अनुक्रम
भारतीय संविधान के अनुसार भारत के लिए एक उपराष्ट्रपति की भी व्यवस्था की गई है। भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा, संविधान का अनुच्छेद (63) इसकी व्यवस्था करता है। उपराष्ट्रपति के पद की संकल्पना को संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से ली गई। वहां की शासन व्यवस्था भारतीय शासन व्यवस्था से भिन्न है। भारतीय राजनीतिक व्यवस्था ने कुछ परिवर्तनों के साथ उपराष्ट्रपति के पद को अपनाया है। संविधान निर्माता संभवतया उपराष्ट्रपति के पद को इसलिए शासन व्यवस्था में स्थापित करना चाहते थे क्योंकि यह सर्वमान्य तथ्य है कि उपराष्ट्रपति भी कार्यपालिका का ही भाग है।
भारत के उपराष्ट्रपति का निर्वाचन
भारत के उपराष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए योग्यताएं
कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र तभी होगा जब वह-
- भारत का नागरिक है;
- पैंतीस वर्ष की आयु पूरी कर चुका, और
- राज्य सभा का सदस्य निर्वाचित होने के लिये अर्हित
भारत के उपराष्ट्रपति का कार्यकाल
राष्ट्रपति की तरह उपराष्ट्रपति की भी पदाविधि पांच वर्ष की है। इस सम्बन्ध में अनुच्छेद 67 में उपबन्ध इस प्रकार किया गया है।
- उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति को सम्बोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा,
- उपराष्ट्रपति, राज्यसभा के ऐसे संकल्प द्वारा अपने पद से हटाया जा सकेगा। जिसे राज्य सभा के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत ने पारित किया है और जिससे लोक सभा सहमत है, किन्तु इस खण्ड के प्रयोजन के लिए कोई संकल्प तब तक प्रस्तावित नहीं किया जाएगा जब तक कि उस संकल्प को प्रस्तावित करने के आशय की कम से कम चौदह दिन की सूचना न दे दी गई हो,
- उपराष्ट्रपति, अपने पद की अवधि समाप्त हो जाने पर भी तब तक पद धारण करता रहेगा जब तक उसका उत्तराधिकारी अपना पद धारण नहीं कर लेता है।
इस सम्बन्ध में ध्यान देने की बात यह है कि उपराष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने का कोई उपबन्ध नहीं किया गया है। उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया राष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया से बहुत सरल है। राष्ट्रपति महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है, किन्तु ऐसी कोई औपचारिक प्रक्रिया उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए आवश्यक नहीं है और दोनों सदनों का संकल्प ही उसको हटाने के लिए पर्याप्त है।
भारत के उपराष्ट्रपति के कार्य
संविधान में उपराष्ट्रपति के निम्नलिखित कार्य का वर्णन मिलता है-
2. संविधान के अनुच्छेद 65 (1) के उपबन्ध यह सुनिश्चित करते हैं कि यदि राष्ट्रपति की मृत्यु हो जाए, उसे महाभियागे द्वारा पदच्युत कर दिया जाए, वह बीमार हो जाए, वह त्यागपत्र दे दे या किसी अन्य कारण से देश में अनुपस्थित हो, तो उसके स्थान पर उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा। ऐसी आपातकालीन परिस्थितियां भी आ सकती है कि राष्ट्रपति का अपहरण हो जाए या उच्चतम न्यायालय उसे अयोग्य घोषित कर दिया हो तब भी उपराष्ट्रपति उसके स्थान कार्य का संचालन करेगा। राष्ट्रपति की अस्वस्थता या विदेश यात्रा के अवसरों पर भी उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के कार्यभार का वहन करता है।
जब उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा, तब उसे वे समस्त शक्तियां और उन्मुक्तिया प्राप्त होती है जो राष्ट्रपति को प्राप्त होती है। इस अवधि में वह राज्य सभा के सभापति के रूप में कार्य नहीं करता है और न ही इस हैसियत से वेतन प्राप्त करता है। कार्यवाहक के रूप में उपराष्ट्रपति 6 माह से अधिक कार्य नहीं कर सकता है।
उपराष्ट्रपति एक यह भी है कि जब कभी उसे राष्ट्रपति का त्यागपत्र प्राप्त हो उसकी सूचना व तत्काल लोकसभा अध्यक्ष को प्रेषित करे। वह विदेशों के साथ मैत्री संबंध बनाने व प्रगाढ़ करने के लिए राजकीय यात्रा पर जाए। वह सद्भावना यात्रा पर भी जा सकता है। वह देश की अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक व शैक्षणिक संस्थाओं से संबंध रखता है।
उपराष्ट्रपति पर महाभियोग
उपराष्ट्रपति की पदावधि 5 वर्ष की होती है परन्तु इस अवधि से पूर्व ही यदि इसका पद रिक्त होता है तो उसके निम्न तरीके होंगे- 1. वह अपने पद को स्वयं राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए त्याग सकता है। 2. उसे राज्य सभा के ऐसे प्रस्ताव द्वारा जो सदन के सभी सदस्यों के बहुमत से पारित हो तथा जिसे लोकसभा ने साधारण बहुमत ने पारित किया हो, हटाया जा सकता है, किन्तु ऐसे प्रस्ताव को पारित करने से 14 दिन पूर्व नोटिस दिया जाना आवश्यक है। उपराष्ट्रपति को अपने पद से सामान्य तरीके से हटाया जा सकता है, उसे हटाने के लिए किसी प्रकार के महाभियागे की आवश्यकता नहीं पड़ती है।