अनुक्रम
राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा किया जाता है जिसमें संसद के दोनेां सदनों के चयनित सदस्य समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार राज्यों में विधान सभा के सदस्यों के द्वारा एकल अंतरणीय मत के द्वारा होता है । राज्यो के बीच परस्पर एकरूपता लाने के लिए तथा सम्पूर्ण रूप से राज्यों और केंद्र के बीच संगतता लाने के लिए प्रत्येक मत को उचित महत्व दिया जाता है ।
भारत के राष्ट्रपति के पद लिए योग्यताएं
अनुच्छेद ‘58 के अनुसार कोई व्यक्ति राष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र तभी होगा जब वह-
- वह भारत का नागरिक हो।
- कम से कम 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो ।
- वह लोक सभा का सदस्य बनने की योग्यता रखता हो।
- वह किसी सरकारी लाभकारी पद पर कार्यरत न हो।
- राष्ट्रपति के पद पर आसीन व्याप्ति संसद का सदस्य या राज्यों में विधायक नहीं हो सकता ।
परन्तु अनुच्छेद 58(2) के अनुसार कोई व्यक्ति, जो भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन अथवा उक्त सरकारों में से किसी के नियन्त्रण में किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है, राष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र नहीं होगा।
भारत के राष्ट्रपति का कार्यकाल
भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां और कार्य
राष्ट्रपति राष्ट्र का प्रमुख होता है। केन्द्र सरकार की सभी शक्तियों का प्रयोग प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से राष्ट्रपति (प्रधानमंत्री एवं मंत्री परिषद के द्वारा) करता है । भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां और कार्य है –
- कार्यपालिका संबंधी शक्तियां
- व्यवस्थापिका संबंधी शक्तियां
- वित्तीय संबंधी शक्तियां
- न्याय संबंधी शक्तियां
- संकट कालीन शक्तियां
1. कार्यपालिका संबंधी शक्तियां
भारत सरकार के समस्त कार्यपालिका संबंधी कार्य राष्ट्रपति के नाम से किये जाते है।। शक्तियां निम्न हैं :-
2. व्यवस्थापिका संबंधी शक्तियां
विधायी या व्यवस्थापिका सम्बन्धी शक्तियां है –
3. राष्ट्रपति की वित्तीय संबंधी शक्तियां
- बजट प्रस्तुत करने की शक्तियां – प्रत्येक वर्ष के प्रारंभ में ससंद की स्वीकृति हेतु वाषिंर्क बजट राष्ट्रपति की ओर से पहले लोकसभा में और बाद में राज्य सभा में प्रस्तुत किया जाता है ।
- कोई भी वित्त विधेयक राष्ट्रपति की स्वीकृति लिये बिना लोक सभा में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है।
- आकस्मिकता निधि के नियंत्रण सम्बन्धी शाक्तियॉं- राष्ट्रपति संसद की पूर्व स्वीकृति के बिना इस निधि से धन व्यय की स्वीकृति प्रदान कर सकता है ।
- वित्त आयोग की नियुक्ति सम्बन्धी शक्तियां- वित्तीयं मामलों में परामर्श लेने के लिए वित्त आयोग की नियुक्ति करता है ।
- संसद द्वारा नियम न बनाये जाने की स्थिति में, राष्ट्रपति भारत की संचित – निधि सें धन निकालनें या जमा करने से सम्बन्धित नियम बना सकता है ।
4. राष्ट्रपति की न्याय संबंधी शक्तियां
5. राष्ट्रपति की संकट कालीन शक्तियां
44वें संविधान संशोधन के अनुसार राष्ट्रपति ऐसी संकटकालीन घोषणा केवल मंत्रीमण्डल की लिखित सिफारिश पर ही कर सकता है । ऐसी संकटकालीन घोषणा की पुष्टि संसद के दोनों के द्वारा एक मास के अंदर होना अनिवार्य है, नहीं तो वह घोषणा स्वंय समाप्त हो जाती है । संकटकालीन घोषणा के समय यदि लोकसभा भंग है अथवा उसका अधिवेशन नहीं चल रहा है तो इसकी पुष्टि राज्य सभा द्वारा एक महीने के अंदर होनी होती हैं तथा बाद मे लाके सभा द्वारा अधिवेशन शुरू होने के एक मास के अंदर हो जानी चाहिए।
राष्ट्रपति को पद से हटाने की प्रक्रिया
अनुच्छेद 56 और 61 के अंतर्गत राष्ट्रपति के विरूद्ध महाभियोग की प्रक्रिया का प्रावधान है। इस संबंध में, संविधान के अंतर्गत यह प्रावधान है कि यदि राष्ट्रपति ‘‘संविधान की अवहेलना’’ करता है तो यह प्रमुख कारण होगा उसके खिलाफ महाभियोग लाने का। महाभियोग की प्रक्रिया संसद के किसी भी सदन में शुरू की जा सकती है लेकिन इसे सदन के दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है। यदि दूसरा सदन भी दो-तिहाई के बहुमत से इसे पास कर दे तो राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग लगाया जाता है तथा उन्हें तुरंत अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ता है। इस प्रकार राष्ट्रपति को पद से हटाने की प्रक्रिया काफी जटिल है और संसद इसका दुरूपयोग भी नहीं कर सकती। अभी तक किसी भी राष्ट्रपति के विरूद्ध महाभियोग नहीं लाया गया है।
