अनुक्रम
परीक्षा का अर्थ
परीक्षा की परिभाषा
किसी क्षेत्र में छात्रों की उपलब्धि अथवा योग्यता की जाँच के लिए जो प्रक्रिया प्रयुक्त की जाती है, उसे परीक्षा कहते हैं ।
परीक्षा के प्रकार
वर्तमान समय में छात्रों की उपलब्धि ज्ञात करने के लिए मुख्यत: तीन परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है, जो कि हैं –
- लिखित परीक्षा ।
- प्रायोगिक परीक्षा ।
- मौखिक परीक्षा ।
1. लिखित परीक्षा
वर्तमान समय में सबसे ज्यादा प्रचलन लिखित परीक्षा प्रणाली का है । प्राथमिक, माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक स्तर एवं विश्वविद्यालय स्तर लिखित परीक्षाओं का प्रयोग किया जाता है ।
लिखित परीक्षा का स्वरूप
| विश्वविद्यालय स्तर (University Level) | विश्वविद्यालय स्तर (University Level) |
|---|---|
| अतिलघुत्तरीय स्तर 36 प्रतिशत | संख्यात्मक/समस्यात्मक कार्य 20 प्रतिशत |
| लघुत्तरीय स्तर 32 प्रतिशत | लघुउत्तरीय 60 प्रतिशत |
| दीर्घ उत्तरीय स्तर 32 प्रतिशत | दीर्घ उत्तरीय 20 प्रतिशत |
2. प्रायोगिक परीक्षा
प्रयोगात्मक परीक्षाएँ बी.ए., बी.एस.सी., एम.ए., एम.एस.सी. एवं बी.एड. आदि में सम्पन्न करायी जाती है । परीक्षार्थी को इन प्रायोगिक परीक्षाओं में बैठना एवं उत्तीर्ण होना अनिवार्य हैं ।
3. मौखिक परीक्षा
लिखित एवं प्रायोगिक परीक्षाओं के साथ साथ मौखिक परीक्षाओं का आयोजन बी.ए., बी.एस.सी., एम.एस.सी., बी.कॉम, एम.कॉम. एवं एम.एड. में होता है । अत: यह मौखिक परीक्षाओं में भी छात्रों को उत्तीर्ण होना आवश्यक होता हैं ।
परीक्षा और परीक्षण: निबंधात्मक परीक्षाएं
परीक्षा और परीक्षण को निम्नलिखित रूप में व्यक्त किया जा सकता है – परीक्षा मूल्यांकन की सबसे अधिक प्रचलित प्रविधि है । यूँ तो जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में और उसके प्रत्येक मोड़ पर हमारी परीक्षा होती है, परन्तु शिक्षा के क्षेत्र में परीक्षा का एक विशेष महत्व होता है । बच्चों की योग्यता, रूचि और रूझान का पता लगाने और यह देखने के लिए कि शिक्षा के परिणामस्वरूप बच्चों के व्यवहार (ज्ञानात्मक, क्रियात्मक और भावात्मक) में क्या परिवर्तन हुआ है । हम बच्चों से मौखिक अथवा लिखित रूप में कुछ ऐसे प्रश्न पूछते हैं और इन प्रश्नों के उत्तरों के आधार पर बच्चों की रूचि, रूझान, योग्यता और व्यवहार में होने वाले परिवर्तनों की जाँच करते हैं । कौशलों की जाँच करने के लिए हम बच्चों से कार्य करवाते हैं । इस विधि को परीक्षा (Examination) कहा जाता है ।
उदाहरण के लिए बुद्धि परीक्षा अथवा बुद्धि परीक्षण का एक ही अर्थ होता है । बात दरअसल यह है कि पाश्चात्य देशों में आज परीक्षा (Examination) शब्द परीक्षण (Testing) से बदल दिया गया है और अभी भी हमारे देश में इसे परीक्षा ही कहा जाता हैं, लेकिन लिखने में परीक्षा (Examination) और परीक्षण (Testing) दोनों शब्दों का प्रयोग किया जाने लगा हैं ।
परीक्षा और मापन
प्राय: लोग परीक्षा (Examination) और मापन (Measurement) को एक अर्थ में प्रयोग करते हैं, परन्तु यह अनुचित है । मापन (Measurement) मूल्यांकन (Evaluation) का एक आवश्यक अंग है और परीक्षा मापन की एक विधि हैं । बच्चों की रूचि, रूझान, योग्यता और व्यवहार में होने वाली परिवर्तनों का मापन केवल परीक्षा द्वारा ही नहीं होता, अपितु उनकी अनेक अन्य विधियाँ भी है, जैसे-अवलोकन (Observation), साक्षात्कार (Interview) और अभिलेख (Records) आदि । इन्हीं को हम मूल्यांकन की प्रविधियाँ (Evaluation Technique) कहते है । इस प्रकार मापन एक व्यापक शब्द है और परीक्षा उसकी अनेक विधियों में से एक विधि है । मापन मूल्यांकन का एक पद (Step) है और परीक्षा मापन की एक विधि ।
परीक्षा और मूल्यांकन
परीक्षा के संबंध में एक दूसरी भ्रान्ति उसे मूल्यांकन के स्थान पर प्रयोग करने में है। प्राय: लोग परीक्षा (Examination) और मूल्यांकन (Evaluation) को एक ही अर्थ में प्रयोग करते हैं । यह भी एक त्रुटिपूर्ण धारणा है । परीक्षा तो मूल्यांकन की एक प्रविधि है, स्वयं मूल्यांकन नहीं । परीक्षा द्वारा हम बच्चों की रुचि, रुझान और योग्यता का मापन करते हैं और शिक्षण द्वारा उनके व्यवहार में होने वाले परिवर्तनों की जाँच करते हैं, जबकि मूल्यांकन में हम इससे पहले शैक्षिक उद्देश्य निश्चित करते हैं और उनकी व्याख्या करते हैं और परीक्षा लेने के बाद उसके परिणामों की व्याख्या करते हैं और यह व्याख्या कुछ निश्चित मानदण्डों के आधार पर करते हैं ।