दिल्ली सल्तनत के पतन के कारण
1. स्थायी सेना समाप्त करना – फिरोज शाह तुगलक ने स्थायी सेना समाप्त करके सामन्ती सेना का गठन किया । सैनिकों के वेतन समाप्त कर के ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि अनुदान दिया गया । अमीरों के भूमि वंशानुगत कर दिए गए थे उसी तरह सैनिकों की भूमि भी वंशानुगत कर दिया गया । सैनिक सुखी पूर्वक स्वच्छाचारिता पूर्ण कार्य करने लगा । उन्हें भूमि से बेदखल नहीं किया जा सकता था इसलिए उन्हें किसी का डर भी नहीं था । नियमित व निश्चित भूमिकर प्राप्त होने से सैनिक आलसी विलास प्रिय होने लगा । उसका अधिकांश समय लगान वसुली में लगता था। राज्य सुरक्षा के लिए समय नहीं बच पाता था । इस तरह शिथिल सैनिकों का लाभ विदेशियों ने उठाया
सुल्तान स्वयं इतिहास, धर्मशास्त्र, कानून जैसे साहित्यों पर रूचि रखते थे । प्रत्येक शुक्रवार को अपने दरबार में विद्वानों, कलाकारों, संगीतज्ञों का दरबार लगता था । हिन्दुओं के अतिरिक्त मुसलमानों को अधिक प्रिय समझते थे । इसलिए मुसलमानों की शिक्षा पर अधिक जोर दिया । सुल्तान ने अपनी मुस्लिम प्रजा की शिक्षा के लिए शालाएं और उच्च विद्यालय स्थापित किये । मस्जिदों में प्राथमिक शालाएं बनवायी प्राथमिक एवं उच्च शिक्षा मकतब एवं मदरसों की स्थापना की। इल्तुमिश ने भी दिल्ली में उच्च विद्यालय की स्थापना की ।
राज्य व प्रदेश सभी राजधानियों एवं शहरों में अनेक विद्यालयों की स्थापना की गई । जौनपुर शिक्षा के केन्द्र थे । बीदर में महाविद्यालय और पुस्तकालय की स्थापना की । मंगोल आक्रमणों से डर कर शिक्षा शास्त्रियों एवं विद्वानों ने दिल्ली में शरण लेकर प्राण बचाये । दिल्ली में रहने के कारण साहित्यों का अधिक विकास हुआ।
तैमूर का आक्रमण
प्रारम्भिक आक्रमण – तैमूर ने शीघ्र ही ट्रासं अक्सि माना, तुकीर्स्तान, अफगानिस्तान, पर्शिया, सीरिया, तुर्किस्तान एशिया माइनर का कुछ भाग बगदाद, जार्जिया, खारिज्म, मेसोपोटामिया आदि जीत लिया इसके पश्चात उनहोंने आक्रमण किया । भारत पर आक्रमण निम्न कारणों से किया था –
- धन प्राप्त करना – तैमूर का उद्देश्य भारत पर आक्रमण करके लुट मार करना व धन की प्राप्ति करना था । यहां की शांति प्रिय क्षेत्रों पर कब्जा करना व धन प्राप्ति करना था ।
- शिया व गैर मुस्लिम धर्माविलम्बियों को समाप्त कर काफिरों व गद्दारों को डरा धमका कर मुस्लिम धर्म मानने के लिए बाध्य करना ।
- अति महत्वकांक्षी व्यक्ति – तैमूर अति महत्वाकांक्षी व्यक्ति था जिसके कारण बहुदेव वाद व अन्ध विश्वास का े समाप्त करके ईश्वर का समथर्क एव सैि नक बनकर गाजी मुजाहिर कायद प्राप्त करना चाहते थे ।
तैमरू के आक्रमण का सामना – तात्कालिक शासक नासिरूद्दीन महमूद नहीं कर पाया और दिल्ली पर तैमूर का आक्रमण हो गए । तैमूर आक्रमण के दौरान मार्ग में लुटपाट करते हुए दिल्ली की ओर आने लगा, लोगों की हत्या आम बात हो गई । तैमूर पादन, दीपालपुर, भटनेर, सिरसा, कैथल पानीपत होता हुआ उन्हें लुटता तथा काण्ड करना हुआ ।
1398 ई. को दिल्ली पहुचा। तैमूर के आक्रमण ने तुगलक वंश और दिल्ली सल्तनत दोनों लिए घातक बना । अकेले दिल्ली में ही लाखों लागों को बन्दी बनाए गये । व हिन्दुओं का कत्लेआम किया गया । तैमूरलंग की सेना और महमूद शाह की सेना के मध्य 17 दिसम्बर 1398 ई. को युद्ध हुआ। तैमूर आक्रमण होते ही तैमूर के प्रतिनिधि और मुल्तान के शासक ने पंजाब में अधिकार कर लिया, तुगलक वंश के समाप्त होते ही खिज्र खां पूरे दिल्ली पर अधिकार कर लिया और शासक बन गया।
- महाविनाश – तैमूर के आक्रमण ने दिल्ली, राजस्थान एवं उत्तर पश्चिमी सीमा पा्र न्त पूर्णत: उजाड़ दिया । फसलें नष्ट हो गई, व्यापार चौपट हो गया । हजारों व्यक्तियों के कत्लेआम के परिणामस्वरूप अकाल पड़ा । महामारी फैल गई । शवों के सड़ने से जल एवं हवाएं प्रदूषित हो गई ।
- सल्तनत की सीमा में कमी – प्रधानमंत्री मल्लू ने 1401 ई. में सुल्तान महमदू को दिल्ली बुलाया मल्लू 1405 ई. में खिज्र खां के साथ युद्ध में माया गया । सल्तनत की सीमा संकुचित हो गई ।
- प्रादेशिक राज्योंं की स्थापना- तैमूर के आक्रमण के बाद तुगलक साम्राज्य का विभाजन प्रारम्भ हो गया । पंजाब, गुजरात, मालवा, ग्वालियर, समाना, काल्पी, महोबा, खान देश, बंगाल आदि स्वतंत्र राज्यों की स्थापना हो गई ।
- इस्लामी संस्कृति का प्रसार- जिन राज्यों में मुस्लिम शासन सत्ता की स्थापना हुई उनमें मुस्लिम सभ्यता एवं संस्कृति का विकास हुआ ।
- पंजाब में अव्यवस्था – तैमूर के वंशजों ने पंजाब पर अपने अधिकार को नहीं भुलाया। फलत: अशान्ति एवं अव्यवस्था पंजाब में बनी रही ।
- साम्प्रदायिक वैमनस्य की भावना – तैमूर के आक्रमण ने कत्लेआम के द्वारा हृदय विदारक स्थिति उत्पन्न कर दी फलत: हिन्दुओं एवं मुसलमानों में वैमनस्य बढ़ा ।
- भारतीय कला का विस्तार – तैमरू कलाकारों को बन्दी बनाकर समरकन्द ले लगा। उन कलाकारों ने मस्जिदें तथा भवनों का निर्माण कर भारतीय कला का विस्तार किया । इस प्रकार उपर्युक्त विवेचन से तुगलक वंश के विकास एवं पतन तथा तैमूर लंग के भारतीय आक्रमण के संबधं में संक्षेप में जानकारी मिलती है ।
- प्रान्तीय राज्यों की स्वतंत्रता- केन्द्रीय सत्ता के टुटते ही गुजरात हाकिम जफर खां, जौनपुर के मलिक सरवर, मालवा के दिशाबर खां ने दिल्ली से संबंध विच्छेद कर लिए और स्वतंत्र राजवंशों की स्थापना की ।
- तैमूर के आक्रमण से राजकोष खाली हो गया । स्थानीय राज्यों ने नजराना देना बंद कर दिया, सल्तनत में अकाल और महामारी फैली ।
तैमूर के आक्रमण ने दिल्ली सल्तनत के विघटन प्रक्रिया को तेज कर दिया । जनता का सल्तनत से विश्वास उठ गया । प्रान्तीय हाकिम शासकों ने दिल्ली सल्तनत की अधिनता त्याग दिया । तैमूर लंग दिल्ली की अपार संपदा लूट कर दिल्ली को लंगड़ बना दिया ।
