अनुक्रम
शिक्षा का अर्थ
शिक्षा का अर्थ शिक्षा शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के शब्द Educatum से हुई है। जिसका अंग्रेजी अनुवाद Education है। Education का अर्थ शिक्षण की कला। दूसरे अर्थों में Eductaion दो शब्दों से मिलकर बना है। E+Duco E का अर्थ आन्तरिक Duco का अर्थ बाहर की ओर ले जाना।
शिक्षा की परिभाषा
शिक्षा की परिभाषा विभिन्न विद्वानों ने शिक्षा को इस प्रकार परिभाषित किया हैं।
जबकि जॉन डिवी के अनुसार, “शिक्षा जीवन की तैयारी के लिए नहीं है बल्कि यह जीवन है। शिक्षा अनुभवों के सतत् पुनर्निर्माण के माध्यम से जीने की प्रक्रिया है।” यह व्यक्तियों में उन सभी क्षमताओं का विकास करता है जो उनको अपने वातावरण पर नियंत्रण एवं संभावनाओं की पूर्ति हेतु सक्षम बनाता है।
जैन दर्शन के अनुसार:- ‘‘शिक्षा वह है जो मोक्ष की प्राप्ति कराए’’।
बौद्ध दर्शन के अनुसार:- ‘‘शिक्षा वह है जो निर्वाण दिलाए ‘‘।
स्वामी विवेकानन्द के अनुसार :-’’मनुष्य की आत्मा में ज्ञान का अक्षय भंडार है। उसका उद्घाटन करना ही शिक्षा है’’।
टेगोर के अनुसार:- ‘‘उच्चतम शिक्षा वह है, जो हमें केवल सूचना ही नहीं देती वरन् हमारे जीवन के समस्त पहलुओं को सम तथा सुडोैल बनाती है’’।
महात्मा गाँधी – शिक्षा वह वस्तु या प्रक्रिया है जो मनुष्य को आत्मनिर्भर एवं नि:स्वाथ्र्ाी बनाती है।
रूसो – शिक्षा बच्चे तथा मनुष्य के शरीर, मस्तिष्क तथा आत्मा का सर्वोत्तम सर्वांगीण विकास है।”
फ्राबेल के अनुसार :-’’शिक्षा एक प्रक्रिया है, जो की बालक की अन्त: शक्तियों को बाहर प्रकट करती है’’।
महात्मॉ गाँधी के अनुसार :-’’शिक्षा का अभिप्राय बालक एवं मनुष्य के शरीर, मन तथा आत्मा में निहित सर्वोतम शक्तियों के सर्वागीण प्रकटीकरण से है।’’
टी. पी. नन के अनुसार :- ‘‘शिक्षा बालक के व्यक्तित्व का पूर्ण विकास है जिसके द्वारा वह यथा शक्ति मानव जीवन को मौलिक योगदान कर सकें।’’
पेस्तालॉजी के अनुसार :- ‘‘शिक्षा मनुष्य की आन्तरिक शक्तियों का स्वाभाविक सर्वागपूर्ण तथा प्रगतिशील विकास है।’’
ब्राउन के अनुसार :- ‘‘शिक्षा चैतन्य रूप में एक अनियन्त्रित प्रक्रिया है, जिसके द्वारा व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन लाये जाते है।’’
प्रो. हार्नी के अनुसार :-’’शिक्षा शारीरिक एवं मानसिक रूप से विकसित सचेतन मानव का अपने बौद्धिक, उद्वेगात्मक तथा इच्छात्मक वातावरण से सर्वोतम अनुकूलन हैं।’’
अरस्तू के अनुसार ‘‘स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निमार्ण करना ही शिक्षा है।।’’
हरबर्ट स्पेन्सर के अनुसार ‘‘अच्छे नैतिक चरित्र का विकास ही शिक्षा है।’’
ट्रो के अनुसार ‘‘शिक्षा नियन्त्रित वातावरण में मानव विकास की प्रक्रिया है।’’
भारत में शिक्षा के प्रकार
- औपचारिक शिक्षा
- अनौपचारिक शिक्षा
- निरौपचारिक शिक्षा
1. औपचारिक शिक्षा
2. अनौपचारिक शिक्षा
3. निरौपचारिक शिक्षा
भारत में शिक्षा के स्तर
- प्राथमिक शिक्षा
- माध्यमिक शिक्षा
- उच्च शिक्षा
1. प्राथमिक शिक्षा
2. माध्यमिक शिक्षा
शिक्षा का महत्व
छोटे गृह कुटीर उद्योगों की दिशा में पहल की जाएं अथवा कृषि प्रौद्योगिकी के विकास की कल्पना को सार्थक किया जाएं, जरूरत शिक्षा की ही होगी। भूखे पेट भजन नहीं हो सकता और पेट भर जाने भोजन मात्र से ही विकास नहीं हो सकता इसलिए क्षमताओं और संभावनाओं के विकास हेतु शिक्षा अति महत्वपूर्ण है।
शिक्षा के माध्यम से ही भारत के गाँवों को सामाजिक परिवर्तन और ग्राम विकास की विभिन्न योजनाओं से जोड़ सकते है। मूल्यहीन शिक्षा वास्तव में शिक्षा है ही नहीं। मूल्यों की शिक्षा प्रदान कर बच्चों में अच्छे संस्कार विकसित किये जा सकते है। उनकी सुप्त चेतना को जगाया जा सकता है जिससे की वे अपने विकास के साथ-साथ अपने समाज और देश के विकास में योगदान कर सकता है।