवन के अच्छे बुरे अनुभवों से सीखते हैं । प्रत्येक व्यक्ति जीवन पर्यन्त या आजीवन अनुभव प्राप्त करता है । अनुभव प्राप्त करने में हमारी सभी ज्ञानेन्द्रियां लिप्त रहती हैं । इसे हम इस प्रकार भी कह सकते हैं कि अपनी विभिन्न ज्ञानेन्द्रियों के द्वारा मनुष्य जो अनुभव प्राप्त करता है उनका कुल योग ही शिक्षा है । शिक्षा सभी प्रकार के अनुभवों का योग है जिसे मनुष्य अपने जीवन काल में प्राप्त करता है और जिसके द्वारा वह जो कुछ है, उसका निर्माण होता है । अनुभव या शिक्षा प्राप्त करने के अनेक साधनों को हम मोटे तौर पर दो भागों में विभक्त कर सकते हैं – शिक्षा के औपचारिक साधन, तथा शिक्षा के अनौपचारिक साधन । औपचारिक साधनों के द्वारा जो शिक्षा प्राप्त होती है, वह ‘औपचारिक शिक्षा’ कहलाती है तथा जो शिक्षा अनौपचारिक साधनों से प्राप्त होती है, वह ‘अनौपचारिक शिक्षा’ कहलाती है । निरौपचारिक अथवा मुक्त शिक्षा में औपचारिक तथा अनौपचारिक दोनों का समन्वय किया जाता है |
शिक्षा के औपचारिक, अनौपचारिक व निरौपचारिक अभिकरणों में अन्तर
औपचारिक शिक्षा |
अनौपचारिक शिक्षा |
निरौपचारिक शिक्षा |
1. छात्र निश्चित होते है ।
2. आयु सीमा निर्धारित होती है। |
1. सीखने वालों की संख्या निश्चित नहीं होती ।2. आयु सीमा पर कोई नियन्त्रण होता। |
1. छात्र निश्चित होते है । |
1. अध्यापक प्रशिक्षित होता है।
2. अध्यापक निश्चित होता है। |
1. अध्यापक कोई भी हो सकता है।
2. आयु सीमा पर कोई नियन्त्रण होता। |
1. शिक्षा देने वाले व शिक्षा ग्रहण करने वाले के मध्य कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं होता है। |
1. विषयवस्तु सैद्धांतिक होती है।
2. निश्चित होती है। 3. व्यावहारिक कम |
1. व्यावहारिक होती है ।
2. अनिश्चित होती है । 3. सीखने वाले की रुचि पर आधारित होती है। |
1. पाठ्यक्रम निश्चित होता है । |
1. शिक्षण पद्धति पाठ्यक्रम अनुकूल होती है। | 1. शिक्षण पद्धति लचीली होती है।
2. अनिश्चित होती है । 3. सीखने वाले की रुचि पर आधारित होती है। |
1. लिखित पाठों के माध्यम से शिक्षण होता है ।
2. अध्यापक शिक्षार्थी के मध्य अन्तः क्रिया सीमित होती है। |
1. शिक्षण कार्यक्रम व्यवस्थित होता है।
2. यह विभिन्न इकाइयों में विभक्त होता है। 3. सीखना एक क्रमिक प्रक्रिया के रूप में होता है। |
1. ढाँचे में कोई व्यवस्था नहीं होती है ।
2. सीखना एक अचानक होने वाली प्रक्रिया है । |
1. ढाँचा निश्चित होता है ।
2. सीखना क्रमिक रूप से नहीं होता है । 3. इसकी व्यवस्था सचेष्ट होती है। |
1. इसके ऊपर यांत्रिक रूप से नियंत्रण होता है। | 1. यह सीखने वाले के नियन्त्रण में होता है । | 1. इसमें शिक्षा के कुछ क्षेत्रों पर नियंत्रण होता है। |
1. स्थान निश्चित होता है। | 1. स्थान निश्चित नहीं होता है । | 1. स्थान छात्र के लिए निश्चित नहीं लेकिन शिक्षा देने का स्थान निश्चित होता है। |
1. समय निश्चित होता है । | 1. समय अनिश्चित होता है । | 1. अवधि निश्चित है किन्तु शिक्षा ग्रहण करने का समय नहीं । |
1. छात्रों का मूल्यांकन संभव नहीं होता। | 1. छात्रों का मूल्यांकन संभव नहीं है । | 1. छात्रों के मूल्यांकन का प्रयास। |
1. अंक या उपाधि के रूप में । | 1. प्रशंसा के रूप में प्राप्त होता | 1. अंक या उपाधिक के रूप में |