अनुक्रम
कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948 कुछ महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ
समुचित सरकार- केन्द्रीय सरकार या रेलवे-प्रशासन के नियंत्रण में प्रतिष्ठानों, महापत्तनों, खानों या तेलक्षेत्रों के संबंध में समुचित सरकार केन्द्रीय सरकार तथा सभी प्रतिष्ठानों के संबंध में समुचित सरकार राज्य सरकार है।
- जो कारखाने या प्रतिष्ठान के किसी काम पर या उससे आनुशंगिक, प्रारंभिक या संबद्ध किसी काम पर प्रधान नियोजक द्वारा प्रत्यक्ष रूप से नियोजित है, चाहे वह काम कारखाने या स्थापन में या अत्यन्त किया जाता हो, या
- जो किसी असन्न नियोजक के द्वारा या उसके माध्यम से किसी कारखाने या स्थापन में प्रधान नियोजक या उसके अभिकर्ता के पर्यवेक्षण में ऐसे काम पर नियोजित है, जो सामान्यत: उस कारखाने या स्थापन का एक भाग है या उसमें चलाए जाने वाले काम के लिए प्रारंभिक या आनुशंगिक है, या
- जिनकी सेवाएं प्रधान नियोजक को संविदा करने वाले किसी अन्य नियोजक द्वारा भाड़े पर या अन्य प्रकार से दी गई।
‘कर्मचारी’ की परिभाषा में ऐसे व्यक्ति भी शामिल है, जो कारखाने या स्थापन या उसके किसी भाग, विभाग या शाखा के प्रशासन, कच्चे माल के क्रय, उत्पादित वस्तुओं के वितरण या विकास से संबद्ध किसी कार्य पर मजदूरी के लिए नियोजित हो या जो शिक्षु अधिनियम, 1961 या स्थापन के स्थायी आदेशों के अधीन रखे गए शिक्षु को छोड़कर अन्य प्रकार से शिक्षु के रूप में रखे गए हो। ‘कर्मचारी’ की परिभाषा के अंतर्गत निम्नलिखित शामिल नहीं होते –
- भारतीय जलसेना, स्थलसेना या वायुसेना के सदस्य;
- इस तरह नियोजित कोई भी व्यक्ति जिसकी मासिक मजदूरी (अतिकाल के लिए मजदूरी को छोड़कर) केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित मजदूरी से अधिक हो। पहले यह विहित मजदूरी 1600 रुपये और बाद में 3000 रुपये प्रतिमाह थी, लेकिन जनवरी, 1997 में इसे बढ़ाकर 6500 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया। 6500 रु0 की मासिक मजदूरी सीमा आज भी लागू है। लेकिन, अगर कर्मचारी की मासिक मजदूरी केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित मजदूरी से किसी अंशदान-अवधि के प्रारंभ होने के बाद किसी भी समय बढ़ जाती हो, तो वह उस अवधि की समाप्ति तक अधिनियम के अधीन कर्मचारी समझा जाएगा;
- ऐसे नियोजित व्यक्ति, जिनकी कुल मजदूरी (अतिकाल के लिए पारिश्रमिक को छोड़कर) केन्द्रीय सरकार द्वारा निर्धारित मजदूरी से अधिक हो।
मजदूरी – ‘मजदूरी’ का अभिप्राय ऐसे पारिश्रमिक से है, जो नियोजन की सेवा की अभिव्यक्त या विवक्षित शर्तो को पूरा किए जाने पर कर्मचारी को नकद दिया गया हो, या देय हो। मजदूरी के अंतर्गत अधिकृत छुट्टी की अवधि, तालाबंदी, वैध हड़ताल या कामबंदी या जबरी छुट्टी से संबंद्ध कर्मचारी को ऐसा संदाय या अन्य अतिरिक्त पारिश्रमिक जिसका भुगतान अधिकतम दो महीनों के अंतरालों पर किया जाता है, सम्मिलित होता है, लेकिन निम्नलिखित शामिल नही होते –
- इस अधिनियम के अंतर्गत नियोजक द्वारा किसी पेंषन-निधि या भविष्य-निधि में दिया गया अंशदान;
- यात्रा-भत्ता या यात्रा-रियायत का मूल्य;
- नियोजित व्यक्ति को उसके नियोजन की प्रकृति के कारण उसपर पड़े विशेष व्यय को चुकाने के लिए दी गई धनराशि; या
- सेवोन्मुक्ति पर देय उपादान।
कारखाना – कारखाना अपनी प्रसीमाओं सहित ऐसा परिसर है, जिसमें (1) दस या अधिक व्यक्ति काम कर रहे है या पिछले बारह महीने के किसी दिन काम कर रहे थे और जिसके किसी भी भाग में विनिर्माण प्रक्रिया शक्ति की सहायता से चलाई जा रही हो या आम तौर पर चलाई जाती हो या (2) जिसमें बीस या अधिक व्यक्ति काम कर रहे है या पिछले बारह महीने के किसी दिन काम कर रहे थे, और जिसके किसी भाग में विनिर्माण-प्रक्रिया शक्ति की सहायता के बिना चलाई जा रही हो या आम तौर से ऐसे चलाई जाती हो, लेकिन इसके अंतर्गत खान अधिनियम, 1952 के दायरे में आने वाले खान या रेलवे रनिंग शेड सम्मिलित नहीं होता।
- किसी कारखाने के संबंध में कारखाने का स्वामी या अधिश्ठाता, तथा इसमें ऐसे स्वामी या अधिश्ठाता का प्रंबध अभिकर्ता, मृत स्वामी या अधिश्ठाता का विधिक प्रतिनिधि तथा कारखाना अधिनियम, 1948 के अंतर्गत नामित प्रबंधक भी शामिल है;
- भारत सरकार के किसी विभाग के नियंत्रण के अधीन किसी स्थापन के संबंध में, वह प्राधिकारी जिसे ऐसी सरकार ने नियुक्त किया है, तथा जहाँ इस तरह का प्राधिकारी नियुक्त नहीं है, वहाँ विभागाध्यक्ष, तथा
- किसी अन्य स्थापन के संबंध में स्थापन के पर्यवेक्षण और नियंत्रण के लिए दायी व्यक्ति।
कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948 अन्य की परिभाषाएं-
अधिनियम के अधीन ‘आश्रित’, ‘आंशिक अशक्तता’ तथा ‘पूर्ण अशक्तता’ की परिभाषाएँ उसी तरह है, जिस तरह कर्मकार क्षतिपूर्ति अधिनियम के अधीन दी गई है।
अंशदान
1. सभी कर्मचारियों का बीमित होना- अधिनियम के उपबंधों के दायरे में आने वाले कारखानों या स्थापनों के सभी कर्मचारियों के लिए विहित ढंग से बीमित होना आवश्यक है।
हितलाभ – अधिनियम के अंतर्गत हितलाभ उपलब्ध हैं –
- बीमारी-हितलाभ
- प्रसूति-हितलाभ
- अंशक्तता-हितलाभ
- आश्रित-हितलाभ
- चिकित्सा-हितलाभ
- अंत्येश्टि व्यय
- बेरोजगारी भत्ता
उपर्युक्त हितलाभों में चिकित्सा-हितलाभ को छोड़कर अन्य सभी हितलाभ नकद दिए जाते हैं। बीमारी-हितलाभ, प्रसूति-हितलाभ और चिकित्सा-हितलाभ के लिए निर्धारित अवधि तक अंशदान दे चुकने की शर्त पूरी करना आवश्यक है, लेकिन अंशक्तता-हितलाभ, आश्रित-हितलाभ तथा अंत्येश्टि खर्च के लिए अंशदान दे चुकना जरूरी नहीं है। तालिका कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 के अधीन विभिन्न मजदूरी-समूहों के लिए दैनिक मानक हितलाभ-दर
| क्र.संख्या | औसत दैनिक मजदूरी | तत्संबंधी दैनिक हितलाभ दर |
|---|---|---|
| 1 | 28 रु0 से कम | 14 रु0 |
| 2 | 28 रु0 एवं अधिक परन्तु 32 रु0 से कम | 16 रु0 |
| 3 | 32 रु0 एवं अधिक परन्तु 36 रु0 से कम | 18 रु0 |
| 4 | 36 रु0 एवं अधिक परन्तु 40 रु0 से कम | 20 रु0 |
| 5 | 40 रु0 एवं अधिक परन्तु 48 रु0 से कम | 24 रु0 |
| 6 | 48 रु0 एवं अधिक परन्तु 56 रु0 से कम | 28 रु0 |
| 7 | 56 रु0 एवं अधिक परन्तु 60 रु0 से कम | 30 रु0 |
| 8 | 60 रु0 एवं अधिक परन्तु 64 रु0 से कम | 32 रु0 |
| 9 | 64 रु0 एवं अधिक परन्तु 72 रु0 से कम | 36 रु0 |
| 10 | 72 रु0 एवं अधिक परन्तु 76 रु0 से कम | 38 रु0 |
| 11 | 76 रु0 एवं अधिक परन्तु 80 रु0 से कम | 40 रु0 |
| 12 | 80 रु0 एवं अधिक परन्तु 88 रु0 से कम | 44 रु0 |
| 13 | 88 रु0 एवं अधिक परन्तु 96 रु0 से कम | 48 रु0 |
| 14 | 96 रु0 एवं अधिक परन्तु 106 रु0 से कम | 53 रु0 |
| 15 | 106 रु0 एवं अधिक परन्तु 116 रु0 से कम | 58 रु0 |
| 16 | 116 रु0 एवं अधिक परन्तु 126 रु0 से कम | 63 रु0 |
| 17 | 126 रु0 एवं अधिक परन्तु 136 रु0 से कम | 68 रु0 |
| 18 | 136 रु0 एवं अधिक परन्तु 146 रु0 से कम | 73 रु0 |
| 19 | 146 रु0 एवं अधिक परन्तु 156 रु0 से कम | 78 रु0 |
| 20 | 156 रु0 एवं अधिक परन्तु 166 रु0 से कम | 83 रु0 |
| 21 | 166 रु0 एवं अधिक परन्तु 176 रु0 से कम | 88 रु0 |
| 22 | 176 रु0 एवं अधिक परन्तु 186 रु0 से कम | 93 रु0 |
| 23 | 186 रु0 एवं अधिक परन्तु 196 रु0 से कम | 98 रु0 |
| 24 | 196 रु0 एवं अधिक परन्तु 206 रु0 से कम | 103 रु0 |
| 25 | 206 रु0 एवं अधिक परन्तु 216 रु0 से कम | 108 रु0 |
| 26 | 216 रु0 एवं अधिक परन्तु 226 रु0 से कम | 113 रु0 |
| 27 | 226 रु0 एवं अधिक परन्तु 236 रु0 से कम | 118 रु0 |
| 28 | 236 रु0 एवं अधिक परन्तु 250 रु0 से कम | 125 रु0 |
| 29 | 250 रु0 एवं अधिक परन्तु 260 रु0 से कम | 130 रु0 |
| 30 | 260 रु0 एवं अधिक परन्तु 270 रु0 से कम | 135 रु0 |
| 31 | 270 रु0 एवं अधिक परन्तु 280 रु0 से कम | 140 रु0 |
| 32 | 280 रु0 एवं अधिक परन्तु 290 रु0 से कम | 145 रु0 |
| 33 | 290 रु0 एवं अधिक परन्तु 300 रु0 से कम | 150 रु0 |
| 34 | 300 रु0 एवं अधिक परन्तु 310 रु0 से कम | 155 रु0 |
| 35 | 310 रु0 एवं अधिक परन्तु 320 रु0 से कम | 160 रु0 |
| 36 | 320 रु0 एवं अधिक परन्तु 330 रु0 से कम | 165 रु0 |
| 37 | 330 रु0 एवं अधिक परन्तु 340 रु0 से कम | 170 रु0 |
| 38 | 340 रु0 एवं अधिक परन्तु 350 रु0 से कम | 175 रु0 |
| 39 | 350 रु0 एवं अधिक परन्तु 360 रु0 से कम | 180 रु0 |
| 40 | 360 रु0 एवं अधिक परन्तु 370 रु0 से कम | 185 रु0 |
| 41 | 370 रु0 एवं अधिक परन्तु 380 रु0 से कम | 190 रु0 |
| 42 | 380 रु0 एवं अधिक | 195 रु0 |
‘अथवा पूर्ण औसत मजदूरी, जो भी कम हो। 1989 के पहले विभिन्न हितलाभों के लिए योग्यता की शर्ते, उनकी दरें, उनकी उपलभ्यता की अवधि आदि अधिनियम में ही निर्धारित थीं, लेकिन 1989 के संशोधन के अनुसार इन सभी के निर्धारण की शक्ति केन्द्रीय सरकार को दी गई। केन्द्रीय सरकार द्वारा नियत की गई विभिन्न मजदूरी-श्रेणियों के लिए वर्तमान दैनिक मानक हितलाभ-दरें तालिका में उल्लिखित है। अधिनियम के अंतर्गत उपलब्ध विभिन्न हितलाभों की प्रकृति, हितलाभ की दरों और अवधियों तथा उनके लिए योग्यता की शर्तो की विवेचना है।
- अंशदायनी शर्ते- किसी हितलाभ-अवधि में बीमारी हितलाभ की पात्रता के लिए बीमाकृत कर्मचारी द्वारा तदनुरूपी अंशदान अवधि में न्यूनतम 78 दिनों के लिए अंशदान दे चुकना आवश्यक है। नए नियुक्त कर्मचारी के लिए, जिसकी अंशदान अवधि 156 दिनों में कम है, बीमारी-हितलाभ की पात्रता के लिए ऐसी अंशदान-अवधि में न्यूनतम उपलब्ध काम के दिनों के आधे के लिए अंशदान दे चुकना जरूरी है।
- बीमारी-हितलाभ की दर- बीमारी हितलाभ बीमाकृत कर्मचारी की मजदूरी से सुसंगत दैनिक मानक हितलाभ दर से दिया जाता है। दिसम्बर 2006 में निगम द्वारा इसे बढ़ाकर मानक हितलाभ दर से 20 प्रतिशत अधिक करने का निर्णय किया गया है।
- बीमारी-हितलाभ की अवधि- बीमारी हितलाभ किन्हीं दो लगातार हितलाभ-अवधियों, अर्थात एक वर्ष में अधिकतम 91 दिनों के लिए देय होता है।
- बीमारी-हितलाभ प्राप्त करने वालों के लिए शर्तो का पालन- बीमारी-हितलाभ पाने वालों के लिए निम्नलिखित शर्तो का पालन करना आवश्यक है –
- अधिनियम के अधीन स्थापित अस्पताल, औशधालय, क्लिनिक या अन्य संस्था या चिकित्सकीय उपचार के लिए रहना तथा चिकित्सा-अधिकारी या चिकित्सा-परिचारक द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना;
- उपचार की अवधि में ऐसा कोई काम नहीं करना, जिससे स्वास्थ्य-लाभ में बाधा पहुंचे;
- चिकित्सा-अधिकारी, चिकित्सा-परिचारक या अन्य अधिकृत प्राधिकारी की अनुमति के बिना उस क्षेत्र को नहीं छोड़ना, जहाँ उपचार चल रहा हो; तथा
- कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा नियुक्त चिकित्सा-अधिकारी या अन्य अधिकृत व्यक्ति द्वारा परीक्षा के लिए तैयार रहना।
- बीमारी-हितलाभ देय नहीं होने की दशाएं- निम्नलिखित दशाओं में बीमारी-हितलाभ देय नही होता –
- हड़ताल पर हो, जिसके लिए उसे मजदूरी मिलती है। धारा 63, लेकिन, हड़ताल के दिनों के लिए उसे बीमारी-हितलाभ मिल सकता है अगर 1. वह निगम के अस्पताल या अन्य मान्यता प्राप्त किसी अस्पताल मं उपचार के लिए भरती हो या अंतरंग रोगी के रूप में उपस्थित रहा हो, या 2. वह किसी निर्दिष्ट बीमारी के लिए विस्तारित बीमारी हितलाभ प्राप्त करने का अधिकारी हो, या 3. हड़ताल आरंभ होने के शीघ्र पहले बीमारी-हितलाभ प्राप्त कर रहा हो।
- बीमारी-हितलाभ आरंभिक 2 दिनों की प्रतीक्षा अवधि के लिए भी सामान्यत: नहीं दिया जाता। लेकिन, अगर बीमाकृत कर्मचारी को पिछले बीमारी दौर से 15 दिनों के अंदर पुन: बीमार प्रमाणित किया जाता है जिसके लिए बीमारी-हितलाभ का भुगतान किया गया था, तो वह 2 दिनों की प्रतीक्षा अवधि के लिए भी भुगतान का अधिकारी हो जाता है।
वर्धित बीमारी-हितलाभ- वर्धित बीमारी-हितलाभ परिवार कल्याण के लिए नसबंदी या नलबंदी ऑपरेशन कराने के लिए दिया जाता है। इस हितलाभ के लिए भी अंशदायनी शर्ते वे ही है जो बीमारी हितलाभ के लिए है। वर्धित बीमारी-हितलाभ की दैनिक दर मानक हितलाभ दर की दुगुनी है। नसबंदी के लिए वर्धित हितलाभ 7 दिनों के लिए तथा नलबंदी के लिए 14 दिनों के लिए देय होता है। ऑपरेशन के बाद जटिलताएं होने या बीमार पड़ जाने की स्थिति में उपर्युक्त अवधियाँ बढ़ाई जा सकती है।
- अस्थायी अशक्तता के लिए हितलाभ पूर्ण दर से 3 दिनां के प्रतीक्षा काल के बाद अशक्तता की अवधि तक दिया जाता है।
- स्थायी आंशिक अशक्तता के लिए हितलाभ पूर्ण दर कावह प्रतिशत होता है, जिस प्रतिशत से दुर्घटना के फलस्वरूप कर्मचारी की अर्जन-शक्ति की हानि हुई हो। विभिन्न प्रकार की स्थायी आंशिक अशक्तताओं की सूची अधिनियम की दूसरी अनुसूची में दी गई है। जहाँ एक ही दुर्घटना के कारण कई प्रकार की स्थायी आंशिक अशक्तताएं एक साथ होती है, तो उन्हें जोड़ दिया जाता है, लेकिन किसी भी स्थिति में स्थायी आंशिक अशक्तता के लिए हितलाभ पूर्ण दर से अधिक नहीं हो सकता। स्थायी आंशिक अशक्तता के लिए हितलाभ जीवन भर मिलता है।
- स्थायी पूर्ण अशक्तता के लिए हितलाभ पूर्ण दर से जीवन पर्वत मिलता है। विभिन्न प्रकार की अस्थायी तथा स्थायी अशक्तताओं के लिए हितलाभों की दरें, उनकी अवधि तथा उनको देने के लिए शर्ते निर्धारित करने की शक्ति केन्द्र सरकार को प्राप्त है। अशक्तता हितलाभ पाने वालों के लिए भी उन्हीं शर्तो का पालन करना आवश्यक है, जो बीमारी-हितलाभ पाने वालों के साथ लागू है।
- अशक्तता-हितलाभ के संबद्ध कुछ अन्य उपबंध 1. इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए नियोजन के दौरान होने वाली दुर्घटना को साधारणत: नियोजन से उत्पन्न भी समझा जाता है। 2. अगर कोई दुर्घटना किसी कानून के उपबंधों या नियोजक द्वारा दिए गए निर्देशों के उल्लंघन या उसके अपने मन से काम करने के कारण हुई हो, तो उसे भी नियोजन के दौरान और नियोजन से उत्पन्न समझा जाएगा, बशर्ते कि वह दुर्घटना अन्यथा नियोजन के दौरान और उससे उत्पन्न हो तथा कर्मकार नियोजक के व्यापार या व्यवसाय के लिए काम कर रहा हो। 3. अगर बीमाकृत कर्मकार नियोजक के अभिव्यक्त या विवक्षित आदेश के अनुसार अपने काम पर आने तथा वहां से जाने के लिए किसी वाहन के प्रयोग करते समय दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है, तो उसे भी नियोजन के दौरान और नियोजन से 180 उत्पन्न समझा जाएगा, यदि (क) दुर्घटना अन्यथा नियोजन के दौरान और उससे उत्पन्न हो तथा (ख) दुर्घटना के समय वाहन नियोजक या उसके द्वारा अधिकृत किसी व्यक्ति द्वारा या उसके बदले में चलाया जा रहा हो और (ग) वह सामान्य सार्वजनिक यातायात के रूप में नहीं चलाया जा रहा हो। 4. अगर दुर्घटना नियोजक के परिसर में या उसके समीप आपातकालीन स्थिति में किसी व्यक्ति या संपत्ति की रक्षा करने के सिलसिले में होती है, तो उसे भी नियोजन के दौरान और नियोजन से उत्पन्न समझा जाएगा।
- अशक्तता से संबद्ध प्रश्नों का निर्धारण- किसी दुर्घटना के फलस्वरूप स्थायी अशक्तता के होने या नहीं होने, अर्जन-क्षमता की क्षति की मात्रा आदि का निर्धारण विनियमों के अधीन नियुक्त चिकित्सा-बोर्ड द्वारा किया जाएगा। अगर कोई बीमाकृत व्यक्ति चिकित्सा-बोर्ड के निर्णय से संतुश्ठ नहीं है, तो वह चिकित्सा-अपील-अधिकरण या सीधे कर्मचारी, बीमा न्यायालय के पास अपील कर सकता है, लेकिन अगर बीमाकृत व्यक्ति ने चिकित्सा बोर्ड के निर्णय के आधार पर अशक्तता हितलाभ के रूपान्तरण के लिए आवेदन दिया हो तथा ऐसे हितलाभ का रूपान्तरित मूल्य प्राप्त कर लिया हो, तो चिकित्सा अपील अधिकरण या कर्मचारी-बीमा-न्यायालय के पास अपील नहीं की जा सकती। अशक्तता-हितलाभ से संबद्ध निर्णयों को समय-समय पुनर्विलोकित किया जा सकता है।
- मृत कर्मकार की विधवा को आश्रित-हितलाभ जीवनभर या उसके फिर से विवाहित होने तक पूर्ण दर के 3/5 भाग की दर से दिया जाता है। मृत कर्मकार की दो या अधिक विधवाएं होने पर हितलाभ उनके बीच बराबर-बराबर बांट दिया जाएगा।
- मृत कर्मकार के प्रत्येक धर्मज या दत्तक पुत्र को आश्रित-हितलाभ उसके 18 वर्ष के होने तक पूर्ण दर के 2/3 भाग की दर से दिया जाता है। धर्मज पुत्र के अपंग होने की स्थिति में आश्रित-हितलाभ उसकी अपंगता तक देय होता है।
- मृत कर्मकार की धर्मजा या दत्तक पुत्री को आश्रित-हितलाभ उसके 18 वर्ष के होने या विवाह होने तक, जो भी पहले हो, पूर्ण दर के 2/5 भाग की दर से दिया जाता है। अपंग पुत्री को आश्रित-हितलाभ उसकी अपंगता की अवधि तक देय होता है।
अगर विभिन्न आश्रितों को देय आश्रित-हितलाभ पूर्ण दर से अधिक हो जाता है, तो उन्हें देय हितलाभ को इस तरह बांट दिया जाएगा कि आश्रित हितलाभ कुल मिलाकर पूर्ण दर से अधिक नही हो। अगर मृत कर्मकार को कोई विधवा पत्नी या धर्मज या दत्तक संतान नही है, तो आश्रित-हितलाभ को आश्रितों के बीच बांट दिया जाएगा – 1. माता-पिता या पितामह-पितामही को आश्रित-हितलाभ पूर्ण दर के 3/10 भाग की दर से उसके जीवन भर दिया जाएगा। उनकी संख्या एक से अधिक होने पर हितलाभ को उनके बीच बराबर-बराबर बांट दिया जाएगा। 2. अन्य पुरुष आश्रित को आश्रित-हितलाभ पूर्ण दर 2/10 भाग की दर से उसके 18 वर्ष होने तक दिया जाएगा। 3. अन्य स्त्री आश्रिता को आश्रित-हितलाभ पूर्ण दर क 2/10 भाग की दर से उसके 18 वर्ष के होने या उसके विवाहित हो जाने तक, जो भी पहले ही दिया जाएगा।
- चिकित्सा-हितलाभ का पैमाना- बीमाकृत कर्मचारियों तथा उनके परिवार के सदस्यों को चिकित्सा-हितलाभ राज्य सरकार या कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा निर्धारित प्रकार या पैमाने के अनुसार उपलब्ध होगा। बीमाकृत कर्मचारी या उनके परिवार के सदस्य विनियमों के अधीन व्यवस्थित अस्पतालों, औशधालयों, क्लिनिकों या अन्य संस्थाओं में उपलब्ध चिकित्सकीय उपचार को छोड़कर अन्य प्रकार की सुविधा के हकदार नहीं होते। विनियमों के प्रावधानों को छोड़कर अन्य प्रकार से कर्मचारी राज्य बीमा निगम के पास चिकित्सा पर होने वाले खर्च की प्रतिपूर्ति का दावा नहीं किया जा सकता।
- राज्य सरकार द्वारा चिकित्सकीय उपचार की व्यवस्था- अधिनियम के अंतर्गत चिकित्सकीय सेवाओं की व्यवस्था करना राज्य सरकार का दायित्व है। राज्य सरकार निगम की स्वीकृति से निजी चिकित्सकीय व्यवसायियों के क्लिनिक में भी कर्मचारियों के चिकित्सकीय उपचार की व्यवस्था कर सकती है। ज्हाँ चिकित्सा-हितलाभ पर होने वाला व्यय अखिल भारतीय औसत से अधिक है, तो व्यय की अतिरिक्त राशि का भार निगम तथा राज्य सरकार के बीच समझौते द्वारा नियत किए गए अनुपात में राज्य सरकार को वहन करना पड़ता है। निगम राज्य सरकार पर पड़े भार को छोड़ भी सकता है। कर्मचारी राज्य बीमा निगम राज्य सरकार के साथ चिकित्सकीय उपचार की प्रकृति और मात्रा के बारे में भी समझौता कर सकता है। अगर इस संबंध में दोनों के बीच कोई समझौता नहीं हुआ हो, तो उसके दायित्वों का निर्धारण विवाचक द्वारा होगा। विवाचक के लिए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रह चुकने या रहने की योग्यता रखना आवश्यक है। विवाचक की नियुक्ति उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा होती है।
- कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा अस्पताल आदि की स्थापना- निगम स्वयं भी चिकित्सकीय हितलाभ का दायित्व ले सकता है और व्यय के भार को वहन करने के संबंध में राज्य सरकार से समझौता कर सकता है।
- कारखाना/स्थापन की बंदी, छँटनी या गैर-रोजगार चोट से उत्पन्न अशक्तता की तिथि को कर्मचारी का अधिनियम के अधीन बीमाकृत रह चुकना आवश्यक है।
- रोजगार की हानि के पूर्ववर्ती 5 वर्षो की अवधि के लिए उसके द्वारा अधिनियम के अधीन अंशदान दे चुका गया हो।
- बीमाकृत व्यक्ति बेरोजगारी की तिथि से शीघ्र पहले की चार अंशदान-अवधियों की तदनुरूपी हितलाभ-अवधियों में बीमारी-हितलाभ का हकदार रह चुका हो।
- बेरोजगारी भत्ता उस दिन देय नहीं होगा जिस दिन उसे अन्यत्र रोजगार मिल जाता है। 5. 1 अप्रैल, 2005 को अथवा उसके बाद बेरोजगार बीमाकृत व्यक्ति ही बेरोजगारी भत्ता का हकदार हो सकता है।
बेरोजगारी-भत्ता की दर, अवधि और भुगतान-
- बेरोजगारी भत्ता की दैनिक दर बेरोजगारी की तिथि से पूर्ववर्ती पिछली चार अंशदान-अवधियों के दौरान बीमाकृत व्यक्ति की औसत दैनिक मजदूरी के तदनुरूपी ‘मानक हितलाभ दर’ है।
- बेरोजगारी-भत्ता कर्मचारी के संपूर्ण बीमा-योग्य नियोजन के दौरान अधिकतम 6 महीने के लिए देय होता है।
- बेरोजगारी-भत्ता का भुगतान एक दौर से या विभिन्न दौरों में किया जा सकता है, बशर्ते की ऐसा प्रत्येक दौर एक महीने से कम नही हो।
- बेरोजगारी-भत्ते को उसी अवधि के लिए बीमारी-हितलाभ, प्रसूति-हितलाभ या अस्थायी अशक्तता के लिए अशक्तता-हितलाभ के साथ सम्मुचय नहीं किया जा सकता। लेकिन, अगर बीमाकृत व्यक्ति उसी अवधि के दौरान इनमें से कोई हितलाभ प्राप्त कर रहा हो, तो वह अपनी इच्छानुसार उस हितलाभ को चुनने के लिए स्वतंत्र होगा जिसे वह प्राप्त करना चाहता है।
हितलाभों से संबद्ध सामान्य उपबंध –
- हितलाभों का सम्मुचय नहीं किया जाना- कोई भी बीमाकृत व्यक्ति एक ही अवधि में निम्नलिखित हितलाभ साथ-साथ नहीं प्राप्त कर सकता-
- बीमारी-हितलाभ और प्रसूति-हितलाभ, या
- बीमारी-हितलाभ और अस्थायी अशक्तता के लिए अशक्तता-हितलाभ, या
- प्रसूति-हितलाभ और अस्थायी अशक्तता के लिए अशक्तता-हितलाभ। अगर कोई व्यक्ति उपर्युक्त हितलाभों में एक से अधिक हितलाभों का अधिकारी है, तो वह उनमें से केवल एक ही हितलाभ चुन सकता है।
- हितलाभों का समानुदेशन तथा कुर्की से मुक्त होना- अधिनियम के अधीन उपलब्ध होने वाले किसी भी भुगतान के अधिकार को हस्तांतरित या समानुदेशित नहीं किया जा सकता। अधिनियम के अंतर्गत देय किसी भी नकद हितलाभ की किसी भी न्यायालय की डिक्री या आदेश के निष्पादन में कुर्की या बिक्री नहीं की जा सकती।
- अन्य अधिनियमों के अधीन हितलाभ प्राप्त करने का वर्जन- अगर कोई व्यक्ति इस अधिनियम के अधीन उपलब्ध हितलाभों का अधिकारी है, तो वह अन्य अधिनियमों के अंतर्गत उन प्रकार के हितलाभों का अधिकारी नहीं हो सकता।
- अशक्तता-हितलाभ का रूपान्तरण नहीं होना- किसी भी व्यक्ति को विनियमों के अंतर्गत निर्दिष्ट तरीकों को छोड़कर अन्य प्रकार से अशक्तता-हितलाभ को एकमुश्त राशि में रूपांतरित करने का अधिकार प्राप्त नही है।
- कुछ मामलों में व्यक्तियों का हितलाभ पाने का अधिकार नहीं होना – विनियमों के प्रावधानों में निर्दिष्ट तरीकों को छोड़कर कोई भी व्यक्ति अन्य प्रकार से बीमारी-हितलाभ या अशक्तता-हितलाभ उस दिन प्राप्त करने का अधिकारी नहीं होता जिस दिन उसने मजदूरी पर काम किया हो या छुट्टी या अवकाश पर रहने पर भी उसे मजदूरी मिली हो या वह उस दिन हड़ताल पर हो।
- अनुचित रूप से प्राप्त हितलाभ का प्रतिसंदाव- अगर किसी व्यक्ति ने इस अधिनियम के अंतर्गत कोई भी हितलाभ या भुगतान प्राप्त कर लिया हो जिसका वह विधिक रूप से अधिकारी नहीं है, तो उसे निगम को हितलाभ के मूल्य या उसकी राशि का प्रतिसंदाय करना आवश्यक है। मृत्यु की स्थिति में इसे मृत व्यक्ति की आस्तियों से उसके प्रतिनिधि से वसूल किया जा सकता है। नकद भुगतानों को छोड़कर अन्य हितलाभों के मूल्य का निर्धारण विनियमों द्वारा निर्दिष्ट प्राधिकारी करेगा। हितलाभ के प्रतिसंदाय की राशि को भू-राजस्व के बकाए की तरह वसूल किया जा सकता है।
- हितलाभ मृत्यु के दिन तक देय – अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु किसी ऐसी अवधि में हो जाती है जिसके लिए अधिनियम के अंतर्गत कोई नकद हितलाभ देय है, तो उस हितलाभ की राशि को (जो मृत्यु के दिन तक देय होती है) मृत व्यक्ति द्वारा लिखित रूप से नाम-निर्देशित व्यक्ति को दिया जाएगा। जहाँ हितलाभ का भुगतान मृत व्यक्ति के वारिस या विधिक प्रतिनिधि को किया जाएगा।
- नियोजक द्वारा मजदूरी आदि का क्रम नहीं किया जाना- इस अधिनियम के अंतर्गत अंशदान देने के दायित्व ही के कारण कोई भी नियोजक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी कर्मचारी की मजदूरी कम नहीं कर सकता। वह विनियमों द्वारा निर्दिष्ट तरीके को छोड़कर अन्य प्रकार से किसी कर्मचारी की सेवा की शर्तो के अंतर्गत उपलब्ध ऐसे हितलाभों के भुगतान को न तो बंद और न ही कम कर सकता है, जो इस अधिनियम के अधीन उपलब्ध हितलाभों के समान हो।
- नियोजक द्वारा बीमारी आदि की अवधि में कर्मचारी को पदच्युल या दंडित नहीं किया जाना – कोई भी नियोजक उस अवधि में किसी कर्मचारी को पदच्युत, सेवोन्मुक्त या अन्य प्रकार से दंडित नहीं कर सकता, जिस अवधि में उसे बीमारी-हितलाभ या प्रसूति-हितलाभ प्राप्त हो रहा हो। इसी तरह, कोई भी नियोजक, विनियमों द्वारा निर्दिष्ट तरीकों को छोड़कर अन्य किसी प्रकार, किसी कर्मचारी को उस अवधि में पदच्युत, सेवोन्मुक्त, अवनत या अन्य प्रकार से दंडित नहीं कर सकता, जिस अवधि में उसे अस्थायी अशक्तता के लिए अशक्तता-हितलाभ मिल रहा हो या जिसमें वह चिकित्सकीय उपचार में हो या जिस अवधि में वह गर्भावस्था या प्रसवावस्था के चलते होने वाली बीमारी के कारण कार्य से अनुपस्थित हो। इस तरह की पदच्युति, सेवोन्मुक्ति या अवनति से संबद्ध कर्मचारी को दी जाने वाली कोई भी नोटिस अवैध और प्रभावहीन होगी।
कर्मचारी राज्य बीमा निधि
- हितलाभों का भुगतान तथा बीमाकृत व्यक्तियों के लिए चिकित्सकीय उपचार तथा देखभाल की व्यवस्था;
- निगम, स्थायी समिति, चिकित्सा-हितलाभ परिसद, क्षेत्रीय बोर्डो, स्थानीय समितियों तथा क्षेत्रीय एवं स्थानीय चिकित्सा-हितलाभ परिषदों के सदस्यों को फीस और भत्तों का भुगतान;
- निगम के अधिकारियों तथा कार्मिकों को वेतन, छुट्टी और कार्यग्रहण के लिए भत्तों, यात्रा-भत्तों, उपादानों, पेंशन, भविष्य-निधि तथा अन्य हितलाभ-निधियों के लिए अंशदानों आदि का भुगतान;
- अस्पतालों, दवाखानों तथा अन्य संस्थाओं की स्थापना तथा चिकित्सकीय एवं अन्य सहायक सेवाओं की व्यवस्था;
- बीमाकृत कर्मचारियों और उनके परिवार के सदस्यों को उपलब्ध कराए गए चिकित्सकीय उपचार तथा देखभाल पर किए गए खर्च के लिए राज्य सरकारी, स्थानीय प्राधिकारियों, निजी निकायों या व्यक्तियों को भुगतान;
- निगम के लेखा की जांच तथा उनकी आस्तियों एवं दायित्वों के मूल्यांकन पर होने वाले खर्च का भुगतान;
- कर्मचारी राज्य बीमा न्यायालयों पर होने वाले व्यय का वहन;
- नियम के विरूद्ध न्यायालय या अधिकरण द्वारा किए गए आदेश या अधिनियम के अधीन रकमों का भुगतान;
- अधिनियम के अधीन दीवानों या फौजदारी कार्यवाहियों पर होने वाले व्यय का वहन;
- बीमाकृत व्यक्तियों के स्वास्थ्य एवं कल्याण, अशक्त एवं दुर्घटनाग्रस्त कर्मचारियों के पुनर्वासन तथा पुनर्नियोजन पर होने वाले व्यय का वहन; तथा
- केन्द्रीय सरकार की पूर्वस्वीकृति से निगम द्वारा अधिकृत अन्य प्रयोजन। (धारा 26-28)