अनुक्रम
नेपोलियन बोनापार्ट ने अपने विजय अभियान से समस्त यूरोपीय मानचित्र को परिवर्तित कर दिया था। अत: नेपोलियन की विजयों से उत्पन्न राजनीतिक समस्याओं एवं परिवर्तनों का समाधान करने के लिए ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में एक कांग्रेस का आयोजन किया गया जिसे वियना कांग्रेस कहा जाता है। वियना कांग्रेस के निर्णयों को जारी रखने की दिशा में क्रमश: यूरोप की संयुक्त व्यवस्था एवं पवित्र मैत्रीसंघ की स्थापना की गई किन्तु ये व्यवस्थायें असफल रहीं।
इसी बीच यूरोप में 1830 ई. एवं 1848 ई. में कई देश में क्रांतियाँ हुई जिनके परिणाम दूरगामी सिद्ध हुए।
नेपोलियन का उत्थान
नेपोलियन का जन्म इस कार्सिका द्वीप के अजासियो नगर में एक साधारण वकील के घर हुआ था। सैनिक शिक्षा समाप्त करने के बाद नेपोलियन फ्रांसीसी सेना के तापे खाने में उप-लेिफ्टनेटं के पद पर नियुक्त हुआ। सन् 1792 में वह पेरिस में जेकोबिन दल का सदस्य बन गया। 28 अगस्त 1793 को अंग्रेजी जहाजी बेड़े ने फ्रांस पर आक्रमण करके तूलो बंदरगाह पर अधिकार कर लिया था पर इसी समय नेपोलियन ने तूलों पर आक्रमण करके अंगे्रजी सेना को खदेड़ दिया। नेपोलियन के जीवन की वह प्रथम महत्वपूर्ण विजय थी।
अक्टूबर 1799 तक फ्रासं में संचालक मण्डल का शासन उसके कुकृत्यों के कारण बदनाम हो चुका था। नेपोलियन ने इस स्थिति का लाभ उठाया और संचालक मंडल के एक सदस्य ऐबे सिये से मिलकर संचालक मंडल के शासन का अंत करने की गुप्त योजना बनायी और 10 नवम्बर 1799 को संचालक मंडल के शासन का अंत हो गया और अब फ्रांस के शासन की बागडोर 3 सदस्यों को को सौंपी गयी- नेपोलियन, एबे और ड्यूको।
नेपोलियन के प्रथम काउंसिल के रूप में किए गए कार्य – नेपोलियन के सुधार
1. नेपोलियन की प्रशासनिक व्यवस्था – नेपोलियन ने क्रांति के समय जो प्रशासनिक ढांचा और स्वरूप था, उसे बनाये रखा, पर स्थानीय अधिकारियों की निर्वाचन व्यवस्था का अंत कर दिया। 17 फरवरी 1800 ई. को स्थानीय प्रशासन संबंधी एक अधिनियम पारित किया गया। इसके अंतर्गत प्रत्येक प्रांत में एक प्रीफेक्ट और जिले में उप-प्रीफकेट नियुक्त किए गए। इस समय फ्रासं 102 प्रान्तों में विभक्त था। प्रत्येक में एक मयेर नियुक्त किया गया। इन अधिकारियों को पर्याप्त प्रशासकीय अधिकार दिये गये और वे केन्द्र में प्रथम सलाहकार द्वारा नियुक्त होते थे और उसी के प्रति उत्तरदायी थे। ये अधिकारी केन्द्रीय शासन की आज्ञाओं और नीतियों का पालन करते थे। शासन में फिजूलखर्ची और घूसखोरी के दोषी अधिकारियों के लिए कठोर दण्ड की व्यवस्था की गयी। फ्रांसीसियों ने अब अधिक कुशल, दृढ़ और व्यवस्थित शासन का अनुभव किया, इसलिए वे संतुष्ट थे।
- प्रत्येक कम्यून में प्राथमिक विद्यालय स्थापित किए गए, जो प्रीफेक्ट और उप-प्रीफेक्ट की देख-रेख में सचालित हाते थे
- माध्यमिक शालाएँ स्थापित की गयीं। उनमें लेटिन और फ्रांसीसी भाषा तथा विज्ञान की शिक्षा दी जाती थी।
- 1808 ई. में पेरिस में इम्पीरीयल विश्वविद्यालय स्थापित किया गया। इसका पाठ्यक्रम सरकार द्वारा निर्धारित किया गया। इसमें 5 विभाग थे- धर्मज्ञान, कानून, चिकित्सा, साहित्य और विज्ञान। इसके प्रमुख अधिकारियों की नियुक्ति नेपोलियन ने की।
नेपोलियन के यूरोपीय युद्ध (1805 ई.-1807 ई.)
1. फ्रांस के विरूद्ध तीसरे गुट का निर्माण – यूरोप में अन्य देशों पर नेपोलियन के आधिपत्य स्थापित करने के पय्र ासों को निष्फल करने के लिए यूरोप के मुख्य राज्यों ने 1805 ई. में नेपोलियन और फ्रांस के विरूद्ध तृतीय गुट बना लिया। इसका नेतृत्व इंग्लैण्ड ने किया। इस गुट में इंग्लैण्ड, आस्ट्रिया, रूस, स्वीडन आदि देश थे जबकि आस्ट्रिया के विरोधी दक्षिण जर्मनी के राज्यों ने इस गुट के विरूद्ध नेपोलियन का साथ दिया।
- रूस और फ्रांस में परस्पर प्रभाव क्षेत्र निर्दिश्ट हो गया। अपने प्रभाव के विस्तार के लिए रूस को पूर्वी क्षेत्र और फ्रांस को पश्चिमी क्षेत्र प्राप्त हुआ। रूस को फिनलैंड तथा तुर्की की ओर अपने राज्य के विस्तार के लिए छूट दी गयी।
- फ्रांस, रूस से क्षतिपूर्ति के लिए कोई धनराशि या प्रदेश नहीं लेगा।
- प्रशिया में एल्बा नदी के पश्चिमी क्षेत्र को अन्य जर्मन प्रदेशों से मिलाकर वेस्टफेलिया नामक नवीन राज्य निर्मित किया गया और नेपोलियन ने इस राज्य का शासक अपने भाई जेरोम बोनापार्ट को नियुक्त किया।
- पोलैण्ड ने प्रशिया के अधिकांश क्षेत्र को लेकर गे्रण्ड डची ऑफ वारसा नामक राज्य निर्मित किया गया और यहाँ सेक्सनी के ड्यूक को राजा की उपाधि देकर शासक बनाया गया।
- रूस के सम्राट जार एलेक्जेडं र ने नेपोलियन द्वारा नवनिर्मित राज्यों को मान्यता दे दी तथा नेपोलियन द्वारा जीते गये इटली, जमर्न ी और हालैण्ड के राज्यों को भी मान्यता दे दी।
- जार ने वचन दिया कि वह फ्रासं ओर इंग्लैण्ड में मध्यस्थ बनकर उनमें परस्पर मैत्रीपूर्ण संबध स्थापित करने में सहायता करेगा। यदि एक मास की अवधि में इंग्लैण्ड समझौता करने के लिए सहमत नहीं हो तो रूस फ्रांस के साथ मिलकर इंग्लैण्ड के विरूद्ध युद्ध करेगा।
- डेनमार्क, स्वीडन और पुर्तगाल पर भी इंग्लैण्ड के विरूद्ध युद्ध करने तथा उसके साथ व्यापारिक संबंध तोड़ने और इंग्लैण्ड की जल शक्ति के विनाश करने के लिए दबाव डाला जाएगा।
- नेपोलियन, तुर्की और रूस में परस्पर मतभेदों के निवारण में और समझौता कराने में सहायता देगा। यदि तुर्की, समझौते के लिए सहमत नहीं हुआ तो फ्रांस और रूस मिलकर तुर्की साम्राज्य को परस्पर बांट लेगे
टिलसिट की संधि के परिणाम और महत्व
- इस संधि से आस्ट्रिया और प्रशिया दोनों यूरोपीय राज्यों की शक्ति क्षीण हो गयी। प्रशिया से राइनलंडै और पाले ैण्ड के प्रदशे छीनकर उसका राज्य आधा कर दिया गया। अब वह यूरोप में तृतीय शक्ति बनकर रह गया। युद्ध की क्षतिपूर्ति के लिए भी उससे भारी धनराशि वसूल की गयी। इससे नेपोलियन के प्रति प्रशियावासियों का घोर असंतोश बढ़ा।
- टिलसिट की संधि के समय से फ्रांस के राज्य की सीमाओं का खूब विस्तार हुआ। यूरोप के छोटे-छोटे राज्य नेपोलियन की सत्ता और शक्ति से भयभीत हो गये। रूस जैसा शक्तिशाली देश भी नेपोलियन का मित्र बन गया। इंग्लैण्ड को छोड़कर यूरोप के सभी देश नेपोलियन की शक्ति का लोहा मानने लगे।
नेपोलियन की महाद्वीपीय व्यवस्था
महाद्वीपीय व्यवस्था से अभिप्राय
नेपोलियन ने 1807 ई. तक आस्ट्रिया, प्रशिया और रूस को परास्त कर दिया था। अब इंग्लैण्ड ही ॉोश रह गया था। ट्रफलगार के युद्ध में इंग्लैण्ड ने नेपोलियन की सेना को परास्त किया था। इससे नेपोलियन ने यह अनुभव कर लिया था कि इंग्लैण्ड को समुद्री युद्धों पर परास्त करना या उसकी सीमा पर आक्रमण करना असंभव है, इसलिए उसने इंग्लैण्ड के विरूद्ध एक विशिष्ट आर्थिक नीति अपनायी। इसे महाद्वीपीय व्यवस्था अथवा इंग्लैण्ड के विरूद्ध आर्थिक बहिश्कार कहते हं।ै इंग्लैण्ड की शक्ति और विकास का स्रोत विदेशी व्यापार था और इंग्लैण्ड का यह विदेशी व्यापार उसकी जल सेना के द्वारा होता था। इसलिए नेपोलियन इंग्लैण्ड के लिए यूरोप का व्यापार समाप्त करना चाहता था, वह यूरोप के सभी बंदरगाहों में इंग्लैण्ड के जहाजों का आना-जाना बंद कर देना चाहता था। इससे वह इंग्लैण्ड की आर्थिक व्यवस्था और खुशहाली को नष्ट कर देना चाहता था, जिससे इंग्लैण्ड नेपोलियन के सामने नत-मस्तक होकर उससे अपमानजनक समझौता कर ले। इस आर्थिक नाकेबंदी या बहिश्कार को ही महाद्वीपीय व्यवस्था कहते हैं।
महाद्वीपीय व्यवस्था की असफलता के कारण
- फ्रान्स के पास सशक्त जलसेना का अभाव
- विभिन्न यूरोप देशों की इंग्लैण्ड के जहाजों और माल पर निर्भरता
- इंग्लैण्ड को खाद्य साम्रगी की पूर्ति
- रोमन केथोलिकों का रोश
- इंग्लैण्ड के माल की तस्करी
- घातक और विनाशकारी युद्ध
नेपोलियन के पतन के कारण
नेपोलियन के पतन के लिए प्रमुख कारण मुख्य रूप से उत्तरदायी हैं –
- नेपालियन की असीम महत्वाकांक्षा
- नेपोलियन का अहम
- सैन्य शक्ति पर आधारित अस्थिर साम्राज्य
- केन्द्रीकृत तथा निरंकुश शासन
- महाद्वीपीय व्यवस्था
- पोप से झगड़ा
- विध्वंसकारी मास्को अभियान
- संबंधितों की कृतघ्नता
- राष्ट्रीयता की भावना
- यूरोपीय देशों की गुटबंदी
- इंग्लैण्ड की सुदृढ़ आर्थिक स्थिति
- इंग्लैण्ड की बलशाली जलसेना
- इंग्लैण्ड के कुशल राजनीतिक और सेनापति
- योग्य विरोधी नेता