शिक्षा के अनौपचारिक अभिकरण का अर्थ, गुण, दोष एवं विशेषताएँ

शिक्षा के अनौपचारिक अभिकरण का अर्थ, गुण, दोष एवं विशेषताएँ

अनौपचारिक शिक्षा के अभिकरणों से तात्पर्य शिक्षा के उन साधनों से है जिनकी कोई पूर्व निश्चित योजना होती है और न पूर्व निर्धारित उद्देश्य। इन अभिकरणों के कार्य करने का समय तथा स्थान भी निर्धारित नहीं होता। ये अभिकरण बालक के समक्ष स्वतंत्र वातावरण प्रस्तुत करते हैं जिसमें उसे स्वयं क्रिया करते हुए आकस्मिक एवं व्यावहारिक शिक्षा प्राप्त होती रहती है। अनौपचारिक शिक्षा अभिकरणों के अन्तर्गत परिवार, धर्म, समुदाय, रेडियो, चलचित्र, दूरदर्शन, समाचार पत्र, सरस्वती यात्राएं युवक संगठन आदि आते हैं।

अनौपचारिक शिक्षा अभिकरणों के गुण (Merits)

इन अभिकरणों द्वारा प्रदत्त शिक्षा का बालक पर गहरा और व्यापक प्रभाव पड़ता है। बालक में इसके माध्यम से सुआदतें, सद्व्यवहार, सुरुचि तथा स्वाभाविक मानवीय गुणों का विकास होता है। इनके द्वारा बालक वास्तविक एवं जीवनोपयोगी शिक्षा प्राप्त करता है।

अनौपचारिक शिक्षा अभिकरणों के दोष (Demerits)

इन अभिकरणों की अनिश्चित शिक्षा योजना के कारण इनकी शिक्षा व्यवस्थित रूप से नहीं चल पाती। इनके माध्यम से बालक में कला और कौशल का विकास नहीं हो पाता है।

निष्कर्ष –

बालक के सर्वांगीण विकास के लिए दोनों प्रकार के अभिकरणों से शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए ताकि व्यक्तित्व का सन्तुलित विकास संभव हो सके।

अनौपचारिक शिक्षा की विशेषताऐं

अनौपचारिक शिक्षा में निम्नांकित विशेषताएं दिखाई देती है :-

1. अनौपचारिक शिक्षा के लिए किन्हीं सचेष्ट प्रयासों तथा व्यवस्था की आवश्यकता नहीं पड़ती। इसे हम जीवन के लिए किए गए संघर्षो से स्वत: ही प्राप्त कर लेते हैं। जीवन के लिए हम जितना विस्तृत सामाजिक तथा भौगोलिक वातावरण प्राप्त करेंगे, हमारे अनुभव उतने ही अधिक विस्तृत होंगे और हमें उतनी ही अच्छी शिक्षा होगी।
2. अनौपचारिक शिक्षा स्वाभाविक, जीवन से सम्बन्धित, सरल तथा प्राकृतिक रूप में होती है।
3. अनौपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए मनुष्य को अपने चारों ओर के वातावरण, परिवार, पड़ोस, समाज आदि पर मूल रूप से निर्भर रहना पड़ता है, क्योंकि ये ही अनौपचारिक शिक्षा के मुख्य स्रोत हैं।
4. अनौपचारिक शिक्षा व्यक्ति की मूल प्रवृत्तियों तथा उसकी रूचि पर निर्भर करती हैं।
5. अनौपचारिक शिक्षा मनुष्य की अपने अनुभवों से लाभ उठाने की योग्यता पर निर्भर करती है।
6. अनौपचारिक शिक्षा औपचारिक शिक्षा के समान श्रमसाध्य नहीं होती वरन् सुखद तथा मनोरंजकारी होती है।
7. अनौपचारिक शिक्षा जन्म से प्रारम्भ होकर मृत्यु पर्यन्त चलती रहती है। यह जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है, क्योंकि व्यक्ति जीवन भर अनुभव प्राप्त करता रहता है।

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